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जनवरी माह की प्रार्थना: उन लोगों के लिए जो धार्मिक उत्पीड़न झेलते हैं

संत पापा फ्राँसिस ने जनवरी 2022 की प्रार्थना को धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करने वालों के लिए समर्पित किया। उन्होंने याद दिलाया कि धार्मिक स्वतंत्रता केवल पूजा की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है, बल्कि बंधुत्व से जुड़ी है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 5 जनवरी 2022 (वाटिकन न्यूज) : "इतने सभ्य समाज में हम कैसे अनुमति दे सकते हैं कि कुछ लोगों को केवल इसलिए सताया जाता है क्योंकि वे सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास को प्रकट करते हैं?" वीडियो में संत पापा फ्राँसिस जनवरी 2022 के मासिक प्रार्थना के मतलब में प्रश्न पूछते हैं।

"यह कैसे संभव है कि कई धार्मिक अल्पसंख्यक वर्तमान में भेदभाव या उत्पीड़न का शिकार हों?"

संत पापा के विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क द्वारा तैयार जनवरी माह की प्रार्थना के मतलब काेे वीडियो से संत पापा के सातवें वर्ष की शुरुआत करते हैं।

मंगलवार को जारी अपने संदेश में, संत पापा कहते हैं कि लोगों को केवल इसलिए सताना क्योंकि वे सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास को प्रकट करते हैं, यह "अमानवीय" और "पागलपन" है।

एक विश्वव्यापी घटना

काथलिक चारिटी एड टू द चर्च इन नीड, जो इस महीने के संदेश का समर्थन कर रहा है, अपनी वार्षिक रिपोर्ट "विश्व में धार्मिक स्वतंत्रता" में नोट करता है कि दुनिया भर में, हर तीन देशों में से एक में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है, जिसमें विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई शामिल हैं।

एसीएन रिपोर्ट के अनुसार, 646 मिलियन से अधिक ख्रीस्तीय, उन देशों में रहते हैं जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं किया जाता है।

दूसरों को भाई-बहन के रूप में स्वीकारना

संत पापा फ्राँसिस इस बात पर जोर देते हैं कि "धार्मिक स्वतंत्रता केवल पूजा की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है," बल्कि "हमें दूसरों के मतभेदों की सराहना करने और उन्हें सच्चे भाइयों और बहनों के रूप में स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती है।"

यहां तक कि महत्वपूर्ण मतभेद, जैसे कि धार्मिक मतभेद को "भाई और बहन होने की महान एकता को धुंधला नहीं होने देना चाहिए।" “आइए, हम भाईचारे का रास्ता चुनें। क्योंकि या तो हम भाई-बहन हैं, या हम सब खो गये हैं।"

2022 के इस पहले महीने के दौरान, संत पापा फ्राँसिस हमें प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करते हैं कि "जो लोग भेदभाव और धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं, वे उन समाजों में जहाँ वे जीते हैं, भाई और बहन होने के अधिकार और सम्मान पा सकें।"

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05 January 2022, 15:05