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संत पेत्रुस और संत पौलुस संघ के सदस्यों से मुलकात करते संत पापा फ्राँसिस संत पेत्रुस और संत पौलुस संघ के सदस्यों से मुलकात करते संत पापा फ्राँसिस 

संत पेत्रुस एवं पौलुस संघ से पोप : हृदय में आशा के साथ पुनः शुरू करें

संत पापा फ्राँसिस ने 8 जनवरी को वाटिकन के पौल छटवें सभागार में संत पेत्रुस और पौलुस संघ के 600 सदस्यों से मुलाकात की तथा उनसे अपील की कि वे येसु की ओर हृदय में आशा की नजरों से देखते हुए अपना मिशन जारी रखें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 8 जनवरी 2022 (रेई)- संत पेत्रुस एवं संत पौलुस संघ, अपनी स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ मना रहा है। इसकी स्थापना 1971 में प्रेरितिक प्रासाद को सुरक्षा प्रदान करने के विचार से की गयी थी।  

संत पापा ने 50 वर्षों की यात्रा में संघ के विकास की सराहना करते हुए कहा कि यह "भवन की सुरक्षा के सम्मान" से बढ़कर, अब "तीर्थयात्री मानवता की सेवा", प्रेरिताई, एवं परमधर्मपीठ के प्रति निष्ठा के ख्रीस्तीय जीवन के साक्ष्य से सम्मानित है।

उन्होंने कहा कि उनका इतिहास लगातार मुलाकात से बना है। "मुलाकात में हमेशा एक गति होती है। यदि हम सभी स्थिर खड़े हो जायेंगे तो हम एक दूसरे से कभी मिल नहीं पायेंगे। जीवन मुलाकात की कला है, चाहे जीवन में कई संघर्षें क्यों न हों। यही कारण है कि हमें मुलाकात की संस्कृति की जरूरत है क्योंकि एक व्यक्ति के रूप में हम मुलाकात के लिए उत्साहित रहते हैं, सम्पर्क विन्दु खोजते हैं, सेतु का निर्माण करते और ऐसी योजना बनाते हैं जो सभी को शामिल करता है।" संत पापा ने कहा कि यही कसौटी है जो आपके दैनिक समर्पण को अर्थ प्रदान करता है।

पोप ने उन्हें मुलाकात के माध्यम बनने, संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रवेश करने वालों को येसु की करुणा की ऊष्मा प्रदान करने, जरूरतमंद लोगों को दिशानिर्देश एवं सहज महसूस कराने के लिए मुस्कान देने हेतु धन्यवाद दिया।  

संत पापा ने संघ के सदस्यों को अधिक मानवीय बनाने एवं हृदय में आशा लिए हुए येसु की ओर देखने का प्रोत्साहन दिया तथा उनकी सेवा को साक्ष्य के रूप में जारी रखने का प्रोत्साहन देते हुए कुछ सलाह प्रस्तुत कीं।

पुनः शुरू करना

उन्होंने उन्हें पुनः शुरू करने किन्तु अपने मूल के प्रति निष्ठावान बने रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हम सभी बदल गये हैं किन्तु अपने आदर्श वाक्य के अनुसार "हम हमारे धर्मपिताओं के प्रति निष्ठा में सुदृढ़ बने रहें।"  

अधिक मानवीय

संत पापा ने कहा कि हममें बदलाव आया है क्योंकि हमने महसूस किया है कि मानवीय संबंध महत्व रखता है। हम सभी एक-दूसरे को प्यार करने, अधिक एकजुटता के साथ जीने, एक-दूसरे के लिए प्रोत्साहन भरे शब्द कहे जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं। संत पापा ने कहा कि उन्हें लोगों को आशा से पूर्ण जीवन देते रहना है।  

येसु की ओर नजर डालते हुए

संत पापा ने गौर किया कि संघ ने येसु के जीवन को हमें एक पूर्ण मानव के जीवन के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि इस समय "हम हमारे विश्वास का साक्ष्य इस घोषणा से देना चाहते हैं कि हमारे ठोस जीवन का आधार येसु के मानवीय स्वरूप में निहित है।" अतः उन्हें अच्छी तरह जानने, उनके जीवन पर गहराई से गौर करने, उनके वचनों एवं दूसरों के साथ उनके व्यवहार पर ध्यान देना है, जो उस आधार की खोज है जिसपर आज मानवता को जीना है। उन्हें देखकर हमें स्वागत करने, बांटने, सदभाव के साथ सुनने एवं मानवीय सामीप्य की सेवा में बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इस तरह हम सुसमाचार की सुन्दरता एवं शक्ति को प्रदर्शित कर सकते हैं।

हृदय में आशा के साथ

संत पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्वासियों की यात्रा में आशा कभी कम नहीं होनी चाहिए। हम सभी ख्रीस्त हैं, बपतिस्मा के द्वारा हम उनमें कलम किये गये हैं, हममें उनकी उपस्थिति है, उनकी ज्योति है, उनका जीवन है। इसलिए हम उनके वचन से शक्ति प्राप्त करते हुए आगे बढ़ें। यह जीवन का वचन है। हम आनन्द और आशा के साथ, इस बात पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ें कि कि वे अच्छाई के लिए हमारे समर्पण का साथ देना कभी नहीं छोड़ेंगे।" संत पापा ने युवाओं को विशेष रूप से सम्बोधित करते हुए कहा कि वे अपनी ऊर्जा, जरूरतमंद लोगों के लिए दान करें एवं सच्चे तथा ईमानदार मुलाकातों के व्यक्ति बनें।  

उन्होंने उन्हें तथा उनके परिवारों को धन्य कुँवारी मरियम के सिपूर्द किया एवं उनके लिए प्रार्थना की। अंत में, संत पापा ने उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

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08 January 2022, 15:19