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सीरिया से एक आप्रवासी दंपति अपने बच्चे के साथ सर्बिया और मसेडोनिया के बीच की सीमा पर शरणार्थियों के लिए एक अस्थायी सुविधा में। सीरिया से एक आप्रवासी दंपति अपने बच्चे के साथ सर्बिया और मसेडोनिया के बीच की सीमा पर शरणार्थियों के लिए एक अस्थायी सुविधा में। 

पोप : माता-पिता जो बच्चों के लिए हर चुनौती का सामना करते हैं, वे हीरो हैं

संत जोसेफ के साक्ष्य के आलोक में पितृत्व एवं परिवार विषय पर, वाटिकन मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में, पोप फ्राँसिस ने उन माताओं एवं पिताओं को प्रोत्साहित किया है जो अपने बच्चों को भविष्य की आशा प्रदान करने के लिए हर दिन संघर्ष करते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 जनवरी 2022 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें "हीरो" की संज्ञा दी है : जो माता-पिता महामारी से व्याकुल हैं; जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अन्यत्र पलायन कर रहे हैं; जो दुःख सह रहे हैं। उन्होंने उनके साहस को हीरो शब्द से परिभाषित किया है।

पोप ने उक्त बात वाटिकन मीडिया एवं ओस्सेरवातोरे रोमानो के निदेशक अंद्रेया मोंदा तथा वाटिकन संचार विभाग के उप-संपादक अलेसांद्रो जिसोतो को दिए एक साक्षात्कार में कही है।  

साक्षात्कार की पष्ठभूमि संत जोसेफ को समर्पित विशेष वर्ष है जिसका समापन पिछले साल के 8 दिसम्बर को हुआ। साक्षात्कार में 17 नवम्बर 2021 से जारी संत पापा की धर्मशिक्षा चक्र पर भी ध्यान दिया गया है जिसमें वे विश्वव्यापी कलीसिया के संरक्षक पर ध्यान केंद्रित करते हैं। संत पापा ने कहा है कि "मैं उन पिताओं एवं माताओं की परिस्थितियों से अधिक करीबी महसूस करता हूँ जो खासकर संकट झेल रहे हैं और जो महामारी के कारण अधिक बढ़ गया है।" उन्होंने कहा कि मैं मानता हूँ कि बच्चों को भोजन नहीं दे पाने एवं दूसरों के जीवन के लिए जिम्मेदार महसूस करने के दुःख को सहन कर पाना आसान नहीं है।

संत पापा ने उनके लिए अपनी प्रार्थनाओं, सामीप्य एवं समर्थन का आश्वासन दिया है, न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि पूरी कलीसिया की ओर से।     

उन्होंने साक्षात्कार में माता-पिताओं को ढाढ़स देते हुए कहा है, "माता-पिताओ, आप अकेला महसूस न करें! पोप आपको नहीं भूलते हैं!" वे उन सभी पिताओं, माताओं एवं परिवारों की याद करते हैं जो युद्ध के कारण पलायन कर रहे हैं, जिन्हें यूरोप और उसके आगे की सीमाओं पर ढकेल दिया गया है। जो पीड़ा और अन्याय की स्थिति में जीते हैं और जिनके बारे गंभीरता से कोई नहीं सोचता अथवा जानबूझ कर उनकी मदद नहीं की जाती है। मैं कहना चाहूँगा कि मेरे लिए वे हीरो हैं क्योंकि मैं उनमें वह साहस देखता हूँ जिसमें वे अपने बच्चों और परिवारों के प्रेम के खातिर अपना जीवन ही जोखिम में डालते हैं।

अतः पोप, संत मरियम एवं संत जोसेफ की याद करते हैं जिन्होंने हेरोद की हिंसा से बचने के लिए विदेश पलायन का दर्द झेला। उनकी पीड़ा उन्हें उन भाई बहनों के करीब लाती है जो आज वही कष्ट झेल रहे हैं। इसलिए उन्होंने आज के पिताओं को निमंत्रण दिया है कि वे दृढ़ विश्वास के साथ संत जोसेफ की ओर मुड़ें यह जानते हुए कि उन्होंने स्वयं अन्याय सहा है।

पोप ने पिताओं को प्रोत्साहन दिया है कि वे "अकेला महसूस न करें" क्योंकि वे "हमेशा उन्हें याद करते हैं और जितना संभव हो वे उनकी आवाज बनेंगे एवं उन्हें नहीं भूलेंगे।"

संत जोसेफ, अंधकार के क्षण में उजले साक्ष्य

तब संत पापा ने संत जोसेफ का येसु के पालक पिता होने की भूमिका पर गौर किया जिनके साथ वे बचपन से और आज परमधर्माध्यक्ष के रूप में भी समानता महसूस करते हैं। उनके परमाध्यक्षीय काल का उद्घाटन 19 मार्च को संत जोसेफ के पर्व के दिन हुआ था। यह एक संयोग है जिसे पोप फ्रांसिस "स्वर्ग की स्वादिष्टता" के रूप में परिभाषित करते हैं, क्योंकि ये "संत मुझे बतलाना चाहते हैं कि वे मेरी मदद करते रहेंगे।" वे "सामान्य व्यक्ति" है किन्तु "मुक्ति इतिहास की शुरूआत हेतु महत्वपूर्ण नायक भी।" जोसेफ ही हैं जिन्होंने येसु की रक्षा की, उन्हें पाला-पोसा और बड़ा किया।

वे एक कठिन समय के व्यक्ति थे जो जानते थे कि जिम्मेदारी किस तरह लेना है। और जो सबसे बढ़कर दो प्रकार के चरित्रों को एक साथ मिलाते हैं : ईश्वर को किस तरह सुनना है उसे जानना है, और पीड़ित हुए बिना समस्याओं का सामना करने की क्षमता रखना।

बाधाओं के सामने, संत जोसेफ, रचनात्मक रूप से हल पाने के लिए ईश्वर पर भरोसा रखते हैं। इस कारण महामारी के उत्पन्न अंधकार के क्षणों में वे एक उजले साक्षी हैं जो रास्ता पाने में हमारी मदद करते हैं।

पिता पैदा नहीं होते बल्कि बनाये जाते हैं

संत पापा ने जोर देते हुए कहा है कि पिता पैदा नहीं होते बल्कि वे बन जाते हैं। यही कारण है कि आज के पिताओं से आग्रह की जाती है कि वे येसु के पालक पिता को अपने आदर्श के रूप में देखें। जोसेफ ने पिता की भूमिका को इस तरह निभाया कि येसु ने उनके प्रेम एवं पितृत्व में, ईश्वर के लिए सबसे खूबसूरत सम्बोधन "पिता" प्राप्त किया। इस अर्थ में आज के बच्चे जो कल के पिता बनेंगे उन्हें अपने आपसे पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने पिता को किस रूप में पाया और वे किस तरह के पिता बनना चाहते हैं। ताकि पिता बनना एक संयोग अथवा अतीत का परिणाम मात्र न हो बल्कि वे निर्णय कर सकें कि किसी को प्यार किस तरह करना है।  

पिता अपने बच्चों के लिए एक संदर्भ विन्दु, न कि बाधा  

उसके बाद संत पापा ने स्वतंत्रता हेतु आमंत्रित किया है, जो पितृत्व के लिए केवल नहीं बल्कि प्रेम की सबसे सुन्दर विशेषता है। जिस तरह संत जोसेफ ने येसु की देखभाल उनपर अधिकार जताये बिना, उनके साथ हेरफेर किये बिना की, उसी तरह एक अच्छे पिता सही समय पर पीछे लौटना जानते हैं ताकि बेटा अपनी बुलाहट में विशिष्ठता के साथ उभर सके। संत जोसेफ का येसु के प्रति प्रेम का सबसे खास आयाम है "उनकी दीनता", उनका प्रकट रूप में नहीं रहना ताकि येसु अपने मिशन में चमक सकें, पालक पिता में अपना संदर्भ विन्दु पा सकें न कि उनसे बाधित हों।  

कलीसिया न केवल मातृ बल्कि पितृ भी हो

संत पापा ने कहा है कि पितृत्व की संकल्पना भी कलीसिया के लिए आवश्यक है। वास्तव में, करूणा के द्वारा यह अपनी मातृत्व प्रकट करती है किन्तु इसे पितृ तुल्य भी होना चाहिए। पैतृक नहीं क्योंकि इसमें पितृत्व की पूरी क्षमता होनी चाहिए कि वह बच्चों को जिम्मेदारी लेने, स्वतंत्र होने एवं निर्णय लेने के काबिल बना सके।

पोप ने कहा कि वर्तमान ऐतिहासिक समय, जिसमें युवा बहुधा निर्णय लेने, निर्णय प्रक्रिया में शामिल होने से डरते हैं, यह कलीसिया का कर्तव्य है कि वह प्रोत्साहन दे एवं महान चुनावों को संभव बनाये। उसी तरह जिस तरह पिता करते हैं वे नहीं बतलाते कि सब कुछ अच्छा होगा बल्कि किसी कठिनाई और असफलता में कहते हैं कि तुम कर पाओगे एवं सम्मान के साथ जियोगे।  

आध्यात्मिक पिता का महत्व जो आत्मपरख करने में मददगार

संत पापा ने "आध्यात्मिक पितृत्व" की ओऱ भी ध्यान खींचा। उन्होंने बतलाया कि पुरोहितों को किस तरह, खुद को ईश्वर के पुत्र एवं कलीसिया के पुत्र के रूप में पहचानते हुए, पिता बनने सीखना है। मानवीय रूप में, यदि कहें तो एक अच्छा पिता अपने बच्चे को अपने समान बनने में मदद देता है, उसे स्वतंत्र बनाता और महान निर्णय करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उसी तरह एक अच्छा आध्यात्मिक पिता, लोगों के अंतःकरण में अपने आप के प्रति भरोसा नहीं दिलाता बल्कि दृढ़ता पूर्वक रास्ता दिखाता एवं आत्मपरख करने में मदद देता है। आध्यात्मिक पिता की जरूरत पहले की अपेक्षा आज कहीं अधिक है क्योंकि संबंधों को मिलाने के लिए इसकी अति आवश्यकता है। यही कारण है कि पोप "आध्यात्मिक मातृत्व" की भी बात करते हैं जो "साथ देने की भूमिका है" जिसमें कई अच्छे धर्मसमाजी, समर्पित महिलाएँ एवं लोकधर्मी नारियाँ शामिल हैं जो अपने अनुभव के महान धन को दूसरों के साथ साझा करते हैं।

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13 January 2022, 15:31