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उरबी एत ओरबीः क्रिसमस वार्ता, एकता और शांति का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने ऊरबी एत ओरबी, रोम और विश्व के नाम अपने संदेश में वैश्विक शांति की कामना करते हुए वार्ता, एकता और शांति हेतु प्रार्थना की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने ख्रीस्त जन्म पर्व के अवसर पर वाटिकन महागिरजाघर के झरोखे से रोम और विश्व को अपना शांति संदेश प्रदान किया।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर का शब्द, जिन्होंने विश्व की सृष्टि की, जो इतिहास और मानवता के तीर्थ को अर्थपूर्ण बनाते हैं शरीरधारण कर हमारे बीच में आये। वे एक फुसफसाहट, एक शीतल मंद पवन की तरह आते और हर नर-नारी के हृदय को आश्चर्य से भर देते हैं जो इस रहस्य हेतु अपने को खुला रखते हैं। 

वार्ता ईश्वर की चाह

शब्द ने शरीरधारण किया जिससे वे हमारे संग वार्ता कर सकें। ईश्वर एकालाप की चाह नहीं रखते बल्कि वे एक वार्तालाप चाहते हैं। क्योंकि ईश्वर स्वयं पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ईश्वर के रूप में, वार्ता, एक अनंत प्रेममय एकता और जीवन हैं।

शब्द का शरीरधारण करना, येसु के रूप में विश्व में आना हमें मिलन और वार्ता की राह दिखलाता है। वास्तव में, वे उस मार्ग को अपने में आत्मसात करते जिसे हम उसे जाने और विश्वास तथा आशा में उसका अनुसारण कर सकें।

वार्ता की राह लम्बी, हितकर

संत पापा ने कहा प्रिय भाई एवं बहनों, “धैर्यपूर्ण वार्ता के बिना जिसके द्वारा बुहत से उदार हृदय लोग अपने परिवारों और समुदायों को एकसूत्र में बांधे रहते, विश्व का हाल क्या होगाॽ (फ्रतेल्ली तूत्ती, 198)। महामारी के इस समय में, हमने इस तथ्य को और अधिक गरहाई से अनुभव किया है। सामाजिक संबंधों हेतु अथक प्रयास किया जाता है, इसमें हम एक खींचाव को पाते हैं जिसके फलस्वरुप एक साथ मिलकर कार्य करने के बदले हम सारी चीजों के अपने में करना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वार्ता नजरअदांज की जोखिम में दिखलाई देती है। यह जटिल समस्या हमें वार्ता की लम्बी राहों को स्थापित करने के बदले छोटे मार्ग का चुनाव करने को अग्रसर करता है। यद्यपि केवल लम्बी राहें हमें झगड़ों के समाधान हेतु अग्रसर करती हैं जो सभों के भलाई का कारण बनता है।

वास्तव में, यहाँ तक कि मुक्तिदाता का जन्म संदेश जो शांति के उद्गम हैं, सदैव हमारे और सारे विश्व के हृदय में युद्धों की गूंजन, विपत्ति और असहमति व्यक्त करता है। यह कभी खत्म नहीं होने-सा प्रतीत होता और वर्तमान में हम उन पर ध्यान देने की भी नहीं सोचते हैं। हम उन सारी चीजों के संबंध में इतने आदी हो गये हैं कि बड़ी त्रासदियाँ अपने में चुपचाप पार हो जाती हैं, हम अपने बहुत से भाई-बहनों के दुःख और दर्द को नहीं सुनने की जोखिम में पड़ जाते हैं।

सीरिया

संत पापा ने कहा कि हम सीरिया के लोगों की याद करें जो एक सदी से युद्धों का दंश झेल रहे हैं जिसके कारण असंख्य लोगों को विस्थापन का शिकार होना पड़ा है। हम ईराक को देख सकते हैं जो एक लम्बी लड़ाई से उबर नहीं पाया है। हम यमन से आने वाले बच्चों की रूदन को सुनें जहाँ सालों से हो रही एक बड़ी त्रासदी को हर किसी ने अनदेखा किया, जिसके कारण हर दिन लोग मारे जा रहे हैं।

इस्रराएल और फिलिस्तीन

हम इस्रराएल और फिलिस्तीन के बीच जारी तनाव की भी याद करें जो एक समाधान के बिना खींचा जा रहा है जिसके कारण सामाजिक और राजनीतिक में और भी गंम्भीर परिणाम उत्पन्न हो रहे हैं। हम बेतलेहेम को नहीं भूल सकते हैं जहाँ येसु जन्मे, यह महामारी के कारण आर्थिक रुप में कठिनाई का सामना कर रहा है जिससे तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र भूमि की तीर्थ में बाधा उत्पन्न हुआ है और लोगों का जनजीवन प्रभावित है। हम लेबनान के बारे में सोचें जो एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है, जिसकी आर्थिक और सामाजिक स्थितियाँ बहुत ही विचलित करने वाली हैं।

वार्ता हेतु शक्ति की याचना

इनके बावजूद, हृदय के अंधेरे में हम आशा की निशानी को देखते हैं। आज, प्रेमः जैसे दांते कहते हैं “जो सूर्य और तारों को हिला देता” ने शरीरधारण किया है। वे मानव के रुप में आये हैं, वे हमारे दुःखों में सहभागी होते और उदासीनता की दीवार को तोड़ते हैं। सर्द भरी रात में, वे अपनी नन्ही बाहों को हमारी ओर फेरते हैं, उन्हें हर चीज की आवश्यकता है यद्यपि वह हमें हर चीज प्रदान करते हैं। हम उनसे वार्ता करने हेतु शक्ति की याचना करें। इस पर्व के दिन हम उनसे निवेदन करें कि वे हमारे हृदयों को मेल-मिलाप और भ्रातृत्व हेतु उद्वेलित करें। हम, अब उनकी ओर अभिमुख होते हुए उन से प्रार्थना करें।

बालक येसु, मध्य पूर्वी प्रांत और सारे विश्व को अपनी शांति और सौहार्द प्रदान कर। उन्हें अपनी कृपा से भर दे जो अपने जमींर से पलायन हेतु बाध्य लोगों के लिए मानवतावादी कार्य में लगे हैं। अफगानिस्तान के लोगों को अपनी सांत्वना प्रदान कर जो विगत चालीस सालों से अधिक अपने को युद्धों से प्रभावित पाते जिसके कारण बहुतों को देश छोड़ना पड़ा है।

राजनीति अधिकारियों के लिए प्रार्थना

सभी देशों के राजा, राजनीति अधिकारियों की सहायता कर जिससे वे युद्ध और तनाव भरे समाज में शांति स्थापित कर सकें। म्यांमार के लोगों को अपनी सहायता प्रदान कर जहाँ ईसाई समुदाय और पूजा स्थल असहिष्णुता और हिंसा के कारण बन रहे हैं, जिससे लोगों के मध्य शांति छाई रहे।

उन्हें अपनी ज्योति और सहायता प्रदान कर जो बाधाओं के बावजूद वार्ता में विश्वास करते हुए मिलन के माध्य इसे स्थापित करने का प्रयास करते हैं। यूक्रेन में, लंबे समय से चली आ रही संघर्ष के नए प्रकोप को रोकने की कृपा कर।

इथोपिया में मेल-मिलाप हो

शांति के राजकुमार, इथोपिया को एक मेल-मिलाप और शांति के मार्ग की खोज करने में मदद कर जो लोगों की सबसे जरूरी आवश्यकताओं में से एक है। साहेल प्रांत के लोगों की विनय सुन जो हिंसा और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का अनुभव कर रहे हैं। उत्तरी अफ्रीका के देशों में अपनी करूणा की निगाहें फेर जो विभाजनों, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता से ग्रस्ति हैं। असंख्य भाई-बहनों के दर्द को दूर कर जो सूडान और दक्षिणी सूडान में गृह युद्ध के कारण पीड़ित हैं।

ऐसी कृपा कर कि वार्ता, आपसी सम्मान और मानव अधिकारों की पहचान तथा सांस्कृतिक मूल्यों की मान्यता के माध्यम, अमेरिकी लोगों के दिलों में एकजुटता, मेल-मिलाप और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के मूल्य स्थापित हो सकते हैं।

महामारी में सांत्वना

ईश्वर के पुत्र, महामारी के समय में बढ़ी नारियों के विरूध हुए हिंसा से प्रभावितों को सांत्वना प्रदान कर। बच्चों और युवाओं में आशा जगा जो धौंस और शोषण के शिकार हैं। बुर्जुगों को विशेषकर उन्हें अपनी सांत्वना और प्रेममय उत्साह प्रदान कर जो अपने में एकदम अकेले छोड़ दिये जाने का अनुभव करते हैं। परिवारों को एकता और शांति प्रदान कर जो बच्चों के लिए प्रथम शिक्षण स्थल और समाज का ताने-बाने हैं।  

उदार दिलों को आशीष

ईश्वर तू जो हमारे संग रहता है, बीमार को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान कर और सभी नेक चाह रखने वाले नर-नारियों को इस बात के लिए प्रेरित कर कि वे वर्तमान स्वास्थ्य संकट और इसके प्रभाव से बाहर निकलने में अपनी ओर से सर्वोतम कोशिश कर सकें। हमारे हृदयों को खोल जिससे हम विशेष रूप से टीको की व्यवस्था - उनके लिए कर सकें जिन्हें सबसे अधिक आवश्यकता है। उन लोगों को अपने वरदानों से भर दे जो उदारतापूर्वक परिवार के सदस्यों, बीमारों और सबसे कमजोर लोगों की देखभाल हेतु खुद को समर्पित करते हैं।

गुलामों की हिराई

बेतलेहेम के बालक ऐसी कृपा कर कि युद्ध में संलग्न सैनिक और कैदी नागरिक तथा वे जो राजनीतिक कारणों से कैद हैं, जल्द ही अपने घर को लौट सकते हैं। प्रवासियों, विस्थापितों और शरणार्थियों की दुखद स्थिति के प्रति हमें उदासीन न बना। उनकी आंखें मानवता की अनदेखी करते हुए दूसरी ओर निगाहें फेरने को नहीं कहती, बल्कि उनकी कहानियों को अपनाने और उनकी दुर्दशा के प्रति कार्य करने का निमंत्रण देती है।

दिव्य वचन जो शरीरधारण किया हमें, हमारे सामान्य निवास के प्रति सर्तक कर जो हमारी लापरवाही के कारण कई रूपों में पीड़ित है। राजनीतिक नेताओं को प्रभावी समझौतों तक पहुंचने की प्रेरणा प्रदान कर, ताकि आने वाली पीढ़ियां अच्छे वातावरण में सम्मानपूर्ण जीवन जी सकें।

बालकः मानवता की आशा

संत पापा ने कहा प्रिय भाइयो एवं बहनों हमारे समय के तमाम मुसीबतों के बीच, आशा बरकरार रही हैं, “क्योंकि एक बालक का जन्म हुआ है”(इसा.9.6)। वे शब्दों के ईश्वर हैं जो बालक बनें, जो केवल रोने के योग्य हैं और उन्हें हर चीज की जरुरत है। वे हर बालक की भांति बोलने सीखने की चाह रखते हैं जिससे हम पिता को सुनने हेतु सीख सकें, एक दूसरे को सुनना जाने और अपने भाइयो और बहनों के साथ वार्ता कर सकें।

हे ख्रीस्त, तू हमारे खातिर जन्म लिया, हमें अपने संग शांति में चलने की शिक्षा दे।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिन ने रोम और विश्व के नाम ख्रीस्त जंयती के अपने संदेश की इति की और सभों को येसु जन्म महोत्सव की शुभकामनाएं अर्पित करते हुए दूतसंदेश प्रार्थना का पाठ किया।

ख्रीस्त जंयती महोत्सव का आशीर्वाद प्रदान करने के पूर्व संत पापा फ्रांसिस ने सभों के ऊपर दण्डमोचन की अतिविशिष्ट प्रार्थना का पाठ किया और अंत में सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।  

 

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उरबी एत ओरबी में संत पापा का संदेश
25 December 2021, 15:26