संत पापाः ख्रीस्तीय एकता हेतु संघ्या वंदना की अध्यक्षता
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बुधवार 26 जनवरी 2022 (वाटिकन न्यूज) : ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना के सप्ताह के समापन पर कोंस्टांटिनोपल के प्रधिधर्माध्यक्ष के प्रतिनिधि, कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष और अन्य ख्रीस्तीय कलीसियाओं और ख्रीस्तीय समुदायों के प्रतिनिधि संत पौलुस महागिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस की अध्यक्षता में संघ्या वंदना में शामिल हुए।
इस वर्ष के प्रार्थना सप्ताह का विषय, बालक येसु की आराधना करने के लिए ज्योतिषियों की बेतलेहेम की यात्रा के सुसमाचार पाठ से लिया गया है: "हमने पूर्व में उनके सितारे को देखा, और हम उनकी आराधना करने आए।"
ज्योतिषियों की कहानी हमें पूर्ण एकता के मार्ग में चलने को मदद कर सकती है, संत पापा फ्राँसिस ने संध्या वंदना के दौरान अपने प्रवचन में यात्रा के तीन चरणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा: पूर्व में इसकी शुरुआत, येरुसालेम के माध्यम से उनका मार्ग और बेथलेहेम में उनका अंतिम आगमन।
पूर्व में शुरूआत
संत पापा ने कहा कि ज्ञानियों ने पूर्व में तारा देखा, जहाँ सूर्य उगता है। उन्होंने कहा, "वे अपने स्वयं के "ज्ञान और परंपराओं" से संतुष्ट नहीं थे, लेकिन "कुछ और चाहते थे।" इस बात की परवाह किए बिना कि सड़क कितनी लंबी और थकाऊ हो सकती है, संत पापा फ्राँसिस ने सभी ख्रीस्तियों से येसु के सितारे और एकता के उनके निमंत्रण का अनुसरण करने का आह्वान किया।
संत पापा ने आगे कहा, " पूर्व हमें युद्ध और हिंसा से तबाह हुए विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले ख्रीस्तियों, विशेष रूप से मध्य पूर्व के ख्रीस्तियों की भी याद दिलाता है। इन क्षेत्रों के शहीद एकता के स्पष्ट मार्ग का संकेत देते हैं।"
येरूसालेम में आगमन
जब ज्योतिषी येरूसालेम पहुंचे, तो उन्होंने राजा हेरोदे और उसके साथ सारे येरूसालेम वासियों को उनके मिशन से परेशान पाया। "पवित्र शहर में, ज्योतिषियों ने तारे के प्रकाश को प्रतिबिंबित होता नहीं देखा, लेकिन इस दुनिया की अंधेरे ताकतों के प्रतिरोध का अनुभव किया।"
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि पूर्ण ख्रीस्तीय एकता की ओर अपनी यात्रा में, "हम भी उसी कारण से रुक सकते हैं जिसने उन लोगों को पंगु बना दिया: भ्रम और भय।" संत पापा ने ख्रीस्तियों को उन नवीनताओं से नहीं डरने के लिए कहा जो हमारी परंपराओं और आदतों को परेशान करते हैं, लेकिन "एक दूसरे पर भरोसा करने और एक साथ यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया।" उन्होंने इस बात की भी याद दिलाई कि प्रतिरोध का सामना करने के बावजूद, येरुसालेम में ज्योतिषियों ने बेथलेहेम जाने के लिए मार्ग की खोज की। उन्होंने सभी ख्रीस्तियों को एक साथ धर्मग्रंथों पर मनन-चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित किया, उनके वचन के माध्यम से येसु के करीब आने के साथ-साथ हमारे भाइयों और बहनों के करीब आने के लिए भी प्रेरित किया।
बेथलेहेम पहुंचना
संत पापा ने कहा कि अंत में ज्योतिषी बेथलेहेम पहुंचे, जहां उन्होंने घुटने टेककर बालक येसु की आराधना की। इस तरह, ज्योतिषियों ने येसु के शिष्यों को पूर्वाभास दिया, जिन्होंने गलील पहाड़ पर पुनर्जीवित प्रभु के सामने झुककर दंडवत किया।" ये दोनों घटनाएँ समकालीन ख्रीस्तियों के लिए भविष्यसूचक संकेत बन सकती हैं जो एकता की पूर्णता के लिए तरसते हैं, जिसे केवल ईश्वर की आराधना के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "पूर्ण सहभागिता की ओर यात्रा के निर्णायक चरण हेतु ईश्वर की आराधना और निरंतर प्रार्थना की आवश्यकता है।"
हालांकि, उन्होंने आगे कहा, आराधना भी विनम्रता की मांग करती है, हमारे घुटनों पर गिरते हुए, "अपने स्वयं के दिखावे को अलग करना ताकि सिर्फ ईश्वर को केंद्र में रखा जा सके।" उन्होंने ख्रीस्तियों को एक ही घर में एक ही बलिवेदी के चारो ओर ईश्वर की आराधना हेतु एकत्रित होने की नम्रता का साहस मांगने के लिए आमंत्रित किया।
ज्योतिषियों के उपहार
अंत में, संत पापा ने जयोतिषियों द्वारा बालक येसु को दिए गए उपहारों पर चिंतन किया। संत पापा ने कहा कि ये उन उपहारों के प्रतीक हैं जिन्हें प्रभु हमसे प्राप्त करना चाहते हैं: सोना, यह दर्शाता है कि ईश्वर को पहले स्थान पर होना चाहिए, लोबान, प्रार्थना के महत्व का प्रतीक है और गंधरस हमें " क्रूस पर से उतारे गए येसु के शरीर का सम्मान करने" के लिए आह्वान देता है, जो "हमें प्रभु के पीड़ित शरीर की देखभाल करने की बात कहता है, जो गरीबों के घावों में परिलक्षित होता है।"
अंत में, संत पापा ने ख्रीस्तियों को ज्योतिषियों के उदाहरण का अनुसरण करने के लिए आमंत्रित किया, जो "दूसरे रास्ते से" अपने घरों को लौट आए। उन्होंने कहा, "हमें मसीह के साथ मुलाकात करने के लिए साऊल की तरह अपने मार्गों को बदलने की जरुरत है। हमें अपनी पुरानी आदतों और तौर-तरीकों को बदलते हुए, उस मार्ग को खोजने के लिए आगे बढ़ना है जो प्रभु हमें बताते हैं: नम्रता का मार्ग, भाईचारा और आराधना का मार्ग।”
संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना की, "हे प्रभु, हमें मार्ग बदलने, खुद में परिवर्तन लाने और अपनी इच्छा नहीं परंतु आपकी इच्छा का पालन करने का साहस प्रदान करें। हम आपकी आत्मा में एक बनाना चाहते हैं, हमें आपकी ओर एक साथ आगे बढ़ने की कृपा दें।”
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