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संत पापाः विकास और आध्यात्मिकता हेतु कार्य महत्वपूर्ण

संत पापा फ्रांसिस ने अपनी बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत योसेफ पर अपनी धर्मशिक्षा माला को जारी रखते हुए मानवीय जीवन में रोजगार के महत्व पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 12 जनवरी 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

सुसमाचार लेखक संत मत्ती और संत मारकुस योसेफ को एक बढ़ई या योजक के रुप में प्रस्तुत करते हैं। हमने नाजरेत के लोग को येसु से यह कहते सुना, “क्या यह बढ़ई का बेटा नहींॽ” येसु अपने पिता के हस्तकौशल का अभ्यास करते हैं।

बढ़ई के कार्य

यूनानी भाषा में तेकतोन शब्द का उपयोग योसेफ के कार्यों को उल्लेखित करने हेतु किया जाता है जिसका कई अन्य रुपों में अनुवाद किया गया है। कलीसिया के लातीनी आचार्यों ने इसे “बढ़ई” की संज्ञा दी है। लेकिन हम इस बात की याद करें कि येसु के समय फिलिस्तीन में इस शब्द का उपयोग हल और फर्नीचर बनाने वालों के लिए किया जाता था इसके साथ ही गृह निर्माण के कार्यो के लिए भी जिसमें लकड़ी की खिड़कियाँ और छतें शामिल थीं जहाँ बीमों को शाखाओं और मिट्टी से जोड़ी जाती थीं।

अतः बढ़ई या योजक एक सामान्य योग्यता को परिभाषित करती थी जो निर्माण के कार्य, लकड़ी और शिल्पकारिता दोनों बातों की ओर इंगित करती थी। यह अपने में एक कठिन कार्य था जिसमें भारी लकड़ी, पत्थर और लोहे के कार्य़ शामिल थे। आर्थिक दृष्टिकोण से इस कार्य में अधिक कमाई नहीं होती थी जैसे कि हमें इसके बारे में पता चलता है, जब मरियम और जोसेफ येसु को मंदिर में प्रस्तुत करते हुए पण्डुकों या कबूतर के दो जोड़े अर्पित करते हैं (लूका 2.24) जैसे कि यह संहिता के नियम में गरीबों के लिए निर्धारित था (लेवी.12.8)।

अतः किशोर येसु इस व्यवसाय को अपने पिता से सीखते हैं। इसीलिए जब वे व्यस्क के रुप में प्रवचन देना शुरू करते तो यह उनके गांववालों को आश्चर्यचकित करता है और वे कहते हैं, “इस व्यक्ति को यह ज्ञान और सामर्थ्य कहाँ से मिलाॽ (मत्ती. 13.54) वे अपने में भ्रमित हो जाते हैं, क्योंकि बढ़ई के पुत्र होते हुए वह संहिता के एक विद्वान की तरह शिक्षा देता था।

संत पापा की संवेदना

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि संत योसेफ और येसु ख्रीस्त की जीविनी का यह वृतांत मुझे विश्व के सभी मजदूरों के बारे में सोचने को विवश करता है विशेष कर जो खदानों और करखानों में कड़ी मेहनत करते हैं। वे जिनका शोषण अघोषित कार्य के रुप में किया जाता है, जिन्हें थोड़ी मजदूरी दी जाती, जिनके लिए पेंशन की कोई सुविधा नहीं है। और यदि वे मजदूरी नहीं करते तो उनकी कोई सुरक्षा नहीं है। अवैध कार्य जो आज कितने ही हैं। श्रम के दौरान दुर्घटनाओं के शिकार। बच्चे जो बंधुवा मजदूरी के शिकार हैं जो अपने में भयावाह है। बच्चे जो अपने खेलने-कूदने के समय में व्यस्कों की भांति कार्य करने को विवश हैं। और वे लोग जो कूड़ेदान में व्यपार की चाह में कुछ पाने को टूट पड़ते हैं... ये सभी हमारे भाई-बहनें हैं जो अपनी जीविका अर्जन करते हैं। यह उन्हें मानवीय सम्मान देता है। हम इसके बारे में विचार करें। यह हमारे बीच आज की दुनिया में होता है। मैं उन लोगों की भी याद करता हूँ जो बेरोजगार हैं। कितने ही हैं जो श्रम की चाह में फैक्टरियों व्यवसायों के दरवाजों को खटखटाते हैं,“लेकिन उनके लिए कुछ किया जा सकता है” “कुछ नहीं...” हम कार्य की कमी को पाते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं उन लोगों के बारे में भी सोचता हूँ जो रोजगार के अभाव में अपने सम्मान को घालय पाते हैं। वे कारितास क्रेन्दों में जाकर अपने लिए रोटी लेकर आते हैं। हम कारितास केन्द्र से रोटियाँ ला सकते हैं लेकिन यह हमें सम्मान प्रदान नहीं करता बल्कि खुद की रोटी कमाना हमें मानवीय सम्मान देता है। यदि हम अपने लोगों को रोटी कमाने के अवसर प्रदान नहीं कर सकते तो यह देश में, महादेश में सामाजिक अन्याय को बयाँ करती है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे हर एक को रोटी कमाने का अवसर मुहैया कराये क्योंकि यह लोगों को सम्मान प्रदान करता है। कार्य गरिमा प्रदान करती है और यह महत्वपूर्ण है। बहुत से युवा, बहुत से माता-पिता हैं जो नौकरी न होने के कारण शांति में जीने का नाटक करते हैं। कई बार रोजगार की खोज उन्हें इतना निराश कर देती कि वे अपनी आशा और जीने की चाह को खो देते हैं। महामारी के इस समय में, बहुत से लोगों ने अपने रोजगारों को खोया है, और कुछ अपने में भार से इतने दबे हैं, और उस स्थिति तक पहुँच जाते हैं जहाँ वे अपनी जीवन लीला खत्म कर लेते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं आज उस सभों को और उनके परिवारों की याद करता हूँ।

रोजगार जवीन का महत्वपूर्ण घटक

इस तथ्य पर प्रर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है कि कार्य मानव जीवन का एक अनिवार्य घटक है, और यहाँ तक कि पवित्रता के मार्ग का भी। कार्य केवल जीविका अर्जन का साधन नहीं है यह वह स्थल होता है जहाँ हम अपने को व्यक्त करते हैं, अपनी उपयोगिता का अनुभव करते और जीवन की बड़ी सच्ची बातों को सीखते हैं जो हमारे आध्यात्मिक जीवन को आध्यात्मिकतावाद से बचाये रखती है। दुर्भाग्यवश, श्रम यद्यपि हमें अधिक मानवीय होने में मदद करने के बदले अक्सर सामाजिक अन्याय का बंधक बनाती है यह एक अस्तित्वगत परिधि बन जाती है। संत पापा ने कहा कि मैं हमेश अपने आप से पूछता हूँ, हम किस मनोभाव से अपने रोज दिन के कार्य को करते हैंॽ हम अपनी थकान का सामना कैसे करते हैंॽ क्या हम अपने क्रिया-कलापों को केवल अपने भाग्य से जोड़ कर देखते या यह हमें दूसरों के साथ भी संयुक्त करता हैॽ वास्तव में, कार्य हमारे व्यक्तित्व की एक अभिव्यक्ति है जो अपने संबंध में प्रकृति से जुड़ी हुई है। वास्तव में, काम हमारे व्यक्तित्व को व्यक्त करने का एक तरीका है, जो अपने स्वभाव से संबंधपरक है। काम हमारी रचनात्मकता को व्यक्त करने का भी एक माध्यम है, हर कोई अपने तरीके से काम करता है, अपनी शैली से, हम एक ही काम को अलग-अलग रूपों में करते हैं।

कार्य पर मंथन

यह हमारे लिए उचित है कि हम इस सच्चाई पर विचार करते हैं कि येसु को कार्य करना पड़ा और वे संत योसेफ से शिल्पकारिता सीखते हैं। आज हमें अपने में पूछने की जरूरत है हम श्रम के गुण की खोज करने के लिए क्या कर सकते हैं और कलीसिया के रुप में अपनी ओर से क्या दे सकते हैं, ताकि कार्य को सिर्फ लाभ के तर्क से दूर किया जा सके और इसे व्यक्ति के एक मौलिक अधिकार और कर्तव्य स्वरूप अनुभव किया जा सकें, जो उसकी गरिमा को व्यक्त करता और बढ़ाता है।

अपनी धर्मशिक्षा के अंत में संत पापा ने कहा, “प्रिय भाइयों और बहनों,  यही कारण है कि आज मैं आप सभों के साथ मिलकर उस प्रार्थना का पाठ करना चाहूँगा जिसे संत पापा पौल 6वें ने 1 मई 1969 को संत जोसेफ को समर्पित किया था”

हे संत योसेफ, कलीसिया के संरक्षक।

तूने, शरीरधारण वचन की बगल में रहते हुए

अपने प्रतिदिन की जीविका अर्जन हेतु कार्य किया,

तूने उनसे जीवन और मेहनत हेतु शक्ति प्राप्त की

तूने कल की चिंता, गरीबी की कटुता, श्रम की अनिश्चितता का अनुभव किया

लोगों की आखों में दीनता के भाव, तू आज हमें उदीप्त उदाहरण देता है,

ईश्वर की दृष्टि में महान, श्रमिकों के कठिन जीवन की रक्षा कर

उन्हें निराश होने से, नकारात्मक विद्रोह और आनंदमयी प्रलोभनों से बचा,

और विश्व में शांति बनाये रख,

जिससे केवल शांति में ही लोगों का विकास सुनिश्चित हो सके, आमेन।

 

 

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12 January 2022, 14:15