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#मैं कलीसिया हूँ˸ दिव्यांग लोगों के जीवन में ईश वचन

लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा जारी #मैं कलीसिया हूँ, पहल में पाँच वीडियो हैं जो दिव्यांग लोगों के दैनिक संघर्ष को दर्शाते हैं। इनका जीवन इसलिए प्रेरणादायक है क्योंकि वे अपने जीवन को भार समझने अथवा अपने आपको दूसरों से अलग कर लेने की अपेक्षा वे कलीसियाई समुदाय को अपना विशेष योगदान दे रहे हैं। "दिव्यांग लोगों के जीवन में ईश वचन", पाँचवें और अंतिम वीडियो का शीर्षक है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 22 जनवरी 2022 (रेई)- जब कलीसिया ईश वचन रविवार मनाने की तैयारी कर रही है, लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने #मैं कलीसिया हूँ, श्रृंखला के पाँचवें वीडियो को प्रकाशित किया है।

यह अंतिम वीडियो रोम के दो युवाओं अंतोनियता और फेदेरिको को प्रस्तुत करता है जो अपने विश्वास के अनुभव को "विश्वास एवं प्रकाश" समुदाय के अंदर जी रहे हैं।  

उनकी कहानी इन दिनों विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब कलीसिया ईश वचन रविवार मनाने जा रही है और जब संत पापा पहली बार प्रचारक की प्रेरिताई के लिए लोकधर्मियों की नियुक्ति की धर्मविधि सम्पन्न करेंगे।

दोनों युवा उत्साह के साथ अपना साक्ष्य देते हैं कि "सुसमाचार सभी के लिए है" और बतलाते हैं कि येसु के साथ मुलाकात ने उनके जीवन में गहराई से परिवर्तन लाया है।

कठिनाई और आनन्द

अंतोनिएता नहीं छिपाती हैं कि उन्हें विकलांगता के साथ जीने में मुश्किलता होती है। वे कहती हैं, "अब आप मुझे दिनभर मुस्कुराते हुए देखते हैं किन्तु कुछ क्षण ऐसे होते हैं जब मैं अपने आपसे पूछती हूँ, लेकिन क्यों?"

उनकी कहानी एक शांत महिला की कहानी है जिसका जीवन ईश वचन को सुनने पर आधारित है और वह उस उपहार को वापस देना चाहती है जिसको उसने खुद प्राप्त किया है। यही कारण है कि उसने अपना जीवन बच्चों को धर्मशिक्षा देने में समर्पित किया है।   

फेदेरिको जो पढ़ नहीं सकते हैं, बतलाते हैं कि वे किस तरह समुदाय में सामूहिक पाठ एवं नाट्य प्रस्तुति के द्वारा ईश वचन सुनते हैं। वे कहते हैं कि इस तरह "येसु उपस्थित हो जाते हैं और मेरा साथ देते हैं, हमेशा, यहाँ तक कि अभी भी।"

अंतोनिएता बतलाती हैं कि उनका आनन्द एवं दृढ़ता कहाँ से आता हैं। वे कहती हैं, "यदि वे नहीं होते तो मैं ईमानदारी पूर्वक कहती हूँ कि नहीं जानती कि मैं जो मुस्कान प्रतिदिन प्राप्त करती हूँ उसे कहाँ से प्राप्त करती।" विकलांगता की समस्या, यदि आप इसे नहीं जीते हैं, तो आप एक ऐसे व्यक्ति को नहीं समझ सकेंगे जो यहाँ है [व्हीलचेयर में]। इसलिए मेरे लिए ईश्वर ही सब कुछ हैं।"

अमोरिस लेतित्सिया वर्ष

#मैं कलीसिया हूँ, "अमोरिस लेतित्सिया परिवार वर्ष" के हिस्से के रूप में लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद की पहल है।  

यह पाँच वीडियो की एक यात्रा है जिनमें ऐसे लोगों की खोज की गई है जो अक्सर फेंकने की संस्कृति के शिकार होते हैं जबकि वे एक मुस्कुराती हुई मानवता का साक्ष्य देते हैं और बिल्कुल पीड़ित नहीं दिखते: यह कलीसिया का एक आकर्षक चेहरा है।

ये महिला और पुरूष, लोकधर्मी और समर्पित, ईशशास्त्री और साधारण विश्वासी हैं जो दिव्यांग जगत की पेचीदगी और समृद्धि को दिखलाते हैं।

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22 January 2022, 14:40