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संत एम्ब्रोस और चार्ल्स के रमधर्मपीठीय लोम्बार्ड सेमिनरी के समुदाय के साथ संत पापा फ्राँसिस संत एम्ब्रोस और चार्ल्स के रमधर्मपीठीय लोम्बार्ड सेमिनरी के समुदाय के साथ संत पापा फ्राँसिस 

पुरोहितों से संत पापा: असमानता के उन्मूलनकर्ता बनें

संत पापा पियुस ग्यारहवें के परमाध्यक्ष चुने जाने की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को उरबे में संत एम्ब्रोस और चार्ल्स के रमधर्मपीठीय लोम्बार्ड सेमिनरी के समुदाय का स्वागत किया और असमानता के उन्मूलनकर्ता बनने हेतु प्रेरित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 07 फरवरी 2022 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 7 फरवरी को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में उरबे के संत एंब्रोस और संत चार्ल्स के परमधर्मपीठीय लोम्बार्ड सेमिनरी के पुरोहितों, गुरुकुल के छात्रों और कर्मचारियों से मुलाकात की।संत पापा ने वाटिकन में सहृदय उनका स्वागत करते हुए सेमिनरी के रेक्टर को उनके परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने सेमिनरी में अपनी सेवा दे रहे सभी कर्मचारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि पुरोहितों के साथ वे भी अपनी सेवा द्वारा सेमिनरी के जीवन को जीवंत करते हैं और "लोम्बार्ड" के महान परिवार का निर्माण करते हैं।

संत पापा ने कहा कि वे संत पापा पियुस ग्यारहवें के परमाध्यक्ष चुने जाने की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर मुलाकात कर रहे हैं। “संत पापा इसी सेमिनरी के पूर्व छात्र थे जिसके दिल में हमेशा "उनका प्रिय" सेमिनरी था, जिसके लिए उन्होंने ‘सालुस पोपोली रोमानी’(रोम वासियों की संरक्षिका माता मरियम) की छत्रछाया तले, वह क्षेत्र प्रदान किया जिसमें आप रहते हैं।” संत पापा ने कहा कि संत पापा पियुस ग्यारहवें से जुड़ी इन जड़ों से हम कुछ विचारों से प्रेरणा लेते हैं: अतीत की पुरानी यादों में न खो जाना, बल्कि आत्मा की नवीनता के लिए खुद को खोलना, जो हमें वर्तमान को जीने के लिए आमंत्रित करता है, विशेष रूप से कलीसिया और इतालवी लोगों की सेवा में।

एक महान इशारा

परमाध्यक्ष चुने जाने के बाद संत पापा पियुस ग्यारहवें ने संत पेत्रुस बसेलिका के अंदर नहीं लेकिन बसिलिका के प्रमुख झरोखे से रोम शहर और पूरी दुनिया को अपना पहला आशीर्वाद दिया। उनका यह भाव हमें याद दिलाता है कि हमें खुलने की जरूरत है, प्रेरिताई के क्षितिज को दुनिया के आयामों तक विस्तारित करने की जरूरत है, हर उस बच्चे तक पहुंचना है जिसे ईश्वर अपने प्यार से गले लगाना चाहते हैं। हम अपने को एक छोटी सी दुनिया में बंद नहीं रख सकते हमें उस दुनिया में जाना है जो सुसमाचार की प्रतीक्षा कर रही है और प्रभु चाहते हैं कि उसके चरवाहे उसके ही अनुरूप बनें, अर्थात खुले दिल वाले, उदार, दयालु और मेहनती हों जो दूसरों के लिए कष्ट उठा सके और अपने हाथ गंदा कर सकें।

संत पापा ने कहा कि वे जो भी ज्ञान हासिल करते हैं उसे अपने लोगों के वास्तविक जीवन स्तर तक लाना है। जीवन के शब्दों के लिए यह आवश्यक है कि विज्ञान को प्रार्थना में आत्मा की ओर मोड़ें और फिर कलीसिया और दुनिया की ठोस परिस्थितियों में रहें। दुनिया को पुरोहितों के जीवन साक्षी की जरूरत है: दुनिया की सड़कों पर, पड़ोस और घरों में, विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे भूले हुए स्थानों में सुसमाचार को ले जाने की इच्छा रखने वाले पुरोहित बनें।

मैं प्रभु को क्या अर्पित कर सकता हूँ?

संत पापा पियुस ग्यारहवें से और प्रेरणा लेते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने अपने पूर्ववर्ती के पहले धर्मोपदेश को याद किया, जिसमें उन्होंने लोगों को स्वयं से एक प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित किया था: "मैं प्रभु को क्या अर्पित कर सकता हूँ?"

"मैं क्या दे सकता हूँ?" संत पापा ने कहा कि यह एक ऐसा प्रश्न है जो आपसे उपलब्धता और सेवा हेतु अपना दिल खोलने के लिए कहता है।

उन्होंने रेखांकित किया कि इसका केंद्रीय बिंदु,  "सुसमाचार को जीने और इसे फैलाने वाली  कलीसिया बनना" और इसके लिए "खुला, इच्छुक, मिशनरी दिल" होना है।

असमानता

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने फिर से संत पापा पियुस ग्यारहवें के विश्वपत्र ‘क्वाद्राजेसिमो आन्नो’ के एक वाक्यांश को याद करते हुए कहा: "यह स्पष्ट है कि न केवल हमारे समय में धन केंद्रित है, बल्कि एक विशाल शक्ति और निरंकुश आर्थिक तानाशाही एक के हाथों में समेकित है। ..." संत पापा ने कहा, "यह अब कितना सच और कितना दुखद है, जब कुछ अमीरों और कई गरीबों के बीच की खाई हमेशा व्यापक होती है।"

संत पापा फ्राँसिस ने "असमानताओं के संदर्भ में", इस बात पर प्रकाश डाला, जो महामारी के दौरान बढ़ गया है। पुरोहितों को "एकता के बुनकर, असमानता के उन्मूलनकर्ता" के साथ-साथ "आवाजहीन के नाम पर भविष्यवाणी करने में" सक्षम और साहसी होने की आवश्यकता है।”

महान कार्य आपके इंतजार में

अंत में, संत पापा ने उपस्थित गरुकुल के छात्रों से कहा, "महान कार्य आपका इंतजार कर रहा है।" उन्होंने उन्हें एक कलीसिया बनाने में मदद करने के लिए भी आमंत्रित किया "जो सुसमाचार की भावना के प्रति अधिक विश्वासी, अधिक स्वतंत्र, अधिक भाईचारे और येसु की गवाही देने में आनंदित हो।"

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07 February 2022, 16:22