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रोता रोमाना के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस रोता रोमाना के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

रोता रोमाना से संत पापा ˸ प्रेरितिक हृदय से सुनें

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 27 जनवरी को वाटिकन स्थित रोता रोमाना के प्रेरितिक अदालत के अधिकारियों, वकीलों एवं सहयोगियों से वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की। उन्होंने अपने सम्बोधन में उन्हें अदालत के कार्यों में हमेशा लोगों के प्रति समझदारी रखने पर जोर दिया जो अपने वैवाहिक जीवन में दरार के कारण पीड़ित होते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 27 जनवरी 2022 (रेई)- संत पापा ने उनसे मुलाकात न्यायिक वर्ष के उद्घाटन के अवसर पर की। उन्होंने कहा कि सिनॉडल यात्रा उनकी मुलाकात को चुनौती दे रही है क्योंकि उनके न्यायिक कार्य एवं मिशन, परिवारों की सेवा में समर्पित हैं, खासकर, उन परिवारों की जो घायल हैं और जिन्हें करूणा की मरहम पट्टी की जरूरत है।

सिनॉडल प्रक्रिया

इस वर्ष को परिवार को समर्पित किया गया है ताकि यह प्रेम के आनन्द की अभिव्यक्ति हो। अतः संत पापा ने विवाह की शून्यता प्रक्रिया में सिनॉडालिटी पर चिंतन किया। उन्होंने कहा कि सिनॉडल कार्य, यदि स्वाभाविक रूप से सख्ती से प्रक्रियात्मक न भी हो, फिर भी उसे न्यायिक गतिविधि के साथ बातचीत में रखा जाना चाहिए, ताकि इस महत्व के बारे में अधिक सामान्य पुनर्विचार का समर्थन किया जा सके कि कानूनी प्रक्रिया का अनुभव विश्वासियों के जीवन के लिए है, जिन्होंने शादी की विफलता का अनुभव किया है।

न्याय प्रबंधन को किस अर्थ में एक सिनॉडल भावना की आवश्यकता है?

संत पापा ने कहा कि सबसे पहले सिनॉडालिटी का अर्थ है एक साथ चलना। यदि विवाह के कारणों के विकृत विचारों से ऊपर उठना है जिनमें व्यक्तिगत हित की पुष्टि की गई है तो इस बात को खोजा जाना चाहिए कि प्रक्रिया के सभी प्रतिभागी एक ही लक्ष्य को सहयोग देने के लिए बुलाये गये हैं, अर्थात् एक स्त्री और पुरूष के बीच ठोस संबंध की सच्चाई को उजागर करने में मदद देने के लिए। आम लक्ष्य की ओर एक साथ चलने का यह दृष्टिकोण कलीसियाई समझ के लिए नया नहीं है। इस संबंध में संत पापा पीयुस 12वें ने कहा था, "उद्देश्य की एकता, जो सभी डिग्री और प्रजातियों के कलीसियाई अदालतों में वैवाहिक मामलों के उपचार में भाग लेनेवाले सभी लोगों के काम और सहयोग को विशेष रूप देना चाहते हैं, उन्हें इरादे की एकता में सचेत और एकजुट करना चाहिए।" इस बात को मन में रखते हुए प्रक्रिया में भाग लेनेवाला प्रत्येक प्रतिभागी सच्चाई की खोज करे जबकि अपनी भूमिका के प्रति उदार बना रहे। वह सच्चाई जिसको यदि सचमुच प्यार किया जाए जो यह मुक्तिदायी बन जाती है।

संत पापा ने कहा कि पहले चरण में जब विश्वासी कठिनाई महसूस करते हुए प्रेरितिक मदद की खोज करते हैं तो सच्चाई की खोज के प्रयास में उनका संबंध गायब नहीं  होना चाहिए, जो उनके घावों को ठीक करने में सक्षम होने के लिए एक अनिवार्य शर्त है। इस संदर्भ में हम समझते हैं कि क्षमाशीलता एवं मेल-मिलाप को बढ़ावा देना कितना महत्वपूर्ण है किन्तु यह भी संभव है कि विवेकपूर्ण होने पर विवाह की शून्यता को मान्यता देना। संत पापा ने कहा कि विवाह की शून्यता घोषित करने को इस तरह प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए कि मानो विवाह के संकट के सामने सिर्फ इसे ही प्राप्त करना लक्ष्य हो। विवाह की संभावित शून्यता के पहले यह आवश्यक है कि विश्वासियों को विवाह की सहमति पर पुनः विचार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिनके लिए उन्होंने शून्यता का आग्रह किया है। केवल इस तरह से शून्यता की प्रक्रियाएँ अपने वैवाहिक संकटों में विश्वासियों की एक प्रभावी प्रेरितिक साथ की अभिव्यक्ति हैं, जिसका अर्थ है पवित्र आत्मा को सुनना, जो लोगों के यथार्थ जीवन में बोलते हैं।

 सुनना और आत्मपरख

संत पापा ने कहा कि सिनॉडालिटी की प्रक्रिया के लिए लगातार सुनने की जरूरत है। न्यायिक क्षेत्र में भी सुनने सीखना है जो साधारण सुनना नहीं होता। इसमें दूसरों के दृष्टिकोण एवं मामलों को समझना पड़ेगा। दूसरे क्षेत्रों की तरह इसमें भी सुनने की संस्कृति को प्रोत्साहन देना होगा जो मुलाकात की संस्कृति का आधार है। इसलिए व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं के लिए मानक जवाब देना हानिकारक होता है।

संत पापा ने कहा कि सिनॉडालिटी का दूसरा आयाम है आत्मपरख का महत्व। "यह आत्मपरख एक साथ चलने एवं सुनने पर आधारित है तथा ठोस वैवाहिक परिस्थिति को ईश वचन एवं कलीसिया की शिक्षा के आलोक में परखे जाने देता है।"  

उन्होंने कहा कि "इस रास्ते का परिणाम है न्याय, सावधानीपूर्वक परख करने का फल जो व्यक्तिगत अनुभव पर सत्य के एक आधिकारिक शब्द की ओर ले जाता है, इस प्रकार उस रास्ते को समझना है जिसे वहाँ से खोला जा सकता है।"   

अंत में, संत पापा ने प्रेरितिक अदालत के सदस्यों को प्रोत्साहन दिया कि वे नवीकृत उत्साह के साथ न्याय, सच्चाई, निष्ठा एवं आत्माओं की मुक्ति के लिए, अपनी कलीसियाई मिशन को जारी रखें।  

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27 January 2022, 16:18