खोज

संत पापाः सपनों में आत्मा पर्यवेक्षक संत योसेफ

संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत योसेफ के जीवन पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी रखते हुए माता-पिताओं की कठिनाइयों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 26 जनवरी 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज मैं संत योसेफ को सपने देखने वाले एक व्यक्ति के रुप में चित्रित करना चाहूँगा। धर्मग्रंथ में, जैसे की प्राचीन संस्कृति में लोगों के बीच प्रचलित थी, सपनों के द्वारा ईश्वर अपने को प्रकट करते थे। सपने हमारे जीवन की आध्यात्मिकता की ओर इंगित करते हैं, वह आंतरिक स्थिति जिसकी देख-रेख करने हेतु हमें कहा जाता है जहाँ ईश्वर अपने को प्रकट करते और हमेशा हमसे बातें करते हैं। लेकिन हमें अपने में यह कहना चाहिए कि हमारे अंदर केवल ईश्वर की आवाज नहीं है बल्कि दूसरी अन्य बहुत सारी आवाजें भी व्याप्त हैं। उदाहरण के लिए हमारे भय की आवाज, आतीत के अनुभव, आशाएं, साथ ही बुराई की आवाज जो हमें फुसलाना चाहती और हमें भ्रमित करती हैं। अतः यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम बहुत सारे आवाजों के मध्य ईश्वर की आवाज को पहचानें। संत योसेफ हमारे लिए इस बात को दिखलाते हैं कि वे कैसे शांति में बने रहते और उससे भी बढ़कर अपने हृदय के अंतःस्थल में वे ईश्वर के वचनों को पहचानते हुए कैसे सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। आज, हम सुसमाचार में चर्चित उनके चार सपनों पर चिंतन करते हुए अपने लिए ईश्वर के रहस्य को देखने और समझने की कोशिश करेंगे।

प्रार्थना में अंतर्ज्ञान 

पहले सपने (मत्ती.1. 18-25) में स्वर्गदूत योसेफ को इस बात का समाधान निकालने में मदद करते हैं, जब वह मरियम के बारे में यह जानते हैं कि वह गर्भवती है- “आप मरियम को अपने पत्नी के रुप में लेने से न डरें। वास्तव में, उनके जो गर्भ हैं वह पवित्र आत्मा से हैं, वह पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम येसु रखेंगे, वह अपने लोगों को पाप से मुक्त करेंगे। (20-21) इस सपने के प्रत्युत्तर स्वरुप वह तुरंत पहल करते हैं, “नींद से उठने के बाद, उसने स्वर्गदूत के कथनानुसार कार्य किया” (24)। बहुत बार हम जीवन की ऐसी स्थिति में पड़ जाते कि हमें नहीं सुझता है कि क्या करना चाहिए। जीवन की वैसी परिस्थिति में प्रार्थना करने का अर्थ हमारे लिए यह होता है कि हम ईश्वर को अपने लिए सही रास्ता दिखलाने दें। वास्तव में, बहुधा प्रार्थना हमें रास्ते का अंतर्ज्ञान प्रदान करता है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारे लिए आवश्यक सहायता के बिना मुसीबत को सामने नहीं लाते हैं। वे हमें आग में नहीं ढ़केलते हैं, वे हमें जंगली जानवरों के बीच नहीं फेंकते हैं। हमारी मुसीबतों के साथ वे हमारे लिए समाधान भी लेकर आते हैं।

प्रार्थना में वचन को सुनें

योसेफ का दूसरा रहस्यात्मक सपना उस समय आता है जब बालक येसु का जीवन खतरे में पड़ जाता है। यहां हम संदेश को स्पष्ट पाते हैं, “उठिये, बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश भाग जाइए वहां तब तक रहिए जब तक मैं न कहूँ, क्योंकि हेरोद बालक को मार डालने के लिए खोज रहा है”(मत्ती.2.13)। योसेफ बिना हिचकिचाहट के आज्ञा का पालन करते हैं। “वह उठा और उसी रात बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश चल दिया। वह हेरोद क मृत्यु तक वहीं रहा” (14-15)। हम अपने जीवन में खतरे का अनुभव करते हैं जो हमारे जीवन को या प्रियजनों को जोखिम में डाल देता है। उन परिस्थितियों में, प्रार्थना करने का अर्थ उस वचन को सुनना है जो योसेफ की तरह हमें साहस से भर देता है जहाँ हम बिना भयभीत हुए कठिनाइयों का सामना करते हैं।

जीवन में भय का अस्तित्व

मिस्र में, योसेफ ईश्वर की एक निशानी की प्रतीक्षा कर रहा होता है जिससे वह अपने देश को लौट सके और तीसरे सपने में मुख्यत यही होता है। स्वर्गदूत उन्होंने इस बात को प्रकट करते हैं कि वह जो बालक को मार डालने की सोच रहा था वह मर गया है अतः वह मरियम और येसु के साथ अपने मातृभूमि को लौट जाये  (मत्ती. 2.19-20)। योसेफ उठा और बालक तथा उसकी माता को लेकर इस्रराएल देश चला आया। लेकिन अपनी इस यात्रा के दौरान उसके यह पता चलता है, कि अरकेलौस अपने पिता के स्थान पर यहूदिया में राज्य करता है इसीलिए उसे वहाँ जाने में डर लगा और स्वप्न में वह चेतावनी पाकर गलीलिया चला गया। वहाँ वह नाजरेत नामक नगर में जा बसा (22-23)। यहाँ हम चौथे सपने को पाते हैं। भय हमारे जीवन का अंग है और यह भी हमसे प्रार्थना की माँग करता है। ईश्वर इस बात की प्रतिज्ञा नहीं करते हैं कि हम अपने जीवन में कभी भयभीत नहीं होंगे लेकिन उनकी सहायता बिना हम अपने निर्णयों में खरा नहीं उतरेंगे। योसेफ अपने में भयभीत होते हैं लेकिन ईश्वर उन्हें इस भय के पार ले जाते हैं। प्रार्थना की शक्ति हमारे अंधेरी परिस्थितियों में ज्योति लाती है।

माता-पिता की समस्याएं

संत पापा ने कहा कि इस समय मैं उन लोगों के बारे में सोचता हूँ जो जीवन के बोझ से दबे हैं और आशा या प्रार्थना करने में असक्षम हैं। संत योसेफ उन्हें ईश्वर के साथ वार्ता करने हेतु खुला रखें, जिससे वे ईश्वर की ज्योति, शक्ति और शांति का अनुभव कर सकें। उन्होंने कहा कि मैं बच्चों की तकलीफों के संबंध में उन अभिभावकों के बारे भी सोचता हूँ- बच्चे जो बहुत सारी बीमारियों के शिकार हैं, कई एक जो स्थायी रोगों से ग्रस्ति हैं, उन्हें कितना कष्ट उठाना पड़ता है। माता-पिता जो अपने बच्चों में विभिन्न यौन रुझान को देखते हैं, वे इसका सामना कैसे करें और अपने बच्चों के व्यवहार को दोषा दिये बिना किस तरह उनका साथ दें। माता-पिता अपने बच्चों को बीमारी के कारण अपने से दूर होता देखते हैं ऐसी बातों को हम समाचारों में रोज दिन पढ़ते हैं जो कितना दुःखदायी है। संतानों का वाहन दुर्घटना में शिकार होना। माता-पिता जो अपने बच्चों को स्कूल जाते नहीं देखते और नहीं जानते कि उनका सामना कैसे किया जाये... माता-पिता की कितनी समस्याएं हैं। हम इन सारी बातों के बारे में सोचें, हम कैसे उनकी सहायता कर सकते हैं। संत पापा फ्रांसिस ने ऐसे माता-पिता के लिए सांत्वना के शब्द उच्चरित करते हुए कहा कि आप भयभीत न हों। “निश्चय ही हम अपने में बहुत दुःख का अनुभव करते हैं। लेकिन हम ईश्वर के बारे में सोचें, योसेफ के बारे में सोचें कैसे उन्होंने अपनी समस्याओं का सामना किया और उनसे सहायता की मांग करें। हम बच्चों को कभी दोष न दें। संत पापा ने बोयन्स आईरस के अपने एक अनुभव को साझा करते हुए कहा कि बस में यात्रा करते हुए उन्होंने जेल के सामने माता-पिता की लम्बी कतार देखी जो अपने बच्चों के संग भेंट करने हेतु खड़े थे। वहाँ बहुत सारी माताएं थीं। वे अपनी संतानों की गलतियों के लिए उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थीं। यह हमारे लिए माता-पिता के साहस को व्यक्त करता है जो अपनी संतानों के साथ चलने को सदा तैयार रहते हैं। संत पापा ने ऐसे माता-पिता के लिए संत योसेफ से साहस की याचना करते हुए सभों को प्रार्थना करने का आहृवान किया।

प्रार्थना, कार्य और प्रेम

प्रार्थना, यद्यपि अपने में कभी अमूर्त नहीं होती बल्कि यह सदैव ठोस करूणा के कार्य में संयुक्त होती है। जब हम प्रार्थना को प्रेम में अपनी संतानों और पड़ोसियों के संग संयुक्त करते केवल तब हम ईश्वर के संदेश को समझने के योग्य बनते हैं। योसेफ ने प्रार्थना, कार्य और प्रेम किया, ये तीन बातें अभिभावकों के लिए अति सुन्दर हैं, प्रार्थना, कार्य और प्रेम- इन्हीं कारणों से उसके जीवन की कठिन परिस्थितियों में वे सारी चीजें सदैव प्राप्त हुई जिनकी जरुरत उसा थीं। हम अपने को उन्हें सुपुर्द करें और उनकी मध्यस्था से प्रार्थना करें।

संत योसेफ, तू सपने देखने वाला व्यक्ति है, हमें आध्यात्मिक जीवन की खोज करने का पाठ पढ़ा

जहाँ आंतरिक स्थल में ईश्वर हमें अपने को प्रकट करते और हमें बचाते हैं।

हमारे बीच से यह मनोभाव दूर कर कि प्रार्थना करना व्यर्थ है,

हममें से हर किसी को ईश्वर द्वारा निर्देशित होने में मदद कर।

हमारे तर्क पवित्र आत्मा की ज्योति में प्रकाशित हों, हमारे हृदय उनकी शक्ति से प्रोत्साहित हों

और भय की घड़ी में हमें उनकी करूणा में सरंक्षण मिले। आमेन।

आमदर्शन समारोह पर संत पापा की धर्मशिक्षा

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

26 January 2022, 13:33