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आथेन्स में युवाओं के साथ मुलाकात, 06.12.2021 आथेन्स में युवाओं के साथ मुलाकात, 06.12.2021 

सामीप्य और करुणा में निहित है ईश्वर की उपस्थिति, सन्त पापा

साईप्रस तथा ग्रीस में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने आथेन्स में, मारौसा स्थित ओरसेलाई धर्मबहनों द्वारा संचालित सन्त दियोनीजी को समर्पित स्कूल में, ग्रीस के युवा प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनके साक्ष्य सुनें तथा उन्हें अपना सन्देश दिया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

आथेन्स, सोमवार, 6 दिसम्बर 2021 (रेई, वाटिकन रेडियो): ग्रीस में अपनी प्रेरितक यात्रा के दूसरे दिन रविवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने दो विभिन्न ट्वीट सन्देशों द्वारा ईश्वर में अपने विश्वास को सुदृढ़ करने का आह्वान कर कहा कि ईश्वर ही लोगों के दिलों में मनपरिवर्तन को साकार कर सकते हैं।   

विश्वास की कृपा

अपने प्रथम ट्वीट सन्देश में उन्होंने लिखा, "हमारे जीवन में कई ऐसे क्षण आते हैं जब हमें आभास होता है कि हम  किसी उजाड़ प्रदेश अथवा रेगिस्तान में हैं। इन्हीं क्षणों में ईश्वर, सामीप्य, करुणा एवं कोमलता के शब्दों द्वारा अपनी उपस्थिति को महसूस कराते हैं, जैसा कि इसायाह के ग्रन्थ के 41 वें अध्याय के दसवें पद में हम पढ़ते हैं, "डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ।"    

अपने दूसरे ट्वीट सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने लिखा: "आइए, ईश्वर से हम इस विश्वास की कृपा मांगें कि ईश्वर के साथ चीजें वास्तव में बदल जाती हैं, कि वे हमारे डर को दूर करेंगे, हमारे घावों को भर देंगे और हमारे सूखे जीवन को जलस्रोत में बदल देंगे। प्रभु ईश्वर से उस आशा की हम कृपा याचना करें, जिसमें हमारे विश्वास को पुनर्जीवित करने तथा हममें उदारता को पुनः प्रज्वलित करने की शक्ति निहित है।"

युवाओं के साक्ष्य

सोमवार को साईप्रस तथा ग्रीस में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने आथेन्स में, मारौसा स्थित ओरसेलाई धर्मबहनों द्वारा संचालित सन्त दियोनीजी को समर्पित स्कूल में, ग्रीस के युवा प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनके साक्ष्य सुनें तथा उन्हें अपना सन्देश दिया। फिलीपिन्स की युवती काथरीना बिनबीनी ने सन्त पापा के समक्ष विश्वास सम्बन्धी कई प्रश्न रखे। उन्होंने कहा कि यदि ईश्वर हैं तो क्यों लोगों को इतना दुख और पीड़ा सहनी पड़ती है? उन्होंने कहा कि प्रायः जो लोग ईश्वर में विश्वास नहीं करते वे खुश रहते हैं तो क्या ईश्वर अन्यायी हैं?  मैं काथलिक हूँ और मेरा मन शंकाओं से भरा है  तथापि, ईश्वर को मैं धन्यवाद देती हूँ और आभार प्रकट करती हूँ क्योंकि बाईबिल पाठ मेरे लिये सुख और सन्तोष का कारण है।   

इसी प्रकार, एक 18 वर्षीय सिरियाई शरणार्थी आबौद गाब्रो ने सन्त पापा के समक्ष कहा कि 2012 में सिरिया में युद्ध के शुरु होने के बाद से उसका जीवन बिलकुल बदल गया और अब वह ग्रीस में अपने परिवार और 12 वर्षीय भाई के साथ जीवन यापन कर रहा था।  गाब्रो ने बताया कि 2012 से लेकर 2014 तक युद्ध के बावजूद उसका परिवार सिरिया में ही रहा, जहाँ प्रति दिन कई बार बम्बारी का शोर उनके कानों में पड़कर उन्हें भयातीत करता रहता था। फिर,  2014 में एक बम विस्फोट ठीक उसके माता-पिता के कमरे के ऊपर हुआ। गाब्रो के अनुसार, यह ईश चमत्कार ही था कि वे सब बच गये और किसी तरह ग्रीस का रुख कर सके, जहाँ आज तक वे शरण ले रहे हैं। गाब्रो ने कहा कि अनेक कठिनाइयों के बाद वह और उसका परिवार ग्रीस पहुँचे जहाँ उन्हें स्वागत-सत्कार मिला और जिसके लिये वे हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।

आशा का परित्याग न करें  

युवाओं के साक्ष्य सुनने के बाद सन्त पापा फ्राँसिस ने उन्हें अपना सन्देश दिया। काथरीना के साक्ष्य का जवाब देते हुए सन्त पापा ने कहा कि शंकाओं से डरा नहीं जाये क्योंकि शंकाएं, विश्वास के अभाव का संकेत नहीं हैं, अपितु शंकाएँ और संदेह "विश्वास के विटामिन" हैं: वे विश्वास को और अधिक मज़बूत करते हैं। आबौद गाब्रो से सन्त पापा ने कहा कि वह आशा का कभी परित्याग न करे बल्कि जीवन की कठिनाइयों को एक चुनौती मानकार उनका सामना करे।  

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06 December 2021, 11:50