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संत पापा फ्राँसिस बुधवारीय आम दर्शन समारोह में विश्वासियों से मिलते हुए संत पापा फ्राँसिस बुधवारीय आम दर्शन समारोह में विश्वासियों से मिलते हुए 

संत पापा ने 'प्रेदिकाते इवांजेलियुम' पर प्रेरितिक संविधान की घोषणा की

संत पापा फ्राँसिस 'प्रेदिकाते इवांजेलियुम' (सुसमाचार का प्रचार) प्रेरितिक संविधान के दस्तवेज की घोषणा करते हैं जो रोमन कूरिया को एक अधिक मिशनरी संरचना प्रदान करता है ताकि यह स्थानीय कलीसियाओं की सेवा और सुसमाचार प्रचार के कार्य में बेहतर हो सके।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 21 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) :  संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार संत जोसेफ के महोत्सव के दिन रोमन कूरिया के लिए "प्रेडिकेट इंजीलियम" नामक नया प्रेरितिक संविधान प्रख्यापित किया। यह दस्तावेज, रोमन कूरिया में, 5 जून 2022 को पेंटेकोस्त के दिन से लागू होगा।

संविधान एक लंबी सुनवाई प्रक्रिया के परिणाम को चिह्नित करता है जो 2013 के कॉन्क्लेव से पहले सामान्य महासभा के साथ शुरू हुई थी। नया संविधान "पास्टर बोनुस" की जगह लेता है, जिसे संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 28 जून 1988 को प्रख्यापित किया था और 1 मार्च 1989 से लागू हुआ इसमें 250 लेख शामिल हैं।

सोमवार, 21 मार्च को पूर्वाह्न 11:30 बजे, परमधर्मपीठीय संत प्रकरण परिषद के प्रीफेक्ट, कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो, कार्डिनलों की परिषद के सचिव, धर्माध्यक्ष मार्को मेल्लिनो और परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय के सेवा निवृत प्रोफेसर एवं धर्माचार्या जेसुइट फादर जोनफ्रेंको घिरलांडा, द्वारा वाटिकन प्रेस कार्यालय में 'प्रेदिकाते इवांजेलियुम' प्रस्तुत किया जाएगा।

जैसा कि उल्लेख किया गया है, दस्तावेज, लम्बे कार्डिनल मंडल के कार्यों का परिणाम है, जिसने 2013 पूर्व-सम्मेलन बैठकों से अपना संकेत लिया और कार्डिनलों की परिषद को अक्टूबर 2013 से पिछले फरवरी तक की बैठकों में शामिल किया, जो दुनिया भर के स्थानीय कलीसियाओं के विभिन्न योगदानों के साथ संत पापा फ्राँसिस के मार्गदर्शन में हो रही थी।

सुसमाचार प्रचार-केंद्रित कूरिया

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि नया संविधान सुधार के मार्ग की मांग करता है जो पिछले नौ वर्षों में लगभग पूरी तरह से लागू हो चुका है, जो विलय और समायोजन के माध्यम से हुआ है और जिसके कारण नये विभागों का निर्माण हुआ है।

दस्तावेज इस बात पर जोर देता है कि "रोमन कूरिया राज्य के सचिवालय, विभागों और कार्यालयों से बना है, जो सभी कानूनी रूप से समान हैं।"

दस्तावेज़ में निहित इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है, लोकधर्मियों की प्रेरिताई हेतु बनी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ और नवीन सुसमाचार प्रचार हेतु बने परमधर्पीठीय धर्मसंघ में एकीकरण। इन धर्मसंघों के दो उपाध्यक्ष बन जाते हैं और इस नए विभाग के अध्यक्ष स्वंय संत पापा हैं। वास्तव में, संविधान कहता है: "सुसमाचार प्रचार विभाग की अध्यक्षता सीधे परमाध्यक्ष द्वारा की जाती है।"

गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के प्रति दान

उदार सेवा के लिए बने विभाग की स्थापना की जाती है,जिसका प्रतिनिधित्व संत पापा की उदारता कार्यों संबंधी कार्यालय द्वारा किया जाता है, जो अब कूरिया में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

"उदार सेवा के लिए बने विभाग, जिसे अपोस्टोलिक एलमोसिनेरिया भी कहा जाता है, उदारता की एक अनूठी अभिव्यक्ति है जो संत पापा के नाम पर, गरीबों, कमजोरों और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए विकल्प के साथ शुरुआत करते हुए, दुनिया भर में उनकी सहायता और मदद का काम करता है, विशेष अभाव या अन्य आवश्यकता के मामलों में व्यक्तिगत रूप से दी जाने वाली सहायता की व्यवस्था करता है।"

अपोस्टोलिक संविधान निम्नलिखित क्रम में से शुरू होता है: सुसमाचार प्रचार के लिए बने विभाग, विश्वास का सिद्धांत और उदारता की सेवा।

एक और एकीकरण नाबालिगों के संरक्षण के लिए आयोग से संबंधित है, जो विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी परमधर्मपीठीय परिषद का हिस्सा बन जाता है, परंतु अपने स्वयं के मानदंडों के साथ काम करना जारी रखता है और इसका अपना अध्यक्ष और सचिव होता है।

मिशनरी शिष्य

दस्तावेज़ का एक मूलभूत हिस्सा वह है जो सामान्य सिद्धांतों का संबंध रखता है। प्रस्तावना याद दिलाती है कि प्रत्येक ख्रीस्तीय एक मिशनरी शिष्य है।

सामान्य सिद्धांतों के बीच मौलिक यह पद है कि लोक धर्मी सहित हर कोई को पेत्रुस के उत्तराधिकारी की विशेष शक्ति के आधार पर रोमन कुरिया में सेवा की भूमिकाओं के लिए नियुक्त किया जा सकता है।

बपतिस्मा के आधार पर, प्रत्येक ख्रीस्तीय, एक मिशनरी शिष्य है, यह उस पर निर्भर करता है कि उसने किस हद तक येसु मसीह में ईश्वर के प्रेम का अनुभव किया है। कूरिया के अद्यतनीकरण में इसे ध्यान में रखा गया है,जिसके सुधार में प्रशासन और जिम्मेदारी की भूमिकाओं में भी लोक धर्मी और महिलाओं की भागीदारी के लिए प्रावधान होना चाहिए।

संत पापा और स्थानीय कलीसियाओं की सेवा में

संविधान इस बात को भी रेखांकित करता है कि रोमन कूरिया रोम के धर्माध्यक्ष की सेवा और विश्व्यापी कलीसिया की सेवा का एक साधन है और इसलिए धर्माध्यक्षों और स्थानीय कलीसिया के लाभ के लिए है।

"रोमन कूरिया खुद को संत पापा और धर्माध्यक्षों के बीच नहीं रखता है, बल्कि, यह खुद को दोनों की सेवा में इस तरह रखता है जो प्रत्येक की प्रकृति के लिए उचित हैं।" एक और महत्वपूर्ण बिंदु आध्यात्मिकता से संबंधित है: रोमन कूरिया के सदस्य भी "मिशनरी शिष्य" हैं।

विशेष रूप से धर्मसभा को रोमन कूरिया के लिए काम करने के एक सामान्य तरीके के रूप में उजागर किया गया है, जो पहले से ही एक रास्ता है और इसे अधिकाधिक विकसित किया जाना है।

पुरोहितों और धर्मसंघियों के लिए अवधि सीमा

दस्तावेज़ में निहित अन्य पहलुओं में राज्य के सचिवालय को "परमाध्यक्षीय सचिवालय" के रुप में परिभाषित करने पर जोर देना शामिल है।  कूरिया कार्यकर्ता कार्यालय से अर्थव्यवस्था सचिवालय (एसपीई) में स्थानांतरित करना। दस्तावेज में यह भी संकेत है कि परमधर्मपीठीय विरासत के प्रशासन (एपीएसए) को धर्म के कार्यों के संस्थान की सहायक गतिविधि के माध्यम से अपना काम करना चाहिए।

संविधान यह भी स्थापित करता है कि रोमन कूरिया में पुरोहितों और धर्मसंघियों की सेवा के लिए, जनादेश पांच साल के लिए है और इसे दूसरे पांच साल के कार्यकाल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है, जिसके अंत में वे अपने धर्मप्रांत और मूल के समुदायों में लौट जाते हैं।

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21 March 2022, 16:34