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देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्राँसिस एवं उपस्थित विश्वासी देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्राँसिस एवं उपस्थित विश्वासी 

देवदूत प्रार्थना : प्रतिदिन अपने निकट के लोगों में येसु को खोजें

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को धर्मविधि के सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया तथा विश्वासियों को विनम्र एवं उदार बनने हेतु प्रेरित किया, जिससे कि हम प्रभु के रास्तों को कभी अस्वीकार न करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 30 जनवरी 2022 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार, 30 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ, येसु के पहले उपदेश को प्रस्तुत करता है जिसको उन्होंने अपनी मातृभूमि नाजरेथ में दिया था। संत पापा ने कहा, "इसका परिणाम कड़ुवा था : सहमति पाने के बदले उन्हें गलतफहमी एवं विरोध का सामना करना पड़ा।" (लूक.4,21-30) उनके गाँववाले, सच्चाई के एक शब्द के बदले चमत्कार चाहते थे, अनोखा चिन्ह चाहते थे। जब प्रभु ने ऐसा नहीं किया तब लोग उन्हें इंकार कर दिये, क्योंकि उन्होंने कहा कि वे उन्हें पहले से जानते हैं, वे जोसेफ के बेटे हैं (पद.22) इसपर येसु एक वाक्य बोलते हैं, जो कहावत बन जाती है : "नबी का स्वागत अपने गाँव में नहीं किया जाता।" (24)

बुराई का बदला भलाई से

यह बात प्रकट करती है कि उनकी असफलता पूरी तरह अनापेक्षित नहीं थी। वे अपने लोगों और अपने लिए जो खतरा था उसे जानते थे। पर उन्होंने तिरस्कार पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए हम पूछ सकते हैं कि यदि वे असफलता को जानते थे तो क्यों अपने गाँव गये? उन लोगों के लिए क्यों अच्छा काम करना चाहिए जो आपको स्वीकार नहीं करते? यह एक सवाल है जिसको हम बार-बार अपने आप से पूछते हैं। यह सवाल हमें ईश्वर को अधिक अच्छी तरह समझने में मदद देता है। हमारे द्वार को बंद पाकर वे वापस नहीं लौट जाते, अपने प्रेम पर रोक नहीं लगाते। हम इसके प्रतिबिम्ब को माता-पिता में देखते हैं जो अपने बच्चों की कृतघ्नता को जानते हैं किन्तु उन्हें प्यार करने एवं उनकी अच्छाई के लिए काम करना नहीं छोड़ते। ईश्वर ऐसे ही हैं, लेकिन यह एक बहुत उच्च स्तर है। आज वे हमें भी अच्छाई पर विश्वास करने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं।  

नम्रता एवं उदारता

हालांकि, नाजरेथ में जो कुछ हुआ, हम भी कुछ उसी तरह पाते हैं। येसु का अपने लोगों के द्वारा विरोध किया जाना हमें सोचने के लिए प्रेरित करता है कि वे स्वागत करनेवाले नहीं थे, पर हम? इसकी जाँच करने के लिए आइये हम आज येसु के स्वागत किये जाने के तरीके पर गौर करें। दो विदेशी हैं : सिदोन के सरेप्ता की विधवा एवं दूसरा नामान जो सारिया का था। दोनों ने नबियों का स्वागत किया, पहले ने नबी एलियाह का और दूसरे ने नबी एलिशाह का। किन्तु यह आसान स्वागत नहीं था, उन्हें परीक्षा से होकर गुजरना पड़ा। विधवा ने एलियाह का स्वागत उस समय किया जब आकाल का समय था और नबी पर अत्याचार हो रहा था। (1 राजा 17,7-16) नामान दूसरी ओर एक सम्मानित व्यक्ति होते हुए भी नबी एलिशा के आग्रह को स्वीकार किया, जिसके लिए उन्हें विनम्र होकर नदी में सात बार डुबकी लगाना पड़ता है। (2 राजा 5,1-14) संक्षेप में, विधवा एवं नामान दोनों ने उदारता एवं दीनता के द्वारा उनका स्वागत किया। विश्वास यहाँ उदारता एवं विनम्रता में प्रकट होता है। विधवा और नामान ने ईश्वर एवं नबियों के रास्ते को अस्वीकार नहीं किया, वे उदार थे, कठोर और बंद नहीं।

दैनिक जीवन की वास्तविकता में येसु की खोज करें चमत्कार में नहीं

संत पापा ने कहा, "भाइयो एवं बहनो, येसु भी नबियों के रास्ते पर चलते हैं, वे अपने आपको इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि हम उनसे उस तरह उम्मीद नहीं किये होते हैं। जो चमत्कार की आशा करते, वे उसे नहीं पाते हैं। यदि हम चमत्कार की खोज करते हैं तो येसु को नहीं पायेंगे। जो लोग नई अनुभूति, खास अनुभव, अदभुत चीजें प्राप्त करते, शक्ति और बाह्य चिन्हों से बने चीजों पर विश्वास की खोज करते, वे उन्हें नहीं पायेंगे। केवल वे ही उन्हें पायेंगे जो उनके रास्तों एवं चुनौतियों को बिना शिकायत, बिना संदेह, बिना आलोचना एवं लम्बे चेहरे के स्वीकार करते हैं। दूसरे शब्दों में येसु हमें अपने दैनिक जीवन की वास्तविकता में स्वागत करने के लिए कहते हैं। उन लोगों में येसु का स्वागत करें जो हर दिन हमारे नजदीक रहते हैं। जरूरतमंद व्यक्ति की जरूरतों में, अपने परिवार की समस्याओं में, माता-पिता एवं बच्चों और दादा-दादी में ईश्वर का स्वागत करें। वे हमें निमंत्रण देते हैं कि हम उदारता एवं विनम्रता की नदी में स्नान कर अपने को शुद्ध करें। दीनता हमें ईश्वर से मुलाकात कराती है।"

खुले मन एवं सरल हृदय की मांग

संत पापा ने कहा, "और हम, क्या स्वागत करते हैं या गाँव वालों के समान हैं जो सोचते थे कि वे उनके बारे सब कुछ जानते हैं?" मैंने ईशशास्त्र की पढ़ाई की है, मैं धर्मशिक्षा का क्लास लेता हूँ...मैं येसु के बारे सब कुछ जानता हूँ," संत पापा ने कहा कि मूर्ख न बनें, आप येसु के बारे सब कुछ नहीं जानते।

कई सालों तक विश्वासी रहने के बाद हम शायद सोचने लगते हैं कि हम अपने विचारों और न्याय से प्रभु को अच्छी तरह जानते हैं। इससे एक खतरा होता है कि हम येसु के आदी हो जाते हैं, हम किस तरह येसु के आदी हो जाते हैं?" अपने आपमें बंद होकर, उनकी नवीनता के लिए खुला नहीं होकर। जब वे हमारा द्वार खटखटाते एवं हमें कुछ नयी बात बतलाना चाहते हैं तो वे हममें प्रवेश करना चाहते है। अतः हमें अपनी बंद स्थिति  से बाहर निकलना है। दूसरी ओर, प्रभु हमसे एक खुले मन एवं सरल हृदय की मांग करते हैं। खुला मन और सरल हृदयवाला व्यक्ति हमेशा आश्चर्य चकित होता है। प्रभु हमेशा आश्चर्य चकित करते हैं। यही येसु के साथ मुलाकात की सुन्दरता है। कुँवारी मरियम दीनता एवं उदारता की आदर्श हमें येसु का स्वागत करने का रास्ता दिखलाये।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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30 January 2022, 17:11