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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना : उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो आपकी बुराई करते हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान, संत पापा फ्राँसिस ने लोगों को येसु के आदर्श पर चलने और क्रोध या हिंसा के बजाय दयालुता से पेश आने का निमंत्रण दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 20 फरवरी 2022 (रेई)- वाटिकन स्थिति संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 20 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ में येसु शिष्यों को जीवन के कुछ मूल दिशानिर्देश देते हैं। प्रभु सबसे कठिन परिस्थिति को लेते हैं जो हमारे लिए परीक्षा उत्पन्न करते हैं, जो हमें शत्रुओं एवं हमारे विरोधियों से सामना कराते हैं, जो हमेशा बुराई करने की कोशिश करते हैं। ऐसी स्थिति में येसु के शिष्य सहज प्रवृति एवं घृणा को स्थान नहीं देने, बल्कि उनसे दूर रहने के लिए बुलाये जाते हैं। येसु कहते हैं, "अपने शत्रुओं के प्रेम करो। जो तुम से बैर करते हैं, उनकी भलाई करो। (लूक.6,27) और अधिक ठोस : जो तुम्हारे एक गाल पर थप्पर मारता है, दूसरा भी उसके सामने कर दो।(29) लगता है कि प्रभु असंभव चीज की मांग कर रहे हैं। और कि शत्रुओं को क्यों प्यार करना है? यदि बदमाशों के प्रति कोई प्रतिक्रिया न दिखाया जाए, तब हर तरह के दुर्व्यवहार की शक्ति को बढ़ने की छूट मिल जायेगी, और यह सही नहीं है। लेकिन क्या यह ऐसा ही है? क्या प्रभु सचमुच असंभव एवं अन्याय की चीजों की मांग करते हैं?  

अच्छाई से बुराई पर जीत

 संत पापा ने कहा, "आइये हम अन्याय की भावना पर गौर करें जिसको हम दूसरे गाल भी सामने करने में महसूस करते हैं। हम येसु की याद करें, दुःखभोग के समय, महायाजकों के सामने उनकी अन्यायपूर्ण जाँच, इस बीच एक सिपाही से थप्पड़ मारा जाना। इसका प्रत्यत्तर वे किस भाव से देते हैं? वे सिपाही से कहते हैं : यदि मैंने बुरा कहा तो मुझे बता दो। लेकिन अगर मैंने सही कहा है तो मुझे क्यों मारते हो?(यो.18,23) वे अपने ऊपर की गई बुराई का हिसाब मांगते हैं। दूसरा गाल सामने कर देने का अर्थ चुपचाप सह लेना, अन्याय को स्थान देना, नहीं है। येसु अपने सवाल से अन्याय की निंदा करते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए वे न तो क्रोध और न हिंसा का सहारा लेते हैं। निश्चय ही, वे दयालुता के साथ ऐसा करते हैं। वे वाद-विवाद करना नहीं चाहते बल्कि प्रतिशोध को कम करना चाहते हैं। घृणा एवं अन्याय को समाप्त कर दोषी भाई में सुधार लाना चाहते हैं। यही दूसरा गाल सामने करना है। येसु की कोमलता उन्हें मिले थप्पड़ से अधिक कड़ा जवाब है। अपना गाल सामने करने का अर्थ पराजित होना नहीं है बल्कि एक बड़ी आंतरिक शक्ति है जो बुराई को अच्छाई से जीतती है। जो शत्रु के हृदय में दरार को खोल देती है, उसकी घृणा की व्यर्थता के मुखौटे को हटा देती है। यह हिसाब द्वारा नहीं बल्कि प्रेम द्वारा जीतती है। संत पापा ने कहा कि यह मुफ्त प्रेम है जिसको हम येसु से प्राप्त करते हैं जो हमारे हृदय में चीजों को उन्हीं के समान करने के लिए प्रेरित करता है जो हर प्रकार के प्रतिशोध का बहिष्कार करता। हम प्रतिशोध के आदी हैं, "तुमने मेरे साथ ऐसा किया, मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा करुँगा," अथवा अपने दिल में ईर्ष्या की भावना रखना, ईर्ष्या हानिकारक है यह व्यक्ति को नष्ट कर देता है।

शत्रुओं से प्रेम करना संभव कैसे

क्या यह संभव है कि एक व्यक्ति अपने शत्रु को प्यार कर सकता है? यदि यह सिर्फ हमपर निर्भर होता तो असंभव था। किन्तु याद रखें, जब प्रभु हमसे कुछ मांगते हैं तो वे देना भी चाहते हैं। प्रभु कभी भी ऐसी चीज की मांग नहीं करते जिसको वे पहले नहीं देते। जब वे शत्रु से प्रेम करने के लिए कहते हैं तो वे मुझे ऐसा कर पाने की शक्ति देना चाहते हैं। उस शक्ति के बिना हम नहीं कर पायेंगे किन्तु जब वे कहते हैं कि अपने शत्रु से प्रेम करो तो वे शत्रु से प्रेम करने की शक्ति प्रदान करते हैं। संत अगुस्टीन इस तरह प्रार्थना करते थे, प्रभु मुझे वही प्रदान कीजिए जिसको आप देते हैं और वही मांगिए जो आप चाहते हैं। (कनफेशन, X, 29.40),

क्योंकि आपने पहले मुझे दिया है आपसे क्या माँगू? संत पापा ने कहा कि ईश्वर मुझे क्या देना चाहते हैं? प्रेम करने की शक्ति, जो एक चीज नहीं है बल्कि पवित्र आत्मा है। प्रेम करने की शक्ति है पवित्र आत्मा। येसु की आत्मा से हम बुराई का जवाब अच्छाई से दे सकते हैं, बुराई करनेवाले को भी प्यार कर सकते हैं। ख्रीस्तीय ऐसा ही करते हैं। संत पापा ने कहा, "कितना दुःख होता है, जब ख्रीस्तीय होने पर गर्व करनेवाले लोग दूसरों को दुश्मन के रूप में देखते और युद्ध करने की सोचते हैं! यह बहुत दुखद है।"

हम दूसरों को कैसे माफ कर सकते हैं

संत पापा ने चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि क्या हम येसु के निमंत्रण को जीने का प्रयास करते हैं? हम एक ऐसे व्यक्ति की याद करें जिसने हमें दुःख दिया हो। यह आम बात है कि हमें दुसरों से दुःख सहना पड़ता है। क्या मुझमें नाराजगी है। हम इस नाराजगी के बगल में विनम्र येसु की तस्वीर रखें जिनको जाँच और उसके बाद थप्पड़ का सामना करना पड़ा था। उसके बाद हम पवित्र आत्मा से हमारे हृदय में कार्य करने के लिए प्रार्थना करें। अंत में हम उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करें, जिसने बुरा व्यवहार किया है। जब हमारे साथ कुछ बुरा हो जाता है तो हम सीधे दूसरों को बताने जाते और अपने आप में पीड़ित महसूस करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम जरा रूकें एवं प्रभु से प्रार्थना करें कि वे उनकी मदद करें, इस तरह नाराजगी की भावना कम होगी। उनके लिए प्रार्थना करना जो हानि पहुँचाते हैं बुराई को अच्छाई में बदलने के लिए पहली चीज है। कुँवारी मरियम हमें सभी लोगों के बीच शांति निर्माता बनने में मदद दे, खासकर उनके बीच जो विरोधी हैं और इसे पसंद नहीं करते।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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20 February 2022, 16:16