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सीरिया के प्रवासी बच्चे क्लास में प्रवेश करने की प्रतिक्षा करते हुए सीरिया के प्रवासी बच्चे क्लास में प्रवेश करने की प्रतिक्षा करते हुए 

संत पापा का शांति दिवस संदेशः पीढ़ीगत संवाद, शिक्षा और कार्य

1 जनवरी को चिन्हित 55वें विश्व शांति दिवस के लिए अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने स्थायी शांति के निर्माण के लिए तीन तत्वों को इंगित किया: पीढ़ियों के बीच संवाद, शिक्षा और कार्य।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार 21 दिसम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : काथलिक कलीसिया के विश्व शांति दिवस के लिए अपने वार्षिक संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने सद्भावना के सभी पुरुषों और महिलाओं, सरकारी नेताओं और निर्णय लेने वालों से पीढ़ियों की बीच संवाद, शिक्षा और कार्य के पथ पर साहस और रचनात्मकता के साथ चलने का आह्वान किया।

इस संदेश का परिचय देते हुए, संत पापा ने रेखांकित किया कि शांति का मार्ग "कई पुरुषों और महिलाओं के वास्तविक जीवन से दुःखद रूप से दूर" बना हुआ है। युद्धों और संघर्षों की तीव्रता, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट, एक व्यक्तिवादी आर्थिक मॉडल और कोविड -19 महामारी के प्रभावों का हवाला देते हुए, संत पापा कहते हैं कि “गरीबों का क्रंदन और पृथ्वी की पुकार” लगातार खुद को सुनने हेतु न्याय और शांति की गुहार लगा रही है।"

वे कहते हैं, "हर युग में शांति ईश्वर का एक उपहार है और एक साझा प्रतिबद्धता का फल है।" संत पापा स्थायी शांति के निर्माण के लिए तीन मार्गों की चर्चा करते हैँ।

पीढ़ियों के बीच संवाद

संत पापा ने कहा, "साझा परियोजनाओं की प्राप्ति के आधार के रूप में पीढ़ियों के बीच संवाद" विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, एक ऐसी दुनिया में जो अभी भी महामारी की चपेट में है, जिसने बहुतों को अपनी खुद की छोटी दुनिया में शरण लेने या यह विनाशकारी हिंसा के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित किया है।

संत पापा ने कहा कि संवाद, प्रतिभागियों के बीच विश्वास की मांग करता है जिन्हें एक दूसरे को सुनने, विभिन्न विचारों को साझा करने, समझौते पर पहुंचने और एक साथ चलने की आवश्यकता होती है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, पीढ़ियों के बीच: "स्मृति रखने वाले बुजुर्ग और युवाओं के बीच, जो इतिहास को आगे बढ़ाते हैं।"

"हालांकि तकनीकी और आर्थिक विकास ने पीढ़ियों के बीच विभाजन पैदा करने का प्रयास किया है, हमारे वर्तमान संकट पीढ़िगत साझेदारी की तत्काल आवश्यकता को दर्शाते हैं" और हमें अपने आम घर की देखभाल के बारे में सोचने के लिए आमंत्रित करते हैं। संत पापा इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि "पर्यावरण प्रत्येक पीढ़ी को ऋण पर दिया जाता है" जिसे बाद में इसे अगली पीढ़ी को सौंप देना चाहिए।"

शिक्षा: स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, विकास का कारक

शांति की खोज में संत पापा फ्राँसिस द्वारा चुना गया दूसरा मार्ग शिक्षा है: समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने का एक प्राथमिक साधन। संत पापा कहते हैं कि शिक्षा व्यक्तियों को स्वतंत्र और अधिक जिम्मेदार बनाता है और शांति की रक्षा एवं प्रचार के लिए आवश्यक है।

संत पापा फ्राँसिस तब सैन्य व्यय में वैश्विक वृद्धि के लिए दो परच्छेद समर्पित करते हैं और कहते हैं कि "यह बहुत जरुरी है कि सरकारें हथियारों पर खर्च किए गए सार्वजनिक धन के अनुपात को शिक्षा में खर्च करने के उद्देश्य से आर्थिक नीतियां विकसित करें।"

अपनी आशा व्यक्त करते हुए संत पापा ने कहा कि शिक्षा में निवेश के साथ-साथ “देखभाल की संस्कृति” को बढ़ावा देने के अधिक प्रयास करने होंगे।  संत पापा ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए और उनके साथ शिक्षा पर वैश्विक समझौता" के माध्यम से एक नया सांस्कृतिक प्रतिमान बनाने का आह्वान किया, जो सभी हितधारकों को अभिन्न पारिस्थितिकी, शांति, विकास और स्थिरता के एक मॉडल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध करता है।

कार्य: मानवीय गरिमा की प्राप्ति का साधन

संत पापा फ्राँसिस ने तीसरा मार्ग “कार्य” पर प्रकाश डाला, जो इस विश्वास पर टिका है कि शांति के निर्माण और इसे बनाए रखने में “कार्य” एक अनिवार्य कारक है।

कार्य की दुनिया पर कोविड -19 महामारी के विनाशकारी प्रभावों की ओर इशारा करते हुए संत पापा कहते हैं कि  महामारी के कारण आर्थिक और उत्पादक गतिविधियाँ विफल हो गईं और बेरोजगारी बढ़ गई। काम, श्रमिक और उनके अधिकार वे ठोस आधार हैं जिन पर हर समुदाय न्याय और एकजुटता का निर्माण कर सकता है।

उनका दृष्टिकोण दोहरा है: एक ओर, काम एक आवश्यकता है, इस पृथ्वी पर जीवन के अर्थ का हिस्सा है, विकास का मार्ग, व्यक्तिगत पूर्ति और समाज में योगदान करने का अवसर है, तो दूसरी ओर "मजदूरों के लिए सभ्य और सम्मानजनक कामकाजी परिस्थितियों को बढ़ावा देना और उद्यमशीलता की पहल को प्रोत्साहित करना पहले से कहीं अधिक जरूरी है जिसमें "लाभ ही एकमात्र मार्गदर्शक मानदंड नहीं है।"

पुरुष और महिलाएं जो समाज में अपनी भूमिका के प्रति जागरूक हैं, अपने कार्य स्थल में संतुष्टि पाते हैं जहां मानवीय गरिमा का सम्मान किया जाता है, संत पापा फ्राँसिस कहते हैं, वे लोग शांति के शिल्पकार बनेंगे, जो पीढ़ीगत संवाद, शिक्षा और कार्य के पथ पर एक साथ चलेंगे: ये तीन तत्व एक सामाजिक अनुबंध के निर्माण को संभव बनाने के लिए अपरिहार्य है, जिसके बिना शांति की हर परियोजना निरर्थक हो जाती है।

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21 December 2021, 15:09