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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ आपके जीवन में ईश्वर के साथ हमेशा संभवनाएँ हैं

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों को येसु का स्वागत करने का निमंत्रण दिया ताकि वे जीवन के सागर में बिना डर नाव चला सकें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 6 फरवरी 2022 (रेई) ˸ संत पापा फ्राँसिस ने 06 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। संत पापा ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभी विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की पूजन-विधि का सुसमाचार हमें गलीलिया समुद्र के तट पर ले चलता है। भीड़ येसु के चारों ओर जमा है वहीं हम सिमोन पेत्रुस के साथ कुछ निराश मछुवारों को पाते हैं जो रात भर अपने खाली प्रयास उपरांत जाल धो रहे होते हैं। ऐसी परिस्थिति में येसु सिमोन पेत्रुस की नाव में सवार हो जाते और उसे मछली पकड़ने के लिए समुद्र में चलने का निमंत्रण देते एवं जाल डालने को कहते हैं। (लूका.5.1-4) हम येसु के इन दो कार्यों पर थोड़ा रुककर चिंतन करें- पहला, वे नाव में चढ़ते और उसे गहरे समुद्र में ले चलने का निमंत्रण देते हैं।

खाली नाव हमारे जीवन की असमर्थता का प्रतीक

सबसे पहले येसु सिमोन की नाव में चढ़ते हैं। क्या करने के लिएॽ संत पापा ने कहा कि शिक्षा देने के लिए। वे उसी नाव की मांग करते हैं जो रातभर की मेहनत  के बाद भी मछलियों से खाली किनारे पर लौटती है। उन्होंने कहा कि हर दिन जीवन रूपी नाव हमारे घरों के किनारों को छोड़ते हुए जीवन के कार्यों रूपी समुद्र में जाती है। हम हर रोज “समुद्र से मछली पकड़ने” का प्रयास करते हैं, सपनों को संवारे की कोशिश करते हैं, परियोजनाओं को पूरा करते हैं, अपने संबंधों में प्रेम का अनुभव करने की कोशिश करते हैं। लेकिन बहुत बार पेत्रुस की भांति हमें “रात्रि के  खाली जालों” का अनुभव होता है, कठिन मेहनत करने पर भी हमें आशानुरूप परिमाण नहीं मिलता और हम निराशा के शिकार होते हैं, “हमने सारी रात मेहनत की और कुछ नहीं मिला”। कितनी बार हमें भी अपने जीवन में एक पराजय का शिकार होना पड़ता है जहाँ हम अपने हृदय में हताशी और कटुता को पनपता पाते हैं।

येसु हमारे जीवन की नाव पर सवार होते हैं

ईश्वर तब क्या करते हैंॽ वे हमारी नाव में सवार होने को चुनते हैं। वहाँ से वे सारी दुनिया के लिए सुसमाचार को घोषित करते हैं। यह विशेष रुप से वह खाली नाव है, हमारी अयोग्यता की निशानी जो येसु के लिए एक “मंच” बनती है जहाँ से वे अपने वचनों को घोषित करते हैं। ईश्वर हमारे जीवन की नाव में सवार होना पसंद करते हैं, जब हम अपने में उन्हें देने के लिए कुछ नहीं पाते, तो वे हमारे जीवन में प्रवेश करते हुए हमारे खालीपन को अपनी उपस्थिति से भर देते हैं। वे हमारी दरिद्रता को समृद्धि में बदलते हमारी कमजोरियों को अपनी कृपा का स्रोत बनाते हैं। हम सभी इस बात को याद करें, “ईश्वर एक क्रूज जहाज की चाह नहीं रखते हैं, बल्कि एक “जीर्ण” नाव ही उनके लिए काफी है, बशर्ते की हम उनका स्वागत करते हों। लेकिन क्या हम उन्हें अपने जीवन की नाव में आने देते हैंॽ क्या हम अपने जीवन की छोटी चीजों को उन्हें देते हैंॽ कभी-कभी हम अपने को उनके लिए अयोग्य समझते हैं क्योंकि हम पापी हैं। लेकिन यह एक बहाना है जिसे ईश्वर पसंद नहीं करते हैं क्योंकि यह उन्हें हम से दूर रखता है। वे निकट रहने वाले, करुणामय ईश्वर हैं, वे हमसे सर्वश्रेष्टता की चाह नहीं रखते हैं अपितु हमारे द्वारा स्वागत किये जाने की आशा रखते हैं। वे हमें भी कहते हैं, “मुझे तुम्हारे जीवन की नाव में चढ़ने दो, चाहे वह जैसा भी हो”।

कभी निराश न हों

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि इस भांति, ईश्वर पेत्रुस के विश्वास का पुननिर्माण करते हैं। उनकी नाव में चढ़कर उपदेश देने के बाद वे कहते हैं, “नाव को गहरे पानी में ले चलो”। यह मछली पकड़ने का उचित समय नहीं था परन्तु पेत्रुस येसु पर विश्वास करते हैं। वे अपने मछुवारे होने की अवधारणों पर आश्रित नहीं होते जिसे वे जानते हैं बल्कि वे येसु की नवीनता पर विश्वास करते हैं। हमारे लिए भी यही लागू होता है, यदि हम ईश्वर को अपनी नाव में आने देते तो हम समुद्र में निकल सकते हैं। येसु के संग हम भयविहीन जीवन रूपी समुद्र की यात्रा कर सकते हैं, कुछ नहीं पकड़े पर भी यह हमें हताश नहीं करता है, हम निराश हुए बिना यह नहीं कहते हैं,“और कुछ नहीं किया जा सकता है”। हमारे व्यक्तिगत जीवन और कलीसिया के जीवन में हम सदैव कुछ सुन्दर चीजों को कर सकते हैं। हम पुनः शुरूआत कर सकते हैं- ईश्वर सदैव हमें अपने पैरों में खड़ा होने का निमंत्रण देते हैं क्योंकि वे हमारे लिए नई संभावनाओं को खोलते हैं। अतः हम उनके निमंत्रण तो स्वीकार करें- हम अपने निराशावाद और अविश्वास को अपने से दूर करें औऱ येसु के संग समुद्र में निकलें। हमारे जीवन की छोटी नाव द्वारा भी हम एक चमत्कारिक ढ़ग से मछली पकड़ सकते हैं।

हम मरियम से निवेदन करें, जिन्होंने अपने जीवन की नाव में ईश्वर का स्वागत किया, वे हमें प्रोत्साहित करें और हमारे लिए निवेदन करें।

देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्रांसिस का संदेश

 

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06 February 2022, 14:16