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अफ्रीका के ज़ाम्बिया में मिशनरी कार्यकर्त्ताओं का समूह (प्रतीकात्मक तस्वीर) अफ्रीका के ज़ाम्बिया में मिशनरी कार्यकर्त्ताओं का समूह (प्रतीकात्मक तस्वीर) 

दैनिक जीवन में ख्रीस्त के साक्षी बने, मिशन दिवस सन्देश

सन्त पापा फ्राँसिस ने, गुरुवार छः जनवरी को, 2022 के लिये निर्धारित मिशन दिवस के लिये अपना विशिष्ठ सन्देश जारी किया। सन्देश में उन्होंने ख्रीस्तानुयायियों से आग्रह किया है कि वे अपने दैनिक जीवन में येसु ख्रीस्त का साक्ष्य प्रदान करें।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 7 जनवरी 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने, गुरुवार छः जनवरी को,  2022 के लिये निर्धारित मिशन दिवस के लिये अपना विशिष्ठ सन्देश जारी किया। सन्देश में उन्होंने ख्रीस्तानुयायियों से आग्रह किया है कि वे अपने दैनिक जीवन में येसु ख्रीस्त का साक्ष्य प्रदान करें।  सन् 1926 ई. से सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया प्रति वर्ष मिशन दिवस मनाती आई है, जो 2022 में 23 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

मिशन दिवस के सन्देश का शीर्षक बाईबिल धर्मग्रन्थ के प्रेरित चरित ग्रन्थ के पहले अध्याय के आठवें पद से लिया गया हैः "तुम मेरे साक्षी होगे"।  सन्त पापा लिखते हैं,  "प्रत्येक ख्रीस्तीय धर्मानुयायी एक मिशनरी और येसु मसीह का साक्षी होने के लिए बुलाया गया है। येसु मसीह के शिष्यों का समुदाय अर्थात् कलीसिया का मिशन येसु ख्रीस्त की गवाही देकर सम्पूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार करना है, क्योंकि सुसमाचार प्रचार ही कलीसिया की पहचान है।"

दैनिक जीवन में ख्रीस्त के साक्षी

सन्त पापा ने कहा कि प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति, सामुदायिक रूप से, कलीसिया के मिशन कार्यों में भागीदार बनने के लिये आमंत्रित है तथा उसे अपने जीवन की सामान्य गतिविधियों में येसु ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिये। उन्होंने कहा कि मिशन कार्य अपनी पहल और अपने नाम पर नहीं अपितु कलीसिया के सन्देशवाहकों के रूप में सम्पादित किया जाना चाहिये। उन्होंने स्मरण दिलाया कि प्रभु येसु ख्रीस्त ने दो-दो की जोड़ी बनाकर अपने शिष्यों को सुसमाचार प्रचार के लिये भेजा था और यह इसलिये कि "येसु मसीह के प्रति ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के साक्ष्य की प्रकृति मुख्य रूप से समुदायवादी है।"

उन्होंने कहा, "ख्रीस्त के अनुयायियों से आग्रह किया जाता है कि वे अपने निजी जीवन को एक मिशनरी कुँजी में जियें: येसु ख्रीस्त ने उन्हें विश्व में केवल प्रचार कार्य के लिये नहीं भेजा था, बल्कि इसलिये भेजा था कि वे ख़ुद उन्हें सौंपे गये मिशन को अपने जीवन में जियें और अपने जीवन आचरण द्वारा सुसमाचार के प्रेम सन्देश को जन-जन में फैलायें।"

सन्त पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त के मिशनरियों का दायित्व है कि वे ईश्वर की मुक्ति के सुसमाचार का प्रचार करें,  अपनी क्षमताओं, योग्यताओं अथवा अपने प्रेरक गुणों का प्रदर्शन नहीं करें। उन्होंने कहा कि सुसमाचार प्रचार कार्य में  "ईसाई जीवन का उदाहरण और मसीह की घोषणा अविभाज्य तथ्य हैं, क्योंकि जीवन का उदाहरण एवं सुसमाचार प्रचार दोनों एक दूसरे की सेवा में है।"

पृथ्वी के ओर-छोर तक

सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने सन्देश में इस बात पर बल दिया कि स्वयं प्रभु येसु ख्रीस्त ने अपने शिष्यों को आदेश दिया था कि वे पृथ्वी के अन्तिम छोर तक सुसमाचार का प्रचार करें और यही कलीसिया का मिशन है। उन्होंने कहा कि आरम्भिक ख्रीस्तीयों ने सुसमाचार प्रचार के लिये कई अत्याचार सहे जो आज भी हो रहा है। उत्पीड़न के कारण उन्हें अपने घरों का पलायन कर अन्यत्र शरण मांगनी पड़ी थी, जो आज भी जारी है।

सन्त पापा ने कहा, "पृथ्वी के अन्तिम छोर तक", वाक्य, वर्तमानकालीन ख्रीस्तानुयायियों को भी चुनौती देनेवाला वाक्य है, ताकि वे उन लोगों को  सुसमाचार से परिचित करायें जो अब तक येसु और उनके सन्देश से अन्नभिज्ञ हैं।  उन्होंने कहा, "ख्रीस्त की कलीसिया नए भौगोलिक, सामाजिक और अस्तित्वगत क्षितिज की ओर, "सीमा रेखा" स्थानों और मानवीय स्थितियों की ओर "आगे बढ़ना" जारी रखेगी, ताकि प्रत्येक व्यक्ति, संस्कृति और सामाजिक स्थिति के पुरुषों और महिलाओं के लिए येसु मसीह और उनके प्रेम की गवाही दी जा सके।"   

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07 January 2022, 11:31