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इतालवी टेलीविजन कार्यक्रम "के टेम्पो के फ़ा" में संत पापा फ्राँसिस मेजबान फैबियो फ़ाज़ियो के साथ बातें करते हुए इतालवी टेलीविजन कार्यक्रम "के टेम्पो के फ़ा" में संत पापा फ्राँसिस मेजबान फैबियो फ़ाज़ियो के साथ बातें करते हुए 

'युद्ध एक विरोधाभास है,' संत पापा फ्राँसिस

इतालवी टेलीविजन कार्यक्रम "के टेम्पो के फ़ा" में संत पापा फ्राँसिस मेजबान फैबियो फ़ाज़ियो के साथ बातचीत की। यह पूछे जाने पर कि वे पीड़ा और अकथनीय पीड़ा की इतनी सारी कहानियों का भार कैसे सहन करते हैं, संत पापा ने उत्तर दिया, "सारी कलीसिया मेरी मदद करती है।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 07 फरवरी 2022 (वाटिकन न्यूज) :  "युद्ध एक विरोधाभास है," संत पापा फ्राँसिस ने रविवार रात को इतालवी टेलीविजन प्रस्तोता फैबियो फ़ाज़ियो के साथ ‘के टेम्पो के फ़ा’ कार्यक्रम पर बातचीत के दौरान कहा।

कासा सांता मार्था में अपने निवास से बोलते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने विभिन्न प्रकार के मुद्दों के बारे में सवालों के जवाब दिए: युद्ध, प्रवासी, सृष्टि की रक्षा, माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध, बुराई और पीड़ा, प्रार्थना, कलीसिया का भविष्य और मित्रों की आवश्यकता इत्यादि । उन्होंने यह भी पुष्टि की और कहा, कि क्षमा "एक मानव अधिकार" है, "क्षमा किए जाने की क्षमता एक मानव अधिकार है। यदि हम क्षमा मांगते हैं तो हम सभी को क्षमा मिलने का अधिकार है।"

प्रवास

‘प्रवास’ संत पापा के प्रिय विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया, एक विषय, जो दुखद रूप से ग्रीस और तुर्की के बीच सीमा पर बारह प्रवासियों के शीतलहर से मृत पाए जाने की हालिया खबरों के बाद भी सामयिक है। संत पापा के लिए यह "उदासीनता की संस्कृति" का संकेत है और यह "वर्गीकरण की समस्या" भी है: जहाँ युद्ध पहली जगह पर है और दूसरे स्थान पर लोग हैं।

उन्होंने कहा कि यमन एक उदाहरण है, "यमन कब से युद्ध से पीड़ित है और हम कब से यमन के बच्चों के बारे में बातें कर रहे हैं? एक स्पष्ट उदाहरण, और वर्षों से समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है। मैं अतिशयोक्ति नहीं करना चाहता, यदि दस साल नहीं तो भी निश्चित रूप से सात से अधिक। ऐसी श्रेणियां हैं जो मायने रखती हैं, और अन्य सबसे नीचे हैं: बच्चे, प्रवासी, गरीब, जिनके पास भोजन नहीं है। इनकी गिनती नहीं है, कम से कम उनकी गिनती पहली जगह में नहीं है। क्योंकि ऐसे लोग हैं जो इन लोगों से प्यार करते हैं, जो उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन सार्वभौमिक कल्पना में युद्ध, हथियारों की बिक्री क्या मायने रखती है। जरा सोचिए कि एक साल बिना हथियार बनाए आप पूरी दुनिया को मुफ्त में खाना और शिक्षा दे सकते हैं। लेकिन यह पृष्ठभूमि है, ”संत पापा फ्राँसिस ने कहा।

संत पापा ने कहा, हम समुद्र तट पर मृत पाए गए छोटे सीरियाई बच्चे एलन कुर्दी और उनके जैसे कई अन्य बच्चों को "जिन्हें हम नहीं जानते" और जो हर दिन "ठंड से मरते हैं" के बारे में सोचते हैं। हालांकि, युद्ध प्राथमिक श्रेणी पर बनी हुई है: "हम देखते हैं कि इसके लिए कैसे अर्थव्यवस्थाएं जुटाई जाती हैं और आज सबसे महत्वपूर्ण क्या है, युद्ध: वैचारिक युद्ध, शक्तियों का युद्ध, वाणिज्यिक युद्ध और इतने सारे हथियार कारखाने।"

युद्ध

युद्ध की बात करते हुए, जब यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे तनाव के बारे में पूछा गया तो संत पापा इस भयानक वास्तविकता की जड़ों को याद करते हुए इसे "सृष्टि का एक विरोधाभास" कहा, जो कि उत्पत्ति ग्रंथ के काइन और हाबिल के बीच 'युद्ध' और बाबेल के मिनार पर वापस जाते हैं।

उन्होंने कहा, "भाइयों के बीच युद्ध" ईश्वर द्वारा पुरुष और स्त्री की सृष्टि के तुरंत बाद दिखाई दी।

“सृष्टि की एक 'विरोधी भावना' जैसी कोई चीज़ होती है, वह है युद्ध, जो हमेशा विनाशकारी होती है। उदाहरण के लिए, जमीन पर काम करना, बच्चों की देखभाल करना, परिवार का पालन-पोषण करना, समाज का विकास करना: यह निर्माण है। युद्ध करना विनाश करना है। यह विनाश की एक यांत्रिकी है।”

प्रवासियों के साथ आपराधिक व्यवहार

संत पापा फ्राँसिस हजारों प्रवासियों के लिए आरक्षित "आपराधिक" व्यवहार के बारे चर्चा करते हैं। संत पापा ने कहा कि न प्रवासियों को समुद्र तक पहुँचने के लिए बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। उन्होंने लीबिया के "बंद शिविरों" की निंदा करते हुए कहा, "जो लोग पलायन करना चाहते हैं, वे तस्करों के हाथों कितनी पीड़ा सहते हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसी कई फिल्में हैं जो इसे दिखाती हैं, जिनमें कई ऐसी भी हैं जो मानव विकास विभाग के प्रवासी और शरणार्थी अनुभाग में पाई जा सकती हैं।

संत पापा ने कहा, "वे कई तरह से कष्ट सहते हैं और फिर भी वे भूमध्यसागरीय पार करने का जोखिम उठाते हैं। फिर, कभी-कभी, उन्हें ऐसे व्यक्तियों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, जो स्थानीय जिम्मेदारी की भावना से कहते हैं, 'नहीं, वे यहां नहीं आ सकते', ऐसे जहाज हैं जो बंदरगाह की तलाश में घूमते रहते हैं और  फिर उन्हें मजबूर होकर वापस लौटना पड़ता है या वे समुद्र में मर जाते हैं। यह आज हो रहा है। ”

संत पापा ने इस सिद्धांत को फिर से दोहराया जैसा कि उन्होंने अन्य अवसरों पर इसके बारे में कहा था कि "प्रत्येक देश को यह निर्धारित करना होगा कि वह कितने प्रवासियों को स्वीकार कर सकता है। यह "राजनीति की एक आंतरिक समस्या है जिस पर पूरी तरह से विचार किया जाना चाहिए," विभिन्न देश अलग-अलग संख्या को लेकर अड़े हुए हैं।" संत पापा ने कहा कि हमें "यूरोपीय संघ से सहमत होना होगा, ताकि हम एकता में एक संतुलन हासिल कर सकें। " इसके बजाय, केवल "अन्याय" उभरता हुआ प्रतीत होता है: "वे स्पेन और इटली, दो निकटतम देशों में आते हैं और उन्हें कहीं और स्वीकार नहीं किया जाता है।"

संत पापा फ्राँसिस ने चार प्रमुख शब्दों को दोहराया : “प्रवासियों का स्वागत करना, साथ देना, बढ़ावा देना और समाज में एकीकरण किया जाना। संत पापा ने कहा कि प्रवासियों का स्वागत करना है क्योंकि वे कठिनाइयों में हैं, फिर उन्हें साथ देने, बढ़ावा देने और समाज में एकीकृत करने की ज़रूरत है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि  यहूदीवाद और कट्टरपंथी विचारधाराओं से पैदा हुए अतिवाद से बचने के लिए उन्हें स्वागत किये गये देशों में एकीकृत करना आवश्यक है।

दुनिया में विभाजन

‘दुनिया में विभाजन’ के बारे में फाबियो द्वारा पूछे जाने पर, संत पापा फ्राँसिस ने अपने श्रोताओं से इस पर चिंतन करने का आग्रह किया। संत पापा ने कहा कि दुनिया विभाजित प्रतीत होता है - एक ऐसा विभाजन, जहाँ दुनिया के एक हिस्सा विकसित होता दिखाई देता है, जहाँ लोगों के पास "स्कूल, विश्वविद्यालय, काम की संभावना" है और दूसरा हिस्सा जहां "बच्चे मर रहे हैं, प्रवासी डूब रहे हैं, अन्याय जो हम अपने देशों में भी देखते हैं।" दूसरों की जरूरतों को देखने से बचने के लिए, दूसरी तरफ देखने का एक बहुत ही "बदसूरत" प्रलोभन है।

संत पापा ने स्वीकार किया कि मीडिया दुनिया की दैनिक घटनाओं को दिखाता है, लेकिन हम जो देखते हैं, उससे दूरी बना लेते हैं, हम उन वास्तविकताओं से पीछे हट जाते हैं।

उन्होंने कहा, “यह एक त्रासदी है! कहते हुए हम थोड़ी बहुत शिकायत करते हैं, और फिर ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।" संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा, "देखना काफी नहीं है, महसूस करना जरूरी है, छूना जरूरी है।" "हम दुखों को 'स्पर्श' करने से चूक जाते हैं; स्पर्श हमें वीरता की ओर ले जाता है। मैं उन डॉक्टरों और नर्सों के बारे में सोचता हूँ जिन्होंने इस महामारी में अपनी जान दे दी: उन्होंने बुराई को छुआ और बीमारों के साथ रहने का चुनाव किया।”

सृष्टि की देखभाल

संत पापा ने कहा कि यही सिद्धांत पृथ्वी पर भी लागू होता है। एक बार फिर, संत पापा फ्राँसिस ने सृष्टि की देखभाल करने के अपने आह्वान को दोहराते हुए कहा, "यह एक सबक है जिसे हमें सीखना है।" संत पापा ने अमेज़ॅन और वनों की कटाई की समस्याओं, ऑक्सीजन की कमी, जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करते हुए कहा कि "जैव विविधता की मृत्यु," "धरती माता को समाप्त करने" का जोखिम है।

संत पापा ने इटली के सान बेनेदेत्तो देल त्रोंतो के मछुआरों के उदाहरण दिया, जिन्होंने एक वर्ष में लगभग तीन मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र से निकाली और सभी तरह के कचरे को हटाने के लिए कार्रवाई की। संत पापा ने कहा, "हमें यह मनोभाव रखना होगा: कि हमें अपनी धरती माता का ध्यान रखना है।"

देखभाल का मनोभाव

संत पापा फ्राँसिस ने "देखभाल" के मनोभाव का आह्वान किया, जो सामाजिक दृष्टिकोण से भी कमी प्रतीत होती है। उन्होंने कहा, आज हम जो अनुभव कर रहे हैं वह वास्तव में "सामाजिक आक्रामकता" की समस्या है, जैसा कि बदमाशी की घटना से देखा जाता है।

युवा लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि युवा बहुत ज्यादा दूसरों से जुड़े रहने के बावजूद कभी-कभी "अकेलेपन की अविश्वसनीय भावना" से पीड़ित होते हैं। संत पापा फ्राँसिस ने किशोरों के माता-पिता से सीधे बात की, जो कभी-कभी "दूसरों की पीड़ा" को समझने के लिए संघर्ष करते हैं।

संत पापा ने माता-पिता और बच्चों के बीच के संबंध को एक शब्द में अभिव्यक्त किया, वह है- "निकटता।"

"जब युवा दम्पति पापस्वीकार करने के लिए आते हैं या जब मैं उनसे बात करता हूँ, तो मैं हमेशा एक सवाल पूछता हूँ: 'क्या आप अपने बच्चों के साथ खेलते हैं?' बच्चे के प्रति पिताजी और मां की उदारता। कभी-कभी मुझे परेशान करने वाले उत्तर मिलते हैं: पिता कहता है, “जब मैं घर से काम के लिए निकलता हूँ तो वे सो रहे होते हैं और जब मैं रात को वापस आता हूँ तो वे फिर से सो जाते हैं।” संत पापा ने कहा कि यह एक क्रूर समाज है जो अपने बच्चों से खुद को अलग कर लेता है।

उन्होंने "बच्चों के साथ उदारता" के महत्व पर जोर देते हुए माता पिता से कहा कि उन्हें बच्चों के साथ खेलना चाहिए। और बच्चों से बातों से, उनकी अटकलों से उन्हें डरना नहीं चाहिए, यहां तक कि युवा और किशोर जब फिसल जाते हैं, तो माता और पिता के रुप में उसके करीब रहना चाहिए।

निकटता

'निकटता' के विषय पर, साक्षात्कारकर्ता, श्री फैज़ियो ने पोप फ्रांसिस की एक प्रसिद्ध कहावत को सामने लाया: "एक व्यक्ति का उपर से दूसरे व्यक्ति को नीचे देखने का एकमात्र कारण उसे उपर उठाना है।"

संत पापा ने कहा, "यह सच है, समाज में, हम देखते हैं कि लोग कितनी बार दूसरों पर हावी होने के लिए, उन्हें वश में करने के लिए, उठने में मदद करने के बजाय उन्हें नीचा देखते हैं।" "जरा सोचें - यह एक दुखद कहानी है, लेकिन यह रोजमर्रा की कहानी है - उन कर्मचारियों की जिन्हें अपने शरीर द्वारा नौकरी की स्थिरता की कीमत चुकानी पड़ती है, क्योंकि उनके मालिक उन पर हावी होते हैं।" दूसरी ओर, ऊपर से दूसरे को देखने का कार्य "महान" और जायज है, अर्थात् किसी का हाथ पकड़कर कहना, "खड़े हो जाओ भाई, बहन खड़ी हो जाओ।"

स्वतंत्रता

बातचीत के दौरान स्वतंत्रता की अवधारणा पर, संत पापा ने कहा कि यह ईश्वर की ओर से एक उपहार है, लेकिन यह बुराई करने में भी सक्षम है।" उन्होंने कहा, "चूंकि ईश्वर ने हमें स्वतंत्रता दी है, हम अपने निर्णयों के स्वामी हैं और गलत निर्णय लेने में भी सक्षम हैं।" संत पापा ने भी बुराई की अवधारणा पर ध्यान दिया।

प्रस्तुतकर्ता फाबियो ने पूछा, "क्या कोई ऐसा है जो ईश्वर की क्षमा और दया या मनुष्यों की क्षमा के योग्य नहीं है?"

संत पापा फ्राँसिस ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनका जवाब "कुछ लोगों को सदमा" दे सकता है। "क्षमा करने की क्षमता एक मानव अधिकार है।"

"अगर हम क्षमा मांगते हैं तो हम सभी को क्षमा करने का अधिकार है। यह एक अधिकार है जो ईश्वर के स्वभाव से आता है और मानवजाति को विरासत के रूप में दिया गया है। हम भूल जाते हैं कि जो क्षमा मांगता है उसे क्षमा करने का अधिकार है। [कुछ लोग कह सकते हैं] 'आपने कुछ गलत किया है तो आपको इसके लिए भुगतना होगा। नहीं! आपको क्षमा करने का अधिकार है और यदि आप पर समाज का कर्ज़ है, तो आप इसे चुकाने का एक तरीका खोज सकते हैं, लेकिन क्षमा के साथ।"

बुराई

संत पापा ने कहा, “लेकिन एक और प्रकार की बुराई है, वह बुराई जो कभी-कभी निर्दोषों पर प्रहार करती है और जो समझ से बाहर लगती है, जिससे लोगों को आश्चर्य होता है कि ईश्वर हस्तक्षेप क्यों नहीं करते हैं।

संत पापा ने समझाते हए कहा, "इतनी सारी बुराइयाँ है क्योंकि मनुष्य ने नियमों का पालन करने की क्षमता खो दी है, प्रकृति को बदल दिया है, अपनी खुद की मानवीय कमजोरियों के कारण भी बहुत सी चीजों को बदल दिया है और ईश्वर इसे जारी रखने की अनुमति देते हैं।” लेकिन कुछ सवाल अनुत्तरित रहते हैं: "बच्चे क्यों पीड़ित होते हैं?"

संत पापा फ्राँसिस ने स्वीकार किया, "मुझे इसके लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं मिल रहा है। मुझे विश्वास है, मैं ईश्वर से प्रेम करने की कोशिश करता हूँ जो मेरे पिता हैं, लेकिन मैं खुद से पूछता हूँ, कि बच्चे क्यों पीड़ित होते हैं? और मेरे पास कोई जवाब नहीं है। वे शक्तिशाली हैं, हाँ, प्रेम में सर्वशक्तिमान है। इसके विपरीत घृणा और विनाश दूसरे के हाथ में है, जिसने ईर्ष्या के माध्यम से दुनिया में बुराई बोया है। ”

 

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07 February 2022, 16:40