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जैव नैतिकता की चुनौतियों के लिए एक ख्रीस्तीय जवाब

संत पापा फ्राँसिस ने मार्च महीने की प्रार्थना की प्रेरिताई में जैव नैतिकता की चुनौतियों के लिए एक ख्रीस्तीय जवाब हेतु प्रार्थना करने का आह्वान किया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

“आइये हम प्रार्थना करें ताकि हम जैव नैतिकता की चुनौतियों का ख्रीस्तीय जवाब दे सकें।

यह स्पष्ट हैं कि विज्ञान ने तरक्की की है, और आज जैव नैतिकता के क्षेत्र ने हमारे लिए कई समस्याओं को प्रस्तुत किया है जिनका जवाब हमें देना है, न कि शुतुरमूर्ग की तरह सिर छुपाना है।

जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को हमेशा मानव प्रतिष्ठा के सम्मान पर आधारित होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, मानव भ्रुण को डिस्पोजेबल सामग्री के समान, फेंका नहीं जाना चाहिए। इस फेंकने की संस्कृति को हमेशा उनपर लागू की जाती है, जी नहीं, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। इस संस्कृति को बढ़ाकर, बहुत अधिक क्षति हो सकती है, या बायोमेडिकल रिसर्च की स्थिति के लिए वित्तीय लाभ की अनुमति देकर।

हमें इस गहरे परिवर्तन को अच्छी तरह समझना चाहिए जो और भी गहन एवं सूक्ष्म विवेक के साथ घटित हो रहे हैं।

यह तकनीकी प्रगति पर अंकुश लगाने की बात नहीं है। नहीं, हमें उन्हें साथ देना है। यह मानव प्रतिष्ठा एवं प्रगति दोनों की रक्षा करने की बात है। यह ऐसा कहना है कि हम तरक्की के लिए मानव प्रतिष्ठा की कीमत नहीं चुका सकते, जी नहीं। दोनों एक साथ, सामंजस्य में चलते हैं।  

हम उन ख्रीस्तियों के लिए प्रार्थना करें जो नये जैव नैतिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं कि वे प्रार्थना और कार्य द्वारा सभी मानव जीवन की प्रतिष्ठा की रक्षा करते रहें।"

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08 March 2022, 16:52