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सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के धर्माध्यक्ष , तस्वीरः 23.09.2021 सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के धर्माध्यक्ष , तस्वीरः 23.09.2021 

सीसीईई के अध्यक्ष को सन्त पापा का सन्देश

ब्रातिस्लावा में 17 से 20 मार्च तक आयोजित यूरोपीय काथलिक दिवसों के उपलक्ष्य में, लिथुआनिया में विलनियुस के महाधर्माध्यक्ष तथा यूरोप के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ सीसीईई के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जिनतारास ग्रूसास को सन्त पापा फ्राँसिस ने एक सन्देश प्रेषित कर हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित कीं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर, वाटिकन सिटी

ब्रातिस्लावा, शुक्रवार, 18 मार्च 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): ब्रातिस्लावा में 17 से 20 मार्च तक आयोजित यूरोपीय काथलिक दिवसों के उपलक्ष्य में, लिथुआनिया में विलनियुस के महाधर्माध्यक्ष तथा यूरोप के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ सीसीईई के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जिनतारास ग्रूसास को सन्त पापा फ्राँसिस ने एक सन्देश प्रेषित कर हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित कीं।

युद्ध की क्रूरता

सन्त पापा ने सन्देश में लिखा, "हाल के हफ्तों में हम जो अनुभव कर रहे हैं, वह स्थिति ऐसी नहीं है जिसकी हमने महामारी के फलस्वरूप उत्पन्न कठिन स्वास्थ्य आपात स्थिति के बाद उम्मीद की थी तथा जिसने हमें अपने अस्तित्व की नाज़ुक स्थिति के साथ-साथ असहायता का अनुभव कराकर भय का संकेत दिया था। यूरोप के केन्द्र में हो रहे युद्ध की त्रासदी ने हमें चकित कर दिया है; पिछली सदी के महान युद्ध संघर्षों की याद ताज़ा करने वाले ऐसे दृश्यों को देखने के बारे में हमने कभी सोचा भी न था।"

यूक्रेन के युद्ध पीड़ितों के लिये अपील करते हुए सन्त पापा ने लिखा, "हमारे यूक्रेनी भाइयों का, मदद के लिए, दिल दहला देने वाला विलाप हमें, विश्वासियों के एक समुदाय के रूप में, न केवल गंभीर चिन्तन के लिए, बल्कि उनके साथ रोने और उनके लिए उत्कंठित होने के लिए प्रेरित करता है; उनका रुदन हमसे, अपनी पहचान, अपने इतिहास और परंपरा में घायल हुए लोगों की पीड़ा को साझा करने हेतु आग्रह करता है।"

सन्त पापा ने कहा, "बच्चों का रक्त और उनके आंसू तथा अपनी भूमि की रक्षा करने वाले अथवा बमों से भागनेवाले महिलाओं और पुरुषों की पीड़ा हमारी अंतरात्मा को झकझोर कर रख देती है। दुर्भाग्यवश, एक बार फिर मानवता पर सत्ता और पक्षपातपूर्ण हितों के विकृत दुरुपयोग से ख़तरा उत्पन्न हो गया है, जो रक्षाविहीन लोगों को सभी प्रकार की क्रूर हिंसा से पीड़ित होने के लिये बाध्य कर रहा है।"

मानवतावादी मदद जारी रखने की अपील

सन्त पापा ने यूरोप के समस्त धर्माध्यक्षों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया जिन्होंने इन दिनों में यूक्रेन के युद्ध पीड़ितों की मदद हेतु विभिन्न पहलें आरम्भ की हैं। उन्होंने लिखा, "पीड़ितों एवं युद्ध के कारण अपने घरबार छोड़कर भागनेवाले लोगों की सहायता का हम हर सम्भव प्रयास करें तथा युद्ध की समाप्ति के लिये ईश्वर को पुकारना बन्द न करें।" उन्होंने लिखा, "इसीलिये मैं आपसे प्रार्थना जारी रखने का आग्रह करता हूं, ताकि जो लोग राष्ट्रों के भाग्य निर्धारण के लिये ज़िम्मेदार हैं, वे युद्ध को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ें तथा युद्ध के कारण होने वाली विशाल मानवीय त्रासदी को समाप्त करने हेतु रचनात्मक बातचीत  की शुरुआत करें।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने स्मरण दिलाया कि युद्ध किसी का भला नहीं करता तथा हिंसा और अधिक हिंसा उत्पन्न करती है। उन्होंने लिखा, युद्ध, "दुनिया को बदतर बना देता है, युद्ध, राजनीति और मानवता की विफलता है, यह बुराई की ताकतों के प्रति स्वतः का शर्मनाक आत्मसमर्पण है।"

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि दो विश्व युद्धों के उपरान्त यूरोप का निर्माण शांति के आवास रूप में किया गया था। अस्तु, "मेरी उम्मीद है कि यूरोप सम्पूर्ण विश्व के लिये शांति निर्माता बनने की अपनी भूमिका को भली प्रकार निभा सकेगा।"

सन्त पापा ने कहा, "इन दिनों मनाये जा रहे यूरोपीय काथलिक दिवसों के लिए आपने जो शीर्षक चुना है, महामारी से परे यूरोप: एक नई शुरुआत, हमें यूरोपीय समाज में हो रहे गहन परिवर्तनों पर चिंतन करने हेतु आमंत्रित करती है।"

उन्होंने कहा कि कोविद महामारी के कारण, "विश्व में उल्लेखनीय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और यहां तक ​​​​कि कलीसियाई परिवर्तन हुए हैं। दुख से चिह्नित इस स्थिति में, भय बढ़ गया है, ग़रीबी बढ़ गई है और अकेलापन कई गुना बढ़ गया है; जबकि कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और एक अनिश्चित स्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं, अन्यों के साथ सम्बन्ध बनाने के तौर तरीके भी बदल गये हैं।" ऐसी स्थिति में उन्होंने कहा कि कलीसियाई जीवन में भी कई बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।

सन्त पापा ने कहा कि ऐसी स्थिति के समक्ष हम निष्कत्रिय नहीं रह सकते। ईसाई और यूरोपीय नागरिकों के रूप में, हमें यूरोपीय समुदाय के महान संस्थापक पिताओं में से एक, आलचिदे दे गास्परी के शब्दों को याद करना होगा जिन्होंने "यूरोपीय मातृभूमि की सामान्य भलाई, हमारी यूरोपीय मातृभूमि" के लिये साहसपूर्वक काम करने का आह्वान किया था।

सन्त पापा ने कहा कि यूरोप और इसे बनाने वाले राष्ट्र एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं और भविष्य के निर्माण का अर्थ  अनुरूप होना नहीं है, बल्कि विविधता के साथ और भी अधिक एकजुट होना है। साथ ही, उन्होंने कहा कि ख्रीस्त के अनुयायियों के लिये, आम घर के पुनर्निर्माण का अर्थ है "सामंजस्य के कारीगर बनना, हर स्तर पर रणनीति से नहीं, बल्कि सुसमाचार द्वारा एकता के बुनकर बनना है।"  

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18 March 2022, 11:38