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राखबुध को रोम के संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन राखबुध को रोम के संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन 

राखबुध ˸ हम उस शांति के लिए प्रार्थना करें, जिसको सिर्फ ईश्वर दे सकते हैं

राखबुध के अवसर पर कार्डिनल पियेत्रो परोलिन ने रोम के संत सबिना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। उन्होंने संत पापा फ्रांसिस के स्थान पर ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया, जिन्हें पैर में दर्द है और जिसका इलाज चल रहा है। कार्डिनल परोलिन ने संत पापा के उपदेश को पढ़कर सुनाया, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के लिए प्रार्थना एवं उपवास की याद दिलायी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 2 मार्च 2022 (रेई)˸ राखबुध के अवसर पर प्राचीन परम्परा का पालन करते हुए, 2 मार्च को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने रोम के संत सबीना महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग के पूर्व संत अंसेलेम गिरजाघर में पश्चाताप की धर्मविधि एवं शोभायात्रा की गई। ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान संत पापा फ्रांसिस करनेवाले थे किन्तु अपने घुटने में दर्द एवं डॉक्टरों की सलाह मानते हुए नहीं जा पाये।

चालीसा काल

चालीसा काल जो ख्रीस्तियों के महापर्व पास्का की तैयारी में प्रार्थना, उपवास, त्याग-तपस्या एवं अच्छे कामों को करने के 40 दिनों की अवधि है, इसकी शुरूआत 2 मार्च को हुई। राखबुध के दिन माथे पर राख लगाना, बाईबिल के अनुसार एक प्रतीक है जो विश्वासियों को स्मरण दिलाता है कि मनुष्य ईश्वर के सामने पापी है, क्षणभंगुर है। राख लागाते हुए पुरोहित इन शब्दों का उच्चारण करते हैं, "मनुष्य तू मिट्टी है और मिट्टी में मिल जायेगा" या "पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो।"  

दिखावे की भावना से सावधान रहें

राखबुध के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा तैयार उपदेश, जिसको कार्डिनल परोलिन ने प्रस्तुत किया, संत पापा ने विश्वासियों को दिखावे की भावना से सावधान रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है, "प्रभु हमसे कहते हैं ˸ सावधान रहो, लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने धार्मिक कार्यों का प्रदर्शन न करो, नहीं तो तुम अपने स्वर्गिक पिता के पुरस्कार से वंचित रहोगे।" (मती.6:1) संत पापा ने गौर किया कि आज के सुसमाचार पाठ में पुरस्कार की बात की गई है। उन्होंने कहा कि राखबुध के दिन हम अक्सर विश्वास की यात्रा की मांग के प्रति प्रतिबद्ध होने पर चिंतन करते हैं न कि पुरस्कार पर जो इसका अंतिम लक्ष्य है। येसु इस शब्द को दुहराते हैं जो हमारे कार्यों के परिणाम के समान लग सकता है। वास्तव में, हमारे हृदय में एक प्यास होती है, पुरस्कार की चाह होती है जो हमें आकर्षित एवं प्रेरित करती है।

राखबुध के दिन रोम में ख्रीस्तयाग के पूर्व शोभायात्रा करते याजक और विश्वासी
राखबुध के दिन रोम में ख्रीस्तयाग के पूर्व शोभायात्रा करते याजक और विश्वासी

दो प्रकार के पुरस्कार

प्रभु दो तरह के पुरस्कार का जिक्र करते हैं – एक पुरस्कार पिता की ओर से और दूसरा अन्य लोगों की ओर से। पहला, अनन्त, सच्चा और अनन्त पुरस्कार है जो हमारे जीवन का मकसद है। दूसरा अल्पकालिक है सुर्खियों के समान है जिसकी खोज हम तब करते हैं जब दुनियावी सफलता हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण, सबसे बड़ी खुशी की चीज बन जाती है, यद्यपि यह एक भ्रम है। यह एक मृगतृष्णा की तरह है, जो एक बार वहां पहुंचने के बाद भ्रमक साबित होता है; यह हमें असंतुष्ट छोड़ देता है।

दुनियावी चीजों की खोज करनेवाले

संत पापा ने कहा कि दुनियावी चीजों की खोज करनेवाले लोग बेचैन और असंतुष्ट रह जाते हैं क्योंकि यह आकर्षक दिखता लेकिन अंत में निराश कर देता है। जो लोग दुनियावी पुरस्कार की खोज करते हैं वे कभी शांति नहीं पाते और न ही दूसरों को शांति से रहने देते हैं। वे पिता तथा भाई-बहनों के नजरिये को खो देते हैं। यह एक खतरा है जिसका सामना हम सभी करते हैं यही कारण है कि येसु हमें चेतावनी देते हैं कि हमारे पास एक अनंत इनाम, एक अतुलनीय पुरस्कार का आनंद लेने का मौका है। इसलिए सावधान रहें, अपने आपको दिखावे से चकाचौंध न होने दें, सस्ते पुरस्कारों के पीछे न भागते रहें जो छूते ही हमें निराश कर देते हैं”।

संत पापा ने धर्मविधि में राख ग्रहण करने का अर्थ बतलाते हुए कहा कि यह हमें पिता से पुरस्कार ग्रहण करने से पहले, दूसरों से पुरस्कार ग्रहण करने की गलती से सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक साधारण चिन्ह है जो हमें मानव की क्षणभंगुर स्थिति पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है, यह एक दवा के समान है जिसका स्वाद कड़वा है फिर भी बीमारी से चंगाई पाने में प्रभावशाली है। एक आध्यात्मिक बीमारी जो हमें दूसरों से वाहवाही पाने की चाह का गुलाम बनाता है।

माथे पर राख लगाते पुरोहित
माथे पर राख लगाते पुरोहित

जीवन को व्यर्थ महिमा के लिए जीना

संत पापा ने कहा कि यह एक वास्तविक गुलामी है, हमारी आँख एवं मन की गुलामी। एक गुलामी जो हमारे जीवन को व्यर्थ महिमा के लिए जीने हेतु मजबूर करता है। जहाँ हमारे हृदय की शुद्धता नहीं होती बल्कि दूसरों की शबाशी होती है। यह ईश्वर की नजर के अनुसार नहीं बल्कि दूसरों की नजर के अनुसार होता है। समस्या यह है कि दिखावे की बीमारी आस-पड़ोस की पवित्रता को भी खतरे में डालती है।

संत पापा ने चेतावनी दी कि प्रार्थना, उपवास और दान भी अपनी महिमा के लिए हो सकती है। हर प्रकार के अच्छे कार्य में आत्मसंतुष्टि का कीड़ा छिपा होता है। यदि ऐसा है तो हमारा हृदय पूरी तरह मुक्त नहीं है क्योंकि यह पिता एवं भाई-बहनों के प्रेम की खोज नहीं करता बल्कि लोगों की सराहना, अपनी महिमा की खोज करता है। यही कारण है कि ईश वचन हमें अपने आपको देखने एवं अपने दिखावे को पहचानने का निमंत्रण देता है। संत पापा ने कहा, "आइये हम उन्हें मुखौटा से बाहर निकालें।" 

उन्होंने कहा, "राख सांसारिक पुरस्कारों के लिए उन्मादी खोज के पीछे छिपे खालीपन को दर्शाती है। यह याद दिलाती है कि दुनियादारी एक धूल के समान है जिसको हवा का एक हल्का झोंका उड़ा सकता है।" संत पापा ने कहा कि हम इस दुनिया की हवा को दूर करने के लिए नहीं हैं बल्कि हमारा हृदय अनन्त के लिए प्यासी है। चालीसा  काल प्रभु की ओर से इसे नवीकृत करने के लिए दिया गया है, आंतरिक जीवन को पोषित करने के लिए है और पास्का की ओर एक यात्रा है।

प्रार्थना, उपवास और दान

संत पापा ने जोर दिया है कि गुप्त रूप से की गई प्रार्थना, हमारे जीवन को सभी ओर से बढ़ने के लिए एक एकांत प्रदान करता है। क्योंकि यह एक गर्म और भरोसामंद संवाद है जो "हमारे दिलों को सांत्वना और विस्तार देता है।" संत पापा ने कहा है कि हमारी नजरें प्रभु के क्रूस को देखें ताकि हमारा हृदय ईश्वर के कोमल स्पर्श और उनके घावों में अपने एवं दुनिया के घावों को रख सके।   

उन्होंने कहा है कि प्रार्थना उदार कार्यों में प्रकट होना है अतः चालीसा में किये गये परोपकार के कार्य हमें शुद्ध करते, आवश्यक चीज की ओर हमें वापस लाते, देने की खुशी को महसूस कराते हैं। गुप्त में किये गये दान हमारे हृदय को शांति और आशा से भर सकते हैं।    

अंततः संत पापा ने गौर किया कि उपवास हमें सचमुच मूल्यवान चीजों के लिए त्याग करने में मदद करता है जिसमें भोजन के अतिरिक्त हमारी आदतें शामिल हैं। उन्होंने कहा, "हमारी प्रार्थना, उपवास एवं परोपकार बढ़े और सभी के लिए औषधि बने, इतिहास में बेहतर के लिए बदलाव लाये।"

रोम के संत सोफिया महागिरजाघर में जमा किये गये दान
रोम के संत सोफिया महागिरजाघर में जमा किये गये दान

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03 March 2022, 15:06