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2022.02.28 इराक में मौजूद कलीसियाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस 2022.02.28 इराक में मौजूद कलीसियाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा फ्राँसिस इराकी कलीसियाओं के प्रतिनिधियों से मिले

सोमवार को इराकी कलीसियाओं के धार्मिक नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने स्थानीय ख्रीस्तीय समुदायों को संवाद को बढ़ावा देना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि भाईचारे का निर्माण किया जा सके और उग्रवाद एवं कट्टरवाद का मुकाबला किया जा सके।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार 01 मार्च 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को इराक के ख्रीस्तीय कलीसियाओं के प्रतिनिधियों  का वाटिकन में स्वागत किया। वे संत पापा की इराक की प्रेरितिक यात्रा मार्च 2021 की पहली वर्षगांठ के अवसर पर का रोम का दौरा कर रहे हैं।

सुसमाचार के साहसी गवाह

प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में, संत पापा ने याद किया कि इराक सभ्यता और ख्रीस्तीय धर्म का उद्गम स्थल है। यह बाइबिल के समय से बंधुओं का देश भी रहा है। इन हाल के वर्षों की दुखद घटनाओं का उल्लेख करते हुए, उन्होंने उत्पीड़न के बीच "सुसमाचार के प्रति निष्ठा के साहसी गवाह" के लिए इराक के ख्रीस्तीय समुदायों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।

संत पापा ने कहा,"मैं उन लोगों की पीड़ा और शहादत के सामने झुकता हूँ जिन्होंने अपने जीवन की कीमत पर भी विश्वास को बनाए रखा है। जिस प्रकार प्रेम से बहाया गया मसीह का लहू मेल-मिलाप लाया और कलीसिया विकसित हुई। हमारे समय के इन अनेक शहीदों का लहू, जो विभिन्न परंपराओं से संबंधित हैं, लेकिन एक ही बलिदान में एकजुट हैं, ख्रीस्तियों के बीच एकता का बीज बनें और विश्वास के एक नए वसंत के समय का संकेत बनें।”

भाईचारे के रिश्ते

उन्होंने आगे अपने भाईचारे के संबंधों के लिए इराकी कलीसियाओं की सराहना की, जिन्होंने "गरीबों के लिए प्रेरितिक देखभाल, प्रशिक्षण और सेवा के क्षेत्र में सहयोग की कई कड़ी" स्थापित करने की अनुमति दी है और उन्हें "इस रास्ते पर जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है, ताकि ठोस पहल के माध्यम से निरंतर संवाद और, भाईचारा प्रेम, पूर्ण एकता की दिशा में प्रगति की जा सके।”

"ऐसे लोगों के बीच जिन्होंने इतना विभाजन और कलह झेला है, ख्रीस्तीय विविधता में एकता के भविष्यसूचक संकेत के रूप में चमकेंगे।"

इराकी समाज का एक अनिवार्य घटक

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि ख्रीस्तीय इराकी समाज के एक अनिवार्य घटक हैं। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तियों के बिना इराक", अब इराक नहीं होगा, क्योंकि ख्रीस्तीय, अन्य विश्वासियों के साथ, देश की विशिष्ट पहचान के लिए एक ऐसे स्थान के रूप में दृढ़ता से योगदान करते हैं जहां सह-अस्तित्व, सहिष्णुता और पारस्परिक स्वीकृति पहली शताब्दियों से फली-फूली है।" यही कारण है कि "यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए कि ख्रीस्तीय यह महसूस करते रहें कि इराक उनका घर है और देश का नागरिक होना उनका अपना अधिकार है।"

संवाद का महत्व

संत पापा ने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि इराक के ख्रीस्तियों के पास यह सुनिश्चित करने का विशेष बुलाहट है कि धर्म भाईचारे की सेवा में हों और इसलिए आपसी संवाद में संलग्न होना जरुरी है।, उन्होंने कहा, " संवाद चरमपंथ के लिए सबसे अच्छा प्रतिकारक है। अतिवाद किसी भी धर्म के अनुयायियों के लिए खतरा है और शांति के लिए गंभीर खतरा है।"

उन्होंने यह भी कहा कि कट्टरवाद को केवल इसके मूल कारणों को संबोधित करके ही मिटाया जा सकता है, जिसमें "भौतिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक गरीबी और अन्याय और भेद्यता की स्थिति" शामिल हैं।

"निराश न होवें!"

अपने संबोधन को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों से निराश न होने और "एकता के निर्माता" येसु की आत्मा के आह्वान को जारी रखने को कहा। संत पापा ने कहा, "आइए हम सच्ची एकता के मॉडल, पवित्र त्रित्व ईश्वर से जो एकरूपता नहीं है, हमारी कलीसियाओं के बीच और हमारे बीच एकता को मजबूत करने के लिए प्रार्थना करें

प्रतिनिधिमंडल के सदस्य

इराकी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में अन्य लोगों के अलावा, मोसुल के सिरिएक ऑर्थोडॉक्स महाधर्माध्यक्ष निकोदेमुस दाउद और किरकुक और डायना के पूर्वी असीरियन धर्माध्यक्ष एब्रिस यूखन्ना शामिल थे, जिन्होंने ने इराक की ऐतिहासिक यात्रा के लिए संत पापा फ्राँसिस के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।

संत पापा की इराक यात्रा के लिए आभार

दरअसल, महाधर्माध्यक्ष दाउद ने देश में अंतर्धार्मिक संबंधों पर उस यात्रा के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला, खासकर ख्रीस्तियों के प्रति मुसलमानों के रवैये पर। अपनी ओर से धर्माध्यक्ष यूखन्ना ने कहा कि संत पापा की यात्रा ने इराक में विश्वव्यापी संवाद के लिए "नया आवेग और प्रकाश" दिया है। धर्माध्यक्ष ने कहा, "संवाद मानवीय रिश्तों से बना है जो हमें लगातार याद दिलाता है कि हम सभी ईश्वर के बच्चे हैं और इसलिए भाई-बहनें हैं।"

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01 March 2022, 15:14