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संत पापाः संत योसेफ हमारी मध्यस्थता करें

संत पापा ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत योसेफ पर अपनी धर्मशिक्षा माला का समापन करते हुए इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि वे कैसे माता कलीसिया के लिए एक “संरक्षक संत” हैं।

दिलीप संजय एक्वा-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 16 फरवरी 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आज हम संत योसेफ पर अपनी धर्मशिक्षा माला का समापन करेंगे। धर्मशिक्षा के ये भाग प्रेरितिक पत्र पात्रिस कोरदे के पूरक स्वरुप हैं जो संत पापा धन्य पियुस नवें द्वारा संत योसेफ को कलीसिया के संरक्षक संत घोषणा की 150वीं बरसी के अवसर पर लिखे थे। लेकिन इस पदवी का अर्थ क्या हैॽ संत योसेफ का “कलीसिया के संरक्षक” होने का अर्थ क्या हैॽ

प्रधान संरक्षक, संत योसेफ

इस संदर्भ में भी सुसमाचार हमारे लिए व्याख्या की एक विशेष कुंजी प्रदान करती है। वास्तव में, सारी घटनाओं के अंत में जहाँ हम संत योसेफ को मुख्य नायक स्वरूप पाते हैं, सुसमाचार हमारे लिए यह रेखांकित करता है कि उन्होंने बालक और उसकी माता को अपने साथ लेते हुए वही किया जो उसे ईश्वर की ओर से निर्देशित किया गया (मत्ती.1.24,2.14,21)। इस तरह, हम योसेफ के कार्य को येसु और मरियम की सुरक्षा के रुप में पाते हैं। वे उनके प्रधान संरक्षक हैं, वास्तव में, “येसु और उनकी माता मरियम हमारे लिए विश्वास की अति मूल्यवान निधि हैं” (प्रेरितिक पत्र, पात्रिस कोरदे, 5)।

संरक्षण ख्रीस्तीय बुलाहट का सार

मुक्ति इतिहास की योजना में, पुत्र को हम माता से अलग नहीं कर सकते हैं, जो “विश्वास की तीर्थयात्रा में आगे बढ़ी और निष्ठापूर्ण ढ़ंग से अपने पुत्र के संग क्रूस तक अपनी एकता को बनाए रखा” (लुमेन जेंसियुम, 58) जैसे कि वाटिकन द्वितीय महासभा हमें याद दिलाती है।

येसु, मरियम और योसेफ एक अर्थ में कलीसिया के आधारभूत केंद्र-बिन्दु हैं। हमें अपने में यह पूछने की जरुरत है कि क्या हम येसु और मरियम को अपनी सारी शक्ति से सुरक्षित रखते हैं जो रहस्यात्मक तरीके के हमारे लिए उत्तरदायित्व, हमारी देख-रेख, सुरक्षा हेतु सौंपे गये हैं (पात्रिस कोरदे,5)। यहाँ हम ख्रीस्तीय बुलाहट की एक सुन्दरता को पाते हैं जो संरक्षण के रुप में आती है। यह जीवन की सुरक्षा करना है, मानव विकास की सुरक्षा करना, मानव विचार, हृदय और कार्य की रक्षा करना है। संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय, हम कह सकते हैं कि संत योसेक के समान है, जो दूसरों की रक्षा करता है। ख्रीस्तीय होना केवल विश्वास को धारण करना नहीं है, विश्वास की घोषणा मात्र नहीं बल्कि अपने जीवन की सुरक्षा, दूसरों के जीवन और कलीसियाई जीवन की सुरक्षा करना है। सर्वशक्तिमान ईश्वर का पुत्र इस दुनिया की एक बृहृद कमजोर परिस्थिति में आयें। उसे दुनिया में देख-रेख, सुरक्षा और सेवा की जरुरत थी। ईश्वर ने संत योसेफ को इसकी जिम्मेदारी सौंपी, जैसे कि उन्होंने मरियम के संग किया, जो उन्हें एक वर के रुप में पाती है जो उसे प्रेम करते और सम्मान के साथ उसकी और बालक की देख-रेख करते हैं। इस अर्थ में, “संत योसेफ कलीसिया के संरक्षण के सिवाय और कुछ नहीं हो सकते क्योंकि कलीसिया अपने में ख्रीस्त के शरीर का विस्तार है, और साथ ही कलीसिया के मातृत्व में हम मरियम के मातृत्व की झलक को पाते हैं। योसेफ, निरंतर कलीसिया के संरक्षक स्वरूप, बालक और उनकी माता की रक्षा सदैव करते हैं, साथ ही वे हमारी रक्षा भी करते हैं और कलीसिया को प्रेम करने में हमें, बालक और माता की भांति प्रेम करते हैं।”

संत योसेफ हमारे शिक्षक  

यही बालक है जो हमें कहेगा,“जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए भी किया तुमने वह मेरे लिये किया” (मत्ती.25.40)। अतः हर व्यक्ति जो अपने में भूखा और प्यास है, हर परदेशी, प्रवासी, हर नंगा व्यक्ति, हर बीमार और कैदी व्यक्ति की देख-रेख संत योसेफ करते हैं। हम उनकी तरह ही अपने सभी भाई-बहनों की देख-रेख करने हेतु आमंत्रित किये जाते हैं। यही कारण है कि वे सभी जरुरत में पड़े, निर्वासित, दुःखित और यहाँ तक की मृत्युशय्या में पड़े लोगों की रक्षा हेतु पुकारे जाते हैं जैसे कि विगत सप्ताह हमने कहा। हमें भी संत योसेफ से इन भले कार्यों को करने हेतु सीखने की जरुरत है- हमें बालक और माता को प्रेम करना है, संस्कारों से और ईशप्रजा, गरीबों औऱ हमारे पल्लियों से प्रेम करने की आवश्यकता है। इन सारी सच्चाइयों को हम सदैव बालक और माता के रुप में पाते हैं (पात्रिस कोरदे,5)। हमें उनकी सुरक्षा करने की आवश्यकता है ऐसा करने के द्वारा हम संत योसेफ की भांति येसु की सुरक्षा करते हैं।

कलीसिया से प्रेम करें

आज हम कलीसिया की टीका-टिप्पणी करते हुए सुनते हैं, उसकी खाम्मियों, पापों की, जो वास्तव में हमारी त्रुटियाँ, पाप हैं क्योंकि कलीसिया पापियों का एक समुदाय रहा है जिन्हें ईश्वरीय करूणा की आवश्यकता है। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम हृदय में, अपने आप से पूछें, कि क्या हम कलीसिया को प्रेम करते हैं, हम इसे किस रुप में प्रेम करते हैं। ईशप्रजा के रुप में जो एक तीर्थयात्रा करती है, जो अपनी कमियों में भी ईश्वर की सेवा पूजा करने उन्हें प्रेम करने की चाह रखती है। वास्तव में, केवल प्रेम के द्वारा ही हम सच्चाई को पूर्णरूपेण व्यक्त करने के योग्य होते हैं, हम उन बातों को आधी-अधूरी नहीं कहते जो गलत हैं, साथ ही हम कलीसिया में व्याप्त अच्छाई और पवित्रता को भी पहचानते हैं, जो विशिष्ट रुप में येसु और मरियम से शुरू होती है। संत पापा ने कहा कि हम कलीसिया से प्रेम करें, उसकी रक्षा करें और उसके साथ चलें। लेकिन कलीसिया वह छोटी समुदाय नहीं है जो पुरोहित के निकट रहती और सभों को संचालित करती है। हम सभी कलीसिया के अंग हैं जो एक दूसरे की देख-रेख करते हुए आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जब मुझे किसी से शिकायत है, तो क्या में उसकी रक्षा करने की कोशिश करूँ या तुंरत उसपर दोष लगाऊं, उसकी चुगली करूं, उनका नाम बर्बाद करूं। उन्होंने कहा कि हमें उसकी रक्षा करनी है।

संत योसेफ हमारे मध्यस्थ

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि मैं आप को संत योसेफ से मध्यस्थ प्रार्थना करने हेतु प्रोत्साहित करता हूँ खास कर उन समयों में जब आप, अपने को और अपने सुमदायों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में पाते हैं। जब हमारी गलतियाँ हमारे लिए अपमान का कारण बनती हैं तो हम संत योसेफ से सच्चाई को घोषित करने हेतु साहस की मांग करें, क्षमा की याचना करें और नम्रता में एक नई शुरूआत करें। जहाँ सतावटें हमें सुसमाचार की घोषणा करने से रोकती हैं, उन परिस्थितियों में हम संत योसेफ से शक्ति और धैर्य में बने रहने की कृपा मांगें जिससे हम सुसमाचार के कारण शोषण और दुःखों का सामना कर सकें। जब हम अपने जीवन में भौतिक चीजों और लोगों की कमी का एहसास करते, जो हममें दरिद्रता की अनुभूति लाती है विशेषकर जब हम सबसे गरीब, सुरक्षाहीन, अनाथों, बीमारों, समाज के परित्याक्तों की सेवा हेतु बुलाये जाते हैं, ऐसी परिस्थितियों में वे हमारे लिए कृपा के स्रोत बनें। कितने संतों ने उनकी दुहाई दी। कलीसिया के इतिहास में कितने ही लोगों ने उन्हें एक संरक्षक, एक अगुवे,एक पिता के रुप में पाया।

हम उनके उदाहरणों का अनुकरण करें, और इसी कारण आज हम सब संत योसेफ की प्रार्थना को मिलकर करते हुए, जो प्रेरितिक पत्र पात्रिस कोरदे के अंत में अंकित है, अपने निवेदनों को उन्हें अर्पित करेंगे, विशेषकर उन कलीसियाओं के लिए जो दुःखद स्थिति में हैं।

हे मुक्तिदाता के रक्षक, तेरी जय हो। धन्य कुंवारी मरियम के दूल्हे।

ईश्वर ने तुझे अपने एकलौते पुत्र को सौंपा,

तुझमें मरियम ने अपना भरोसा रखा,

तेरे साथ ख्रीस्त एक मानव बनें।

हे धन्य योसेफ, हमें भी,

अपने आप को एक पिता के रुप में दिखा और जीवन के मार्ग में हमारा मार्ग दर्शन कर।

हमें कृपा, दया और साहस दिला, और हर बुराई से हमें बचा, आमेन।

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16 February 2022, 15:12