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वाटिकन में इताली काथलिक न्यायविदों से मुलाकात वाटिकन में इताली काथलिक न्यायविदों से मुलाकात  

इताली काथलिक न्यायविदों को सन्त पापा फ्राँसिस ने किया सम्बोधित

इताली काथलिक न्यायविदों के संघ (यूजीसीआई) के विधिवेत्ताओं का, शुक्रवार को, वाटिकन में स्वागत करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने हाल में साईप्रस एवं ग्रीस की अपनी प्रेरितिक यात्रा के अनुभवों का स्मरण किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 10 दिसम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): इताली काथलिक न्यायविदों के संघ (यूजीसीआई) के विधिवेत्ताओं का, शुक्रवार को, वाटिकन में स्वागत करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने हाल में साईप्रस एवं ग्रीस की अपनी प्रेरितिक यात्रा के अनुभवों का स्मरण किया। इस समय यूजीसीआई संघ के इताली काथलिक न्यायविद सबसे कमजोर लोगों की कानूनी सुरक्षा विषय पर 09 से 11 दिसम्बर तक आयोजित 70 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए रोम में एकत्र हैं।  

फेंक देने की संस्कृति को रोकें

विगत रविवार को, लेस्बोस द्वीप पर मितिलेन शिविर में शरणार्थियों का दौरा करते हुए, मुझे अन्य बातों के अलावा यह याद आया कि "लोगों और मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिये, विशेष रूप से, उस महाद्वीप पर  जो उन्हें दुनिया में बढ़ावा देने में विफल नहीं होता। उन्होंने कहा कि प्रत्येक की गरिमा को हर चीज़ से पहले रखा जाना चाहिये।" दुर्भाग्यवश, सन्त पापा ने कहा, "हम लक्ष्य से बहुत दूर हैं, क्योंकि हिंसा एवं उदासीनता फेंक देने की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है, तथा जिन लोगों को किसी प्रकार की सुरक्षा प्राप्त नहीं हैं, वे सदैव हाशिये पर जीवन यापन के लिये बाध्य हैं।"  

विश्वास का आंतरिक आह्वान

विधिवेत्ताओं से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "काथलिक न्यायविदों के रूप में, आप लोगों से अपने कौशल, जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना के अनुसार "इस क्रम को उलटने" में योगदान करने के लिए आग्रह किया जाता है।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि सबसे गौण, रक्षाविहीन और कमज़ोर लोगों के भी अधिकार हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए और जिन्हें कुचला नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारे ख्रीस्तीय विश्वास का एक आंतरिक आह्वान है।

नबी इसायाह के शब्दों का स्मरण दिलाकर सन्त पापा ने कहा कि नबियों द्वारा घोषित मसीह, न्याय के मसीह येसु ख्रीस्त हैं, जिन्होंने इस धरती पर अपने मिशन के दौरान सदैव दीन हीनों का ख्याल रखा, उनके घावों का उपचार किया, उन्हें चंगाई प्रदान की तथा उन पर ईश राज्य की प्रकाशना की।

मानवीय गरिमा को बरकरार रखें

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि पहले से कहीं अधिक, आज, काथलिक न्यायविदों का आह्वान किया जाता है कि वे, उस वर्तमान आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के भीतर, सबसे कमज़ोर लोगों के अधिकारों की पुष्टि करें, जो विविधता को शामिल करने का दिखावा तो करती है लेकिन वास्तव में व्यवस्थित रूप से उन लोगों को बाहर करती है जिनके पास कोई आवाज नहीं है।

उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि श्रमिकों, आप्रवासियों, रोगियों, अजन्में शिशुओं, मरणासन्न लोगों और सबसे ग़रीब लोगों के अधिकारों की लगातार उपेक्षा हो रही है तथा उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि मौलिक अधिकारों एवं सम्मानजनक जीवन के अधिकार से वंचित करना तथा शारीरिक, मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक देखभाल एवं उचित वेतन से वंचित करने का मतलब है, मानवीय गरिमा को नकारना। उन्होंने कहा कि सिद्धांत रूप में सबसे कमजोर को पहचानना और उसे अधिकारों की ठोस गारंटी देना तथा उसकी रक्षा करना ही हमें इंसान बनाता है। अन्यथा हम सबसे बलशाली के कानून को ख़ुद पर हावी होने देते और कमज़ोर का उत्पीड़न होने देते हैं।  

सलाहकार, वकील या न्यायाधीश के रूप में काथलिक न्यायविदों की भूमिका को परिभाषित करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि उनका दायित्व समाज के दुर्बल वर्ग के अधिकारों की पुष्टि करना तथा उनकी मानवीय गरिमा के संरक्षण में योगदान देना है। इस तरह वे मानव बंधुत्व को प्रोत्साहित कर सकेंगे तथा प्रत्येक व्यक्ति में निहित ईश्वर की छवि को विकृत करने से बच सकेंगे।

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10 दिसंबर 2021, 11:32