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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना में पोप : हम मन-परिवर्तन हेतु ईश्वर के बुलावे का स्वागत करें

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में विश्वासियों को प्रोत्साहित किया कि हम मन-परिवर्तन हेतु उनके अति आवश्यक बुलावे को स्वीकार करते हुए, पाप से मन-फिराव करें एवं अपने हृदय को सुसमाचार के तर्क के लिए खोलें क्योंकि जहाँ प्रेम एवं भाईचारा का राज होता है, बुराई शक्तिहीन हो जाती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 19 मार्च 2022 (रेई) ˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 20 मार्च को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

हम सभी चालीसा काल की यात्रा के मध्य में हैं और आज का सुसमाचार पाठ येसु को  समाचार की कुछ कहानियों पर टिप्पणी करने हुए प्रस्तुत करता है। "उस समय कुछ लोग ईसा को उन गलीलियों के विषय में बताने आये जिनका रक्त पिलातुस ने उनके बलि पशुओं के रक्त से मिला दिया था।" (लूक.13,1) और वहां एक सवाल है जो उन दुखद समाचारों से जुड़ा लगता है, इन भयांकर सच्चाईयों के लिए किनको दोषी माना जाए? क्या वे दूसरे लोगों की तुलना में अधिक पापी थे और ईश्वर ने उन्हें सजा दी? ये ऐसे सवाल हैं जो हमेशा प्रासंगिक होते हैं, जब अपराध के समाचार हमपर प्रबल होते और बुराई के सामने हम असहाय महसूस करते हैं, तब अक्सर हम अपने आप से पूछते हैं, क्या यह ईश्वर की ओर से एक सजा है? क्या वे हमें पापों का दण्ड देने के लिए युद्ध या महामारी भेजते हैं? और क्यों ईश्वर इस पर हस्ताक्षेप नहीं करते?

स्पष्ट देखना

संत पापा ने कहा, "हमें सावधान रहना चाहिए ˸ जब बुराई हमपर दबाव डालती है तब हम स्पष्टता खो देते और एक सरल उत्तर की खोज करते हैं जिसकी व्याख्या हम खुद नहीं कर पाते और अंततः ईश्वर को दोष देने लगते हैं।" कई बार ईश निंदा की कुरूप एवं बुरी आदत यहीं से आती है। कितनी बार हम अपने दुर्भाग्य एवं दुनिया की दुर्गति  के लिए उनपर दोष लगाते हैं जबकि वे हमें स्वतंत्र छोड़ते और अपने आपको हमपर कभी नहीं थोपते हैं, जो कभी हिंसा का प्रयोग नहीं करते बल्कि हमारे लिए और हमारे साथ दुःख उठाते हैं। वास्तव में, हमारे ऊपर बुराई का दोष, ईश्वर पर लगाने का, येसु  पूरा विरोध करते हैं। जो लोग पिलातुस के द्वारा मार डाले गये थे और जो लोग मीनार गिरने से मर गये थे वे दूसरे लोगों से अधिक पापी नहीं थे और न ही ईश्वर के निर्दय एवं न्यायिक दण्ड के शिकार। संत पापा ने कहा कि ऐसा होता ही नहीं,बुराई ईश्वर से नहीं आती, क्योंकि वे हमारे पापों के अनुसार हमारे साथ व्यवहार नहीं करते।" (स्तोत्र. 103,10), बल्कि अपनी दया के अनुरूप पेश आते हैं, यह ईश्वर का तरीका है। वे हमेशा करुणा के साथ हमारे साथ व्यवहार करते हैं।

सच्चा समाधान है मन-परिवर्तन

ईश्वर को दोष देने के बजाय येसु कहते हैं कि हम अपने आप में देखें, यह पाप है जो मौत लाता है; यह हमारा स्वार्थ हैं जो हमारे संबंधों को तोड़ता है, हमारे गलत एवं हिंसक चुनाव जो बुराई को जगह देता है। इस स्थिति में ईश्वर हमें एक सही समाधान प्रदान करते हैं। वह समाधान क्या है? मन परिवर्तन, "यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे तो तुम सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।" (लूक. 13,5). यह एक अति आवश्यक निमंत्रण है, विशेषकर, इस चालीसा काल में। आइये हम खुले हृदय से उनका स्वागत करें। हम बुराई से मन-फिराव करें। हम पाप को छोड़ दें जो हमें धोखा देता है, आइये हम अपने आपको सुसमाचार के तर्क के लिए खोलें क्योंकि जहाँ प्रेम और भाईचारा है वहाँ बुराई बिलकुल शक्तिहीन है।

ईश्वर का प्रेमपूर्ण धैर्य

संत पापा ने कहा, "हालांकि येसु जानते हैं कि मन-परिवर्तन आसान नहीं है इसलिए वे इस रास्ते पर हमारी मदद करना चाहते हैं। वे जानते हैं कि हम कई बार एक ही गलती कर बैठते हैं, एक ही तरह के पाप में पड़ते हैं। इसके कारण हम कई बार निराश हो जाते और हमें लगता है कि एक ऐसी दुनिया जहाँ बुराई का बोलबाला है, अच्छा काम करना बेकार है।

हमें निमंत्रण देने के बाद येसु एक दृष्टांत के द्वारा प्रोत्साहन देते हैं जो ईश्वर के धैर्य के बारे बतलाता है।" उन्होंने कहा, "हमें ईश्वर के धैर्य पर चिंतन करना चाहिए जो वे हमारे लिए रखते हैं। वे हमें एक अंजीर के पेड़ का दृष्टांत देते हैं जिसको उपयुक्त समय में फल नहीं देने पर भी काटा नहीं जाता, बल्कि अधिक समय दिया जाता है, फिर एक अवसर दिया जाता है।" संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमें हमेशा मौका देते हैं जो उनकी दयालुता है। वे हमें अपने प्रेम से अलग नहीं करते, हमसे निराश नहीं होते बल्कि कोमलता के साथ हमपर भरोसा रखते हैं।

प्यारे भाइयो एवं बहनो, ईश्वर हमपर विश्वास करते हैं। हमपर भरोसा रखते एवं धीरज से हमारा साथ देते है। वे हमसे निराश नहीं होते बल्कि हमपर आशा बनाये रखते हैं। ईश्वर पिता हैं और एक पिता के रूप में हमपर नजर रखते हैं। एक भले पिता की तरह वे हमारी असफलता नहीं बल्कि हमेशा उन फलों को देखते हैं जिन्हें हम ला सकते हैं। हमारी कमजोरियों पर ध्यान नहीं देते बल्कि संभवनाओं के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हमारे अतीत पर ध्यान नहीं देते किन्तु दृढ़ता के साथ भविष्य पर ध्यान देते हैं। क्योंकि ईश्वर हमारे निकट हैं। यह ईश्वर का तरीका है, हम इसे न भूलें : वे कोमलता एवं दयालुता के साथ हमारे निकट हैं, और सामीप्य, करुणा एवं कोमलता के साथ हमारा साथ देते हैं।

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें कि वे हमें आशा एवं साहस प्रदान करें तथा हममें मन परिवर्तन का भाव जागृत करें।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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20 March 2022, 18:47