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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना : ईश्वर के प्रेम के चिन्ह को संजोकर रखें

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में संत पापा ने बतलाया कि चिन्ह जिन्हें हम सुसमाचार में पढ़ते हैं, हमारे लिए ईश्वर के प्रेम को प्रकट करते हैं जो हमेशा हमारे निकट रहते, कोमल और करुणामय हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 16 जनवरी 2022 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 16 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों से सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ काना के विवाह भोज की घटना का वर्णन करता है जहाँ येसु ने दुल्हा और दुल्हन की खुशी के लिए पानी को दाखरस में बदल दिया। यह इस तरह समाप्त होता है : यह उनका पहला चमत्कार था जिसको येसु ने गलीलिया के काना में दिखाया। उन्होंने अपनी महिमा प्रकट की और उनके शिष्यों ने उनपर विश्वास किया। (यो. 2,11) हम गौर करते हैं कि सुसमाचार लेखक योहन चमत्कार के बारे बात नहीं करते जो एक प्रभावशाली एवं असाधारण कार्य होता है जो आश्चर्यचकित करता है। वे लिखते है कि काना में एक चिन्ह घटित हुआ जिसने शिष्यों के विश्वास को बढ़ा दिया। हम अपने आप से पूछ सकते हैं : सुसमाचार के अनुसार चिन्ह क्या है?

चिन्ह या चमत्कार

संत पापा ने कहा कि चिन्ह एक शुरूआत है जो ईश्वर के प्रेम को प्रकट करता है जो कार्य की शक्ति पर नहीं बल्कि उसके द्वारा उत्पन्न प्रेम की ओर ध्यान खींचता है। यह ईश्वर के प्रेम के बारे सिखाता है जो हमेशा करीब हैं, कोमल हैं और दयालु हैं।

पहला चमत्कार तब होता है जब दो दुल्हा-दुल्हिन अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन में कठिनाई में होते हैं। भोज के बीच, एक आवश्यक चीज, दाखरस घट जाता है, और आनन्द, अतिथियों द्वारा शिकायत एवं असंतोष में बदलने के खतरे में है। केवल पानी से किस तरह विवाह भोज चल सकता है। यह भयांकर है, दुल्हा और दुल्हन को बुरी नजर से देखा जाएगा। माता मरियम इस समस्या से सचेत हो जाती है और सावधानीपूर्वक येसु को इसका संकेत देती है। और वे तुरन्त इसपर कार्रवाई करते हैं लगभग बिना दिखाये ही। सब कुछ चुपताप, पर्दे के पीछे होता है। येसु सेवकों को मटकों में पानी भरने के लिए कहते हैं जो दाखरस में बदल जाता है।

ईश्वर के कार्य

संत पापा ने कहा, "ईश्वर इसी तरह कार्य करते हैं सामीप्य एवं बुद्धिमानी के साथ। येसु के शिष्य इसे समझते हैं। वे देखते हैं कि विवाह भोज अधिक सुन्दर बन जाता है। वे येसु के कार्य करने को भी देखते हैं, गुप्त में उनकी सेवा को- यही येसु हैं जो हमारी मदद करते, वे गुप्त रूप से हमारी सहायता करते हैं, इस तरह कि दाखरस के लिए शाबाशी नवदम्पति को दी जाती है और नौकरों के अलावा इसपर कोई गौर नहीं करता। इस तरह विश्वास का आंकुर उनमें बढ़ने लगता है, वे विश्वास करते हैं कि ईश्वर, ईश्वर का प्रेम, येसु में निहित है।"  

इस पर चिंतन करना अच्छा है कि पहला चमत्कार जिसको येसु ने किया, वह कोई असाधारण चंगाई या येरूसालेम के मंदिर में घटित चमत्कार नहीं है बल्कि एक चिन्ह है जो सामान्य लोगों की साधारण एवं ठोस आवश्यकता की पूर्ति करता है। यह एक घरेलू चिन्ह है, एक चमत्कार, जिसको कहा जा सकता है, पैर के अंगूठे पर चलना, सावधानीपूर्वक चुपचाप। ईश्वर इसी तरह कार्य करना पसंद करते हैं और यदि हम इन चिन्हों के प्रति सजग रहेंगे, हम उनके प्रेम से प्रेरित होंगे एवं उनके शिष्य बनेंगे।

काना के चमत्कार की विशेषता

लेकिन काना के चमत्कार की एक और विशिष्ट विशेषता है। दाखरस जिसको साधारणतया भोज के अंत में दिया जाता था वह अधिक अच्छा नहीं होता था, जैसा कि आज भी किया जाता है। क्योंकि उस समय लोग ज्यादा अंतर नहीं कर पाते हैं कि  क्या यह अच्छा दाखरस है या पानी मिलाया हुआ। दूसरी ओर येसु स्पष्ट करते हैं कि उत्सव को उत्तम दाखरस से समाप्त होना चाहिए। प्रतीकात्मक रूप से यह बतलाते हैं कि ईश्वर हमारे लिए उत्तम चाहते हैं वे चाहते हैं कि हम खुश रहें। यह सीमा निर्धारित नहीं करता और हमारी रूचि नहीं पूछता है। येसु के चमत्कार में नवदम्पति की ओर दावा करने हेतु कोई गुप्त मकसद के लिए जगह नहीं है। आनन्द जिसको येसु प्रदान करते हैं वह पूर्ण एवं स्वार्थरहित है। यह कभी भी पानी मिश्रित आनन्द नहीं है।

मेरे जीवन में प्रभु ने कौन से चमत्कार किये हैं?  

संत पापा ने कहा, "अतः मैं एक अभ्यास की सलाह देता हूँ जो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा। आइए, आज हम उन संकेतों की तलाश में यादों के माध्यम से घूमने का प्रयास करें, जो प्रभु ने हमारे जीवन में पूरा किया है। हर कोई अपने आप से पूछे : मेरे जीवन में प्रभु ने कौन से चमत्कार किये हैं? उनकी उपस्थिति के क्या चिन्ह हैं? चिन्ह जिनको उन्होंने हमारे प्रति अपने प्रेम को प्रकट करने के लिए किया है। हम उन कठिन क्षणों की याद करें जिनमें उन्होंने मुझे अपने प्रेम का एहसास कराया। हम अपने आपसे पूछें कि किन चिन्हों, सावधानी एवं चिंता से उन्होंने मुझे अपनी कोमलता का एहसास कराया? कब मैंने येसु के सामीप्य, उनकी कोमलता एवं उनकी दयालुता को महसूस किया। हरेक व्यक्ति की कहानी में ऐसे क्षण हैं। आइये हम इन चिन्हों को पुनः देखें, उनकी याद करें। मैंने उनकी निकटता को कैसे पहचाना? किस तरह मेरे हृदय में आनन्द बना रहा? आइये हम उन क्षणों को पुनः जीयें जिनमें हमने उनकी उपस्थिति एवं माता मरियम की मध्यस्थता का अनुभव किया। वे जो माता हैं, जो काना के समान हमेशा सजग रहती हैं, हमें अपने जीवन में ईश्वर के चिन्ह को संजोकर रखने में मदद दे।"  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्रांसिस का संदेश

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16 January 2022, 16:35