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विश्व मिशन दिवस पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस विश्व मिशन दिवस पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस  

मिशन दिवस संदेश : हरेक ख्रीस्तीय अपने दैनिक जीवन में ख्रीस्त का साक्षी है

संत पापा फ्राँसिस ने विश्व मिशन दिवस 2022 के लिए अपने संदेश को प्रकाशित किया। विश्व मिशन दिवस 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। संत पापा ने ख्रीस्तियों से अपील की है कि वे ख्रीस्त के मुक्तिदायी संदेश की घोषणा अपने दैनिक जीवन के हर आयाम में करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 6 जनवरी 2021 (रेई)- वाटिकन ने विश्व मिशन दिवस 2022 के लिए संत पापा के संदेश को प्रकाशित कर दिया है। संदेश का शीर्षक है “तुम मेरे साक्षी होगे।” (प्रे.च.1,8) सन् 1926 से ही कलीसिया विश्व मिशन दिवस मनाती है जिसे इस साल 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

संत पापा ने विश्व मिशन रविवार के लिए अपने संदेश में लिखा कि शीर्षक में निहित शब्द पुवर्जीवित प्रभु द्वारा स्वर्ग में आरोहित होने के पूर्व अपने शिष्यों के लिए कहे गये थे। जैसा कि प्रेरित चरित में कहा गया है, : “पवित्र आत्मा तुम लोगों पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम लोग येरूसालेम, सारी यहूदिया और समारिया में तथा पृथ्वी के अंतिम छोर तक मेरे साक्षी होगे।" (प्रे.च.1,8)

ये शब्द कलीसिया के मिशनरी स्वभाव का स्मरण दिलाते हैं।

संत पापा ने तीन मुख्य विन्दुओं पर चिंतन किया जो हरेक शिष्य के जीवन एवं मिशन के तीन आधारों पर जोर देते हैं: "तुम मेरे साक्षी होगे", "पृथ्वी के अंत तक" और "तुम्हें पवित्र आत्मा का सामर्थ्य प्राप्त होगा।"

"तुम मेरे साक्षी होगे"

हरेक ख्रीस्तीय का बुलावा है ख्रीस्त का साक्ष्य देना। संत पापा ने कहा है कि यह शिष्यों को दुनिया में भेजते हुए येसु की शिक्षा का केंद्रविन्दु है। शिष्यों को पवित्र आत्मा को ग्रहण करते हुए येसु का साक्ष्य देना है चाहे वे जहाँ कहीं भी जायें। ख्रीस्त सबसे पहले एक मिशनरी के रूप में पिता द्वारा भेजे गये थे। (यो.20,21) और वे पिता के निष्ठावान साक्षी बने रहे। (प्रकाश.1,5) उसी तरह हर ख्रीस्तीय एक मिशनरी बनने एवं ख्रीस्त का साक्ष्य देने के लिए बुलाया गया है। कलीसिया जो ख्रीस्त के शिष्यों का समुदाय है, पूरे विश्व में सुसमाचार का प्रचार करने एवं ख्रीस्त का साक्ष्य देने के अलावा इसका कोई दूसरा मिशन नहीं है। सुसमाचार का प्रचार करना ही कलीसिया की पहचान है।  

संत पापा ने स्मरण दिलाया है कि कलीसिया में हर बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति मिशन के लिए बुलाया गया है और इस मिशन को अकेला नहीं बल्कि कलीसियाई समुदाय में एक साथ पूरा करना है। यदि किसी कारण वश सुसमाचार के मिशन को अकेला करना पड़े तब भी कलीसिया से संयुक्त होकर ही इसे पूरा करना चाहिए। संत पौल छटवें अपने प्रेरितिक प्रबोधन एवंजेली नूनसियांदी में लिखते हैं, सुसमाचार प्रचार किसी के लिए व्यक्तिगत और एकाकी का कार्य नहीं है; यह गहराई से कलीसियाई है। यदि कोई प्रचारक या पुरोहित किसी दूरस्थ जगह में सुसमाचार प्रचार का कार्य सम्पन्न करता, एक छोटे समुदाय का निर्माण करता या संस्कार का अनुष्ठान करता है तब भी वह कलीसियाई कार्य सम्पन्न करता है और उसका कार्य विश्वव्यापी कलीसिया के साथ संस्थागत संबंध से जुड़ा हुआ है एवं कृपा के लिए अदृश्य रूप से संयुक्त है।

शिष्य मिशन को अपने व्यक्तिगत जीवन में जीने के लिए बुलाये जाते हैं। वे येसु द्वारा दुनिया में न केवल मिशन के लिए भेजे जाते, बल्कि सबसे बढ़कर प्राप्त मिशन को जीने के लिए बुलाये जाते हैं। न केवल साक्षी बनने बल्कि ख्रीस्त का साक्ष्य देने के लिए भेजे जाते हैं। संत पौलुस कहते हैं, "हम हर समय अपने शरीर में ईसा के दुःखभोग एवं मृत्यु का अनुभव करते हैं, जिससे ईसा का जीवन भी हमारे जीवन में प्रत्यक्ष हो जाए। (2कोर.4,10) मिशन का केंद्रविन्दु है ख्रीस्त का साक्ष्य देना, अर्थात् पिता के प्रति प्रेम एवं विनम्रता के लिए उनके जीवन, दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान का साक्ष्य देना।

संत पापा ने संदेश में कहा है कि हमें पुनर्जीवित ख्रीस्त का साक्ष्य देना एवं उनके जीवन को जीना है। ख्रीस्त के मिशनरी खुद का प्रचार करने, अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने अथवा अपने गुणों को दिखाने के लिए नहीं भेजे जाते हैं। उन्हें अपने वचनों एवं कार्यों से सभी लोगों को मुक्ति का शुभ संदेश सुनाना है जैसा कि प्रथम शिष्यों ने आनन्द और साहस के साथ किया था। संत पापा ने कहा कि सच्चा साक्ष्य एक शहादत है जिसमें व्यक्ति ख्रीस्त के लिए अपना जीवन अर्पित करता है। अतः संत पापा ने हरेक विश्वासी का आह्वान किया है कि वे साहस, खुलापन एवं प्रथम ख्रीस्तियों के उत्साह के साथ, जीवन के हर आयाम में अपने वचन और कर्म से ख्रीस्त का साक्ष्य दें।  

"पृथ्वी के सीमांतों तक"

भौगोलिक जगह का जिक्र करते हुए प्रभु बतलाना चाहते हैं कि वे कहाँ भेजे जायेंगे। "तुम लोग येरूसालेम, सारी यहूदिया और समारिया में तथा पृथ्वी के अंतिम छोर तक मेरे साक्षी होगे।" (प्रे.च.1,8) हम यहाँ शिष्यों के मिशन के विश्वव्यापी स्वभाव को देखते हैं। ख्रीस्तीय धर्मांतरण के लिए भेजे नहीं जाते बल्कि सुसमाचार की घोषणा करने के लिए बुलाये जाते हैं। येरूसालेम में प्रथम ख्रीस्तियों पर अत्याचार हुआ जिसके कारण वे यहूदिया और समारिया में फैल गये इस तरह प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय ने हर जगह येसु का साक्ष्य दिया। (प्रे.च.8:1,4). हमारे समय में भी यही हो रहा है। धार्मिक अत्याचार और युद्ध तथा हिंसा के कारण अनेक ख्रीस्तीय अपने मातृभूमि से दूसरे देशों की ओर भागने के लिए मजबूर हैं। संत पापा ने उन भाई बहनों की सराहना की जो अपने दुःख तकलीफ में बंद नहीं रहते बल्कि मेजबान देशों में ख्रीस्त का साक्ष्य देते हैं तथा ईश्वर का प्रेम प्रकट करते हैं।

"पृथ्वी के सीमांतों तक", ये शब्द हर युग में येसु के शिष्यों को चुनौती दे तथा उनका साक्ष्य देने के लिए नये स्थानों में जाने हेतु प्रोत्साहित करे। आधुनिक यातायात की सुविधाओं के बावजूद कई भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ ईश्वर के प्रेम के सुसमाचार का प्रचार मिशनरियों द्वारा नहीं किया जा सका है। अतः ख्रीस्त की कलीसिया नये भौगोलिक, सामाजिक क्षितिज की ओर जाना जारी रखेगी ताकि हर प्रकार की संस्कृति एवं सामाजिक स्थिति के लोगों तक ख्रीस्त एवं मानव के प्रति उनके प्रेम का साक्ष्य दिया जा सकेगा।  

"तुम पवित्र आत्मा का सामर्थ्य प्राप्त करोगे"

 जब पुनर्जीवित ख्रीस्त ने शिष्यों को साक्ष्य देने के लिए भेजा उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए आवश्यक कृपा की भी प्रतिज्ञा की। प्रेरित चरित के अनुसार शिष्यों पर पवित्र आत्मा उतरने के बाद ही उन्होंने क्रूसित एवं पुनर्जीवित ख्रीस्त का साक्ष्य दिया। अतः पवित्र आत्मा ही मिशन का सच्चा नायक है। वे ही हैं जो हमें सही समय पर, सही तरीके से, सही शब्द प्रदान करते हैं। संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा के इसी कार्य के आलोक में हम 2022 के मिशनरी वर्षगाँठ को मनाना चाहते हैं।

वही पवित्र आत्मा जो विश्वव्यापी कलीसिया का मार्गदर्शन करता है सामान्य लोगों को असाधारण मिशनरी होने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि ठीक दो सौ साल पहले युवा फ्राँसीसी महिला पौलिन जारिकोट ने विश्वास के प्रचार हेतु धर्मसमाज की स्थापना की।

संत पापा ने कहा है कि वे ख्रीस्तीय समुदायों के बीच एक पूर्ण मिशनरी कलीसिया और मिशनरी कार्य के एक नये युग का सपना देखते हैं। उन्होंने मूसा के शब्दों में कहा है, "अच्छा यही होता कि प्रभु सब को प्रेरणा प्रदान करते और प्रभु की सारी प्रजा भविष्यवाणी करती।" (गण.11,29) कलीसिया में हम सभी जो बपतिस्मा के द्वारा प्रभु के नबी, साक्षी और मिशनरी हैं पवित्र आत्मा की शक्ति से पृथ्वी के सीमांत तक सुसमाचार का प्रचार कर सकें। मिशन की रानी माता मरियम हमारे लिए प्रार्थना करें।

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06 January 2022, 12:44