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डियाकोनिया ऑफ ब्यूटी (सुन्दरता की सेवा) संगठन के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस डियाकोनिया ऑफ ब्यूटी (सुन्दरता की सेवा) संगठन के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  

कला ईश्वर के लिए प्यासी है, पोप फ्राँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने डियाकोनिया ऑफ ब्यूटी (सुन्दरता की सेवा) संगठन की 10वीं वर्षगाँठ पर इसके सदस्यों को बधाई दी एवं कलाकारों को प्रोत्साहन दिया कि वे ईश्वर के सौंदर्य को दूसरों में ईश्वर के प्रति प्यास की प्रेरणा के रूप में बदलें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 फरवरी 2022 (रेई) ˸ डियाकोनिया ऑफ ब्यूटी संगठन जब अपनी स्थापना की 10वीँ वर्षगाँठ मना रहा है संत पापा ने बृहस्पतिवार को कलाकार सदस्यों से मुलाकात की तथा उन्हें कलीसिया की सेवा के लिए धन्यवाद दिया।

कलाकारों एवं कलीसिया के बीच आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने हेतु 2012 में स्थापित सुन्दरता की सेवा संगठन सदस्यों को शिक्षा, प्रार्थना और आध्यात्मिक एवं आर्थिक समर्थन प्रदान करता है, जो संगीतकार, कवि, गायक, चित्रकार, वास्तुकार, मूर्तिकार, अभिनेता और नर्तक हैं।  

संत पापा ने स्मरण किया कि पवित्र धर्मग्रंथ ब्रह्मांड की सुंदरता के बारे में विस्तार से बताता है, जो कि सृष्टिकर्ता ईश्वर की सुंदरता के सादृश्य द्वारा संदर्भित है।

संत पापा ने कहा, "कलात्मक रचना, एक निश्चित अर्थ में, सृष्टि की सुंदरता को पूरा करती है, और जब यह विश्वास से प्रेरित होती है, तो लोगों के लिए उस दिव्य प्रेम को और अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट करती है जो इसका मूल है।"

ईश्वर के लिए प्यास

संत पापा ने संगठन के 10 वर्षों के कार्य एवं ईश्वर प्रदत्त क्षमताओं को प्रेम और उत्साह के साथ दूसरों के बीच बांटने के लिए उनकी सराहना की ताकि विश्वास एवं सुसमाचार के संदेश को फैलाया जा सके।  

उन्होंने कहा कि सुन्दरता समन्वय उत्पन्न कर सकता है, सालों के बाद भी, क्योंकि कला एक निश्चित अवधि के लिए सीमित नहीं होती।  

"कला एक स्थान के लिए भी सीमित नहीं होती क्योंकि सुन्दरता हरेक व्यक्ति को छू सकता है, भाषा एवं संस्कृति से बाहर निकलते हुए, यह विश्वव्यापी है, खासकर ईश्वर के प्रति प्यास।"

सच्ची कला सौंदर्य एवं ईश्वर की अच्छाई के बारे आलंकृत भाषा में बोल सकती है।  संत पापा जॉन पौल द्वितीय के साथ संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि कला को "बोधगम्य, और जहाँ तक संभव हो आकर्षक बनाना चाहिए, आत्मा की, अदृश्य की, ईश्वर की दुनिया। इसलिए इसका अर्थपूर्ण शब्दों में अनुवाद करना चाहिए जो अपने आप में अक्षम्य है।"

स्नेह एवं विश्वास की नजर

संत पापा ने कलाकारों से आग्रह किया कि वे कला की "समझ से बाहर और मुहरबंद" शैली बनाने के बजाय, हमारे समय के पुरुषों और महिलाओं तक इस तरह से पहुंचें ताकि उन्हें समझा जा सके।

"उनके सबसे अच्छे हिस्से तक पहुंचने की कोशिश करें। कलीसिया आज आप पर निर्भर है कि आप हमारे भाइयों और बहनों को एक संवेदनशील और करुणामय हृदय, दुनिया और दूसरों के प्रति प्रेम की एक नई दृष्टि रखने में मदद करें।"

संत पापा ने कहा कि इस समय समाज में उदासी और दूरियों का बोलबाला है। उन्होंने आगे कहा कि कलाकारों का कार्य दुनिया को उस सुंदरता को फिर से खोजने में मदद करता है जिसे ईश्वर मानवता के साथ साझा करते हैं।

अंत में, उन्होंने कहा कि "सुंदरता के साथ संपर्क हमें हमेशा ऊपर उठाता और हमें आगे बढ़ने में मदद करता है। विश्वास को जीवंत और निरंतर बनाए रखते हुए, कला प्रभु के पास जाने का मार्ग है।"

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17 February 2022, 16:43