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पूर्वी कलीसियाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस पूर्वी कलीसियाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

युद्ध की सीख को अभी भी अनसुनी की जा रही है, पोप फ्राँसिस

पूर्वी कलीसियाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सदस्यों से शुक्रवार को मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने मध्यपूर्व, सीरिया और इराक में संघर्ष के कारण नरसंहार की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि "मानवता अभी भी अंधेरे में टटोलती दिख रही है" और "पूर्वी यूरोप के मैदानों में खतरनाक हवाएँ बह रही हैं।”

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 19 फरवरी 2022 (रेई) ˸ वाटिकन में शुक्रवार को पूर्वी कलीसियाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सदस्यों की आमसभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा अपने पूर्वाधिकारी संत पापा बेनेडिक्ट 15वें से प्रेरित थे, जिन्होंने धर्मसंघ की स्थापना की है।   

उन्होंने गौर किया कि पोप बेनेडिक्ट 15वें ने समानता पर जोर दिया था और कहा था कि येसु ख्रीस्त की कलीसिया में न तो लातीनी, न ग्रीक, न स्लाव बल्कि काथलिक हैं जहाँ उनके बच्चों के बीच कोई भेदभाव नहीं होता।"

युद्ध की कठोरता  

अपने परमाध्यक्षीय काल में संत पापा बेनेडिक्ट 15वें ने "व्यर्थ हत्या" कहकर युद्ध की कठोरता की निंदा की थी। पोप फ्राँसिस ने रेखांकित किया कि उनकी चेतावनी किस तरह प्रथम विश्व युद्ध के समय राष्ट्रों के नेताओं के द्वारा अनसुनी कर दी गई थी। उसी तरह इराक में संघर्ष के दौरान संत पापा जॉन पौल द्वितीय की अपील को भी अनसुनी की गई।  

आज के विश्व की स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि "मानवता अभी भी अंधेरे में टटोलती दिख रही है।" उन्होंने मध्यपूर्व, सीरिया, इराक, इथोपिया के टाइग्रे प्रांत और लेबनान में संघर्ष के कारण नरसंहार पर प्रकाश डाला।  

उन्होंने कहा, "वे पूर्वी काथलिक कलीसिया की मातृभूमि हैं, जहाँ वे बढ़े, हजारों साल पुरानी अपनी परम्पराओं को सुरक्षित रखा और आपमें से कई जो परिषद के सदस्य हैं उनके बच्चे और वंशज हैं।"

संत पापा ने कहा, "ऐसा लगता है कि शांति के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार युद्ध को दिया जाना चाहिए ˸ जो एक विरोधाभास है। हम युद्ध से आकर्षित हैं और यह दुखद है। मानवता जो विज्ञान, विचार, कई सुन्दर चीजों में विकास का दावा करती है, शांति को पीछे छोड़ रही है। वह युद्ध करने की चैम्पियन है और यह हम सभी को शर्मिंदा कर रही है। हमें इस मनोभाव के लिए प्रार्थना करना और क्षमा मांगना चाहिए।         

संत पापा फ्राँसिस ने "खतरनाक हवाओं" पर भी प्रकाश डाला जो अभी भी पूर्वी यूरोप के मैदानों में बह रही है। हथियारों की आग जला रही है और गरीबों एवं निर्दोष लोगों के दिल को ठंढ़ा छोड़ दी है।"

पूर्वी काथलिक परम्परा

संत पापा ने सदस्यों से कहा कि उनका जीवन अतीत के सोने के बहुमूल्य चूर्ण और वर्तमान में कई लोगों के विश्वास के साहसी साक्ष्य के मिश्रण के समान है।  

हालांकि उन्होंने जोर देते हुए कहा कि "दयनीय स्थिति की मिट्टी जिसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं तथा दर्द जो बाह्य शक्तियों द्वारा मिला है वह भी शामिल है।" संत पापा फ्राँसिस ने सुदूर महाद्वीपों में पूर्वी काथलिकों द्वारा बनाए गए रास्तों और धर्मप्रांतों पर जोर दिया जिनको कनाडा में, संयुक्त राज्य अमेरिका में, लैटिन अमेरिका में, यूरोप में, ओशिनिया में, और कई अन्य देशों में स्थापित किये गये हैं, जिन्हें  कम से कम इस समय के लिए लातीनी धर्माध्यक्षों को सौंपे गये हैं।  

सुनने की शक्ति

अपने सम्बोधन में संत पापा ने सुसमाचार प्रचार एवं विभिन्न परम्पराओं की समृद्धि को अधिक से अधिक सुनने के महत्व पर गौर किया। खासकर, उन्होंने वयस्कों के नये  ख्रीस्तीय बनने पर प्रकाश डाला जो एक ऐसा दस्तूर है जिसको पूर्वी कलीसिया ने सुरक्षित रखा है। संत पापा ने कहा कि इसमें एक ऐसा अनुभव है कि हमारी मानवता की मिट्टी अपने आप आकार देने देती है, विकल्पों को बदलकर अथवा आवश्यक सामाजिक विश्लेषण द्वारा नहीं बल्कि पुनर्जीवित प्रभु के वचन एवं आत्मा के द्वारा।

धर्मविधि सम्मेलन की 25वीं वर्षगाँठ मनायी जा रही है और इस अवसर पर, इस सप्ताह रोम में पूर्वी कलीसियाओं के सिद्धांतों के धर्मविधि निर्धारण किये जा रहे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए संत पापा ने कहा कि "यह विभिन्न स्वतंत्र कलीसियाओं के धर्मविधिक आयोग के अंदर एक-दूसरे को जानने का एक अवसर है, यह द्वितीय वाटिकन ख्रीस्तीय एकता समिति के बताये रास्ते पर, परिषद एवं इसके परामर्शदाताओं के साथ मिलकर चलने का निमंत्रण है।"  

संत पापा ने कहा कि केवल सहानुभूतिपूर्ण काथलिक कलीसिया ही दूसरी परम्पराओं उनकी खोज एवं सुधार को सुन सकती है साथ ही अपने मूल को भी सुरक्षित रख सकती है।  

सहभागिता का साक्ष्य

संत पापा ने कहा, "आइये हम न भूलें कि ऑर्थोडॉक्स एवं ऑरियंटल ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं के भाई हमें देख रहे हैं यद्यपि हम उनके साथ एक यूखरिस्त की वेदी में भाग नहीं लेते, फिर भी हम करीब एक ही धर्मविधि को मनाते और प्रार्थना करते हैं। इसलिए, आइए उन प्रयोगों से सावधान रहें जो सभी मसीह के शिष्यों की दृश्य एकता की यात्रा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।"

संत पापा ने अंत में कहा कि दुनिया को सहभागिता के साक्ष्य की जरूरत है। "यदि हम धर्मविधि के बहस द्वारा ठोकर उत्पन्न करते हैं तब हम उसके शिकार बनेंगे जो विभाजन का स्वामी है।"  

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19 February 2022, 12:44