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बीमार बच्चे का आलिंगन करते हुए संत पापा फ्राँसिस बीमार बच्चे का आलिंगन करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

बीमारों के विश्व दिवस पर संत पापा का संदेश: बीमारों के प्रति दया

संत पापा फ्राँसिस ने बीमारों के 30वें विश्व दिवस के लिए अपना संदेश जारी किया, और काथलिक कलीसियाओं द्वारा संचालित संस्थानों से बीमार लोगों के घावों को ठीक करने और उन्हें स्वस्थ करने के प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार 4 जनवरी 2022 (रेई) : 11 फरवरी के लिए निर्धारित बीमारों के दिवस के लिए संत पापा फ्राँसिस के संदेश का विषय है, "दयालु बनो, जैसे तुम्हारा पिता दयालु है" (लूका 6:36): उदारता के मार्ग पर पीड़ित लोगों के साथ खड़े रहें। संत पापा का संदेश जो मंगलवार को जारी किया गया।

संत पापा ने उल्लेख किया कि इस वर्ष की घटना संत पापा जॉन पॉल द्वितीय द्वारा कलीसिया के सभी सदस्यों को "बीमारों और उनकी देखभाल करने वालों के प्रति अधिक से अधिक चौकस रहने" के लिए प्रोत्साहित करने हेतु विश्व दिवस की स्थापना के 30 साल पूरे होने का प्रतीक है। उन्होंने तीन दशकों में बीमारों की स्वास्थ्य देखभाल और प्रेरितिक देखभाल में महान प्रगति के लिए भी अपना आभार व्यक्त किया। उनहोंने याद किया कि बहुत से लोग अभी भी ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और प्रेरितिक देखभाल उनकी पहुँच से बाहर हैं।

उन्होंने कहा कि बीमारों के विश्व दिवस का वार्षिक उत्सव पेरू के अरेक्विपा के बजाय संत पेत्रुस महागिरजाघर में हो रहा है, यह मूल रूप से चल रहे स्वास्थ्य संकट के कारण कार्यक्रम में परिवर्तन किया गया।

'पिता के समान दयालु'

अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने "दया" के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया, जिसकी शुरुआत पिता की दया से होती है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर की दया उनके स्वभाव का हिस्सा है और "ताकत और कोमलता" को जोड़ती है। "ईश्वर एक पिता की ताकत और एक मां की कोमलता के साथ हमारी देखभाल करते हैं। वे निरंतर पवित्र आत्मा में नया जीवन देना चाहते हैं।"

'येसु, पिता की दया'

संत पापा ने कहा कि येसु बीमारों के लिए पिता के दयालु प्रेम के सबसे अच्छे गवाह हैं। अपने सांसारिक जीवन में, येसु ने सभी प्रकार की बीमारियों से बीमारों को चंगा किया और इसे प्रेरितों के लिए अपने मिशनरी जनादेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया, जिन्हें "सुसमाचार की घोषणा करने और बीमारों को चंगा करने" के लिए भेजा गया था।

संत पापा फ्राँसिस ने फ्रांसीसी दार्शनिक इमैनुएल लेविनास द्वारा पता लगाये गये विचार को प्रस्तुत किया कि क्यों बीमारों की सेवा करना ख्रीस्तीय मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। श्री लेविनास के अनुसार, "दर्द पूरी तरह से मनुष्य को अलग कर देता है और पूर्ण अलगाव दूसरे को मदद की अपील करने और दूसरे को बुलाने की आवश्यकता को जन्म देता है।"

संत पापा ने कहा कि हमारी मानवीय कमजोरियों के तीव्र अनुभव हमें अपने निकट के लोगों की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं और यह कलीसिया का काम है कि वह ईश्वर की दया के ठोस संकेतों के साथ प्रतिक्रिया करे। "जब व्यक्ति बीमारी के परिणामस्वरूप अपने शरीर में कमजोरी और पीड़ा का अनुभव करते हैं, तो उनका दिल भारी हो जाता है, भय छा जाता है, अनिश्चितताएं बढ़ जाती हैं और उनके जीवन में जो हो रहा है उसके बारे में जानना और भी जरूरी हो जाता है।"

'मसीह के पीड़ित शरीर का स्पर्श'

संत पापा फ्राँसिस ने कई स्वास्थ्य कर्मियों पर विचार किया जो प्रतिदिन "मसीह के पीड़ित शरीर" की सेवा करते हैं। उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवकों को पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए अपना जीवन समर्पित करने हेतु उन्हें सहृदय धन्यवाद देते हुए कहा, "प्रिय स्वास्थ्य कर्मियों, आप प्यार और क्षमता के साथ बीमारों की सेवा करते हैं, यह आपके पेशे की सीमा को पार करती है और एक मिशन बन जाती है। आपके हाथ, जो मसीह के पीड़ित शरीर को छूते हैं, दयालु पिता के हाथ बन जाते हैं। अपने पेशे की महान गरिमा के साथ-साथ उस जिम्मेदारी के प्रति भी सचेत रहें जो इसमें शामिल है।"

साथ ही, संत पापा ने चिकित्सा के क्षेत्र में की गई तकनीकी और चिकित्सीय प्रगति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, कोई भी प्रगति हमें "प्रत्येक रोगी की विशिष्टता, उसकी गरिमा और कमजोरियों को भूलने" की अनुमति नहीं दे सकती है। उन्होंने कहा, "मरीज हमेशा अपनी बीमारियों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।"

"दया के घर" के रूप में देखभाल के केंद्र

संत पापा ने कहा कि विश्व बीमार दिवस कलीसिया को गरीबी से प्रभावित क्षेत्रों में अस्पताल और क्लीनिक खोलकर गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए उनके लंबे समय से चल रहे समर्पण का जायजा लेने के लिए प्रेरित करता है।

उन्होंने काथलिक स्वास्थ्य संस्थानों के काम की पुष्टि की, उन्हें "सुरक्षित और संरक्षित करने का एक अनमोल खजाना" कहा, क्योंकि वे "दया का उपहार" प्रदान करते हैं। संत पापा ने कहा,"ऐसे समय में जब कचरे की संस्कृति व्यापक है और जीवन को हमेशा स्वागत और जीने के योग्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है, ये संरचनाएं, जैसे 'दया के घर', सभी जीवन की रक्षा और देखभाल करने में अनुकरणीय हो सकती हैं, यहां तक​​​​कि सबसे अधिक नाजुक जीवन की शुरुआत से लेकर इसके प्राकृतिक अंत तक।"

'प्रेरितिक देखभाल: उपस्थिति और निकटता'

संत पापा फ्राँसिस ने तब उन लोगों के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की जो बीमारों के बीच प्रेरितिक देखभाल करते हैं। जो लोग मसीह के निमंत्रण पर कार्य करते हैं जैसे पेशेवर अस्पताल के पुरोहित और उनके साथ सामान्य काथलिक शामिल हैं जो अपने बीमार पड़ोसियों से मिलने के लिए समय निकालते हैं।

"यदि बीमारों और गरीबों को सबसे खराब भेदभाव का सामना करना पड़ता है, तो यह उनके प्रति आध्यात्मिक ध्यान की कमी के कारण है। हमें उनके लिए ईश्वर की निकटता, उनका आशीर्वाद और उनके वचन के साथ-साथ संस्कार धर्मविधि और विश्वास में परिपक्वता की यात्रा का अवसर देना होगा।"

हमारे दुखों में मसीह के साथ संयुक्त

संत पापा ने सभी बीमारों और उनके परिवारों को ‘रोगियों का स्वास्थ्य, माँ मरियम’ की मध्यस्थता में सौंपते हुए बीमारों के 30वें विश्व दिवस के लिए अपने संदेश को समाप्त कर दिया।

"मसीह के साथ संयुक्त, जो दुनिया के दर्द को सहन करते हैं, वे सांत्वना और विश्वास पा सकें। मैं हर जगह के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रार्थना करता हूँ कि उदारता के धनी सभी स्वास्थ्य कर्मी  रोगियों की उपयुक्त देखभाल एवं भाईचारे की निकटता के साथ सेवा कर सकें।"

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04 January 2022, 15:56