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प्रिसिल्ला काटेकोम्ब प्रिसिल्ला काटेकोम्ब 

संत पापा द्वारा प्रथम ख्रीस्तियों की गवाही को जीने हेतु प्रोत्साहन

जैसा कि वाटिकन की परमधर्मपीठीय अकादमियों ने अपना 25वां सार्वजनिक सत्र आयोजित किया, संत पापा फ्राँसिस ने एक पत्र लिखकर प्रतिभागियों को ख्रीस्तीय पुरातत्व के अध्ययन को आगे बढ़ाने में उनके काम के लिए तीन विद्वानों को बधाई दी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 2 फरवरी 2022 (वाटिकन न्यूज) : वाटिकन की 11 परमधर्मपीठीय अकादमियों ने मंगलवार को रोम के पलाज्जो देल्ला कांचेल्लेरिया में अपना 25वां आम सभा आयोजित किया।

परमधर्मपीठीय रोमन पुरातत्व अकादमी और परमधर्मपीठीय शहीदों के सम्मान अकादमी (कल्टोरुम मार्टीरुम) द्वारा आयोजित इस वर्ष का संस्करण, महान इतालवी पुरातत्वविद् जोवान्नी बतिस्ता डे रोस्सी के जन्म के 200वीं वर्षगांठ पर उनके चित्र को समर्पित था।

 बतिस्ता डे रॉस्सी का उदाहरण

19वीं सदी के पुरातत्वविद् प्रारंभिक ख्रीस्तीय काटेकॉम्ब (कब्रों का तहखाना) को फिर से खोजने के लिए प्रसिद्ध थे।

संत पापा फ्राँसिस ने बैठक में एकत्रित शिक्षाविदों को एक संदेश में कहा, "जोवान्नी बतिस्ता डे रॉस्सी को आधुनिक ख्रीस्तीय पुरातत्व का संस्थापक माना जाता है। वास्तव में, उनके समकालीन थेदोर मोमसेन ने कहा कि उन्होंने 'इस विषय को विद्वानों के एक मात्र मनोरंजन से एक सच्चे ऐतिहासिक विज्ञान तक बढ़ाया है।”

संत पापा ने कहा, "न केवल विशेष क्षेत्रों में बल्कि उन विश्वविद्यालयों और संस्थानों में जहां ईश शास्त्र और ख्रीस्तीय धर्म का इतिहास पढ़ाया जाता है, ख्रीस्तीय पुरातत्व के अध्ययन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए जोवान्नी बतिस्ता का उदाहरण फिर से प्रस्तावित किया जाना चाहिए।"

संत पापा ने परमधर्मपीठीय संस्कृति परिषद और परमधर्मपीठीय अकादमियों के बीच समन्वय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल जॉनफ्रांको रावसी को संबोधित एक पत्र में अपना अभिवादन भेजा।

पुरस्कार

कार्डिनल रावासी ने सभा में संत पापा फ्राँसिस के पत्र को पढ़ा, उसमें उन्होंने घोषणा की कि इस वर्ष वह "कला के हंगेरियन अकादमी के सदस्य, प्रोफेसर ग्योजो वोरोस द्वारा निर्देशित शोध "द माचेरस आर्कियोलॉजिकल एक्सावेशन्स" को परमधर्मपीठ के स्वर्ण पदक से सम्मानित करते हुए प्रसन्न हैं, जिनके परिणाम मृत सागर को देखने वाले जॉर्डन के गढ़ से संबंधित तीन स्मारकीय खंडों में एकत्र किए गए हैं।

"शुरुआती ख्रीस्तीय स्मारकों पर पुरातात्विक अध्ययन के लिए प्रोत्साहन के रूप में," संत पापा ने कहा कि वे "संत कलिस्तो के शिलालेख" पर लिखे शोध के लिए डॉक्टर दोमेनिको बेनोसी को  और "मध्य-दक्षिणी टस्कनी की ख्रीस्तीय स्थलाकृति" मोनोग्राफ के लिए डॉक्टर गैब्रिएल कास्टिलिया को, संयुक्त रूप से परमधर्मपीठ के रजत पदक से सम्मानित करते हैं।"

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने संत पापा फ्राँसिस की ओर से 3 विद्वानों को परमधर्मपीठीय अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया।

परमाध्यक्ष और डे रॉस्सी

अपने पत्र में, संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि कैसे विभिन्न परमाध्यक्षों ने डे रॉस्सी के प्रयासों की प्रशंसा की और उन्हें प्रोत्साहित किया।

संत पापा पियुस नवें ने 1852 में रोम और उसके उपनगरों के कब्रिस्तानों और प्राचीन ख्रीस्तीय इमारतों की अधिक सुरक्षा, पर्यवेक्षण और वैज्ञानिक खनन के लिए पवित्र पुरातत्व आयोग की स्थापना की।

संत पापा लियो तेरहवें अपने जीवन के अंतिम समय में रोमन पुरातत्वविद् डे रॉस्सी को कास्टेल गंडोल्फो के संत पापा ग्रीष्मकालीन महल में अतिथि के रूप में चाहते थे।

संत पापा के समर्थन से डे रॉस्सी ने परमधर्मपीठ को सबसे महत्वपूर्ण काटेकोम्ब की भूमि खरीदने के लिए प्रेरित किया, ताकि प्रारंभिक ख्रीस्तीय धर्म की मौलिक गवाही को संरक्षित किया जा सके, जिसके लिए पुरातत्वविद् ने अपने अध्ययन और खुदाई को समर्पित किया।

प्रारंभिक ख्रीस्तियों के विश्वास को पुनर्जीवित करना

19वीं शताब्दी के मध्य में डे रॉस्सी के प्रयासों के बदौलत संत कलिस्तो का सबसे प्राचीन कब्रिस्तान परिसर प्रकाश में आया और तीसरी शताब्दी से संत पापा की तहखाना और संत सेसिलिया की पहचान की गई। इस प्रयास ने विशेषज्ञों और विश्वासियों को पुरातात्विक साक्ष्यों और उनके माध्यम से उन प्राचीन ख्रीस्तीय समुदायों के दृढ़ और उत्कट विश्वास के करीब लाया।

संतस पापा ने कहा, "पुरातत्वविद् ने रोमन शहीदों की कई कब्रों की खोज की और अपने सहयोगियों एवं युवा विद्वानों के साथ मिलकर उनके सम्मान को पुनर्जीवित किया।" "शहीदों की कब्रें और उनकी यादें महान रोमन पुरातत्वविद् के हित के विशेषाधिकार प्राप्त केंद्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिन्होंने ख्रीस्तीय काटेकोम्बों से आने वाले संदेश को समझने के लिए एक जीवंत अनुशासन की नींव रखी, जिसे जी उठने के इन्तजार में अस्थायी विश्राम स्थानों के रूप में समझा जाता है।"

संत पापा ने कहा कि डे रॉस्सी ने "उन भूमिगत क़ब्रिस्तानों के गहरे महत्व को प्रकाश में लाया जहां कलीसिया के सभी सदस्यों के बीच बंधुत्व और समानता थी।"

संत पापा फ्राँसिस ने 25वें आम सभा में सभी शिक्षाविदों और प्रतिभागियों को ख्रीस्तीय मानवतावाद को बढ़ावा देने के लिए और अधिक उपयोगी प्रतिबद्धता की कामना करते हुए अपना संदेश समाप्त किया।

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02 फ़रवरी 2022, 15:31