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साईप्रस के निकोसिया में ऑरथोडोक्स पवित्र धर्मसभा के आचार्यों  को सम्बोधन, 03.12.2021 साईप्रस के निकोसिया में ऑरथोडोक्स पवित्र धर्मसभा के आचार्यों को सम्बोधन, 03.12.2021 

ख्रीस्तीयों को विभाजित करनेवाली पूर्वधारणाओं से सन्त पापा व्यथित

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को साईप्रस की ग्रीक ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष धन्य क्रिज़ोस्तोमोस द्वितीय से मुलाकात के अवसर पर सदियों से चली आ रही वैयमन्स्यता और पूर्वाग्रहों पर अफसोस जताया, जिसने काथलिक एवं ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों को विभाजित किया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

निकोसिया, शुक्रवार, 3 दिसम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को साईप्रस की ग्रीक ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष धन्य क्रिज़ोस्तोमोस द्वितीय से मुलाकात के अवसर पर सदियों से चली आ रही वैयमन्स्यता और पूर्वाग्रहों पर अफसोस जताया, जिसने काथलिक एवं ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों को विभाजित किया है। काथलिकों एवं ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों के बीच उत्पन्न दरार को पाटने के लिये उन्होंने एकसाथ मिलकर उदारता के कार्यों को सघन किये जाने का आह्वान किया।

पूर्वग्रहों के विरुद्ध चेतावनी

ग्रीक ऑरथोडोक्स धर्मसभा के आचार्यों से, सन्त बरनाबस को समर्पित ऑरथोडोक्स महागिरजाघर में सन्त पापा फ्राँसिस ने 1,000 वर्षों पूर्व कलीसिया में हुए विभाजन पर शोक व्यक्त किया तथा पूर्वग्रहों के विरुद्ध चेतावनी दी जो ईश्वर के सीधे सरल और प्रत्यक्ष मार्ग को टेढ़ा बना देते हैं।  उन्होंने कहा, "सदियों के विभाजन और अलगाव ने हममें एक दूसरे के प्रति, अनैच्छिक रूप से, शत्रुता और पूर्वाग्रह को जन्म दिया है।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि  पूर्वधारणाएं प्रायः दुर्लभ और विकृत जानकारी पर आधारित होती हैं, तथा एक आक्रामक और विवादास्पद साहित्य द्वारा फैलायी जाती हैं, जिसके प्रति सचेत रहना आवश्यक है।"

ख्रीस्त के अनुयायियों के बीच एकता को मज़बूत करने के लिये सन्त पापा फ्राँसिस ने उदारता को कार्यों को इंगित किया। उन्होंने कहा, "उदारता, शिक्षा और मानवीय गरिमा को बढ़ावा देने के प्रयासों के ठोस संयुक्त कार्य काथलिक और ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों को "अपनी बिरादरी को फिर से खोजने में मदद कर सकते हैं, जिससे ईश्वर की स्तुति के लिए हेतु सहभागिता अपने आप परिपक्व हो सकती है।"

साईप्रस में ख्रीस्तीय धर्मानुयायी

सरकार द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में की गई 2001 की जनगणना के अनुसार, साईप्रस की 94.8% जनसंख्या ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय,  0.9% अर्मेनियाई और मैरोनाइट काथलिक, 1.5% रोमन कैथोलिक, 1.0% चर्च ऑफ इंग्लैंड और 0.6% इस्लाम धर्मानुयायी थे। साइप्रस की शेष 1.3% ने यहूदी सहित अन्य धार्मिक संप्रदायों के अनुयायी हैं। हालांकि साईप्रस में पूर्वी ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों की संख्या केवल आठ लाख है, साईप्रस के कलीसियाई नेता पश्चिम जगत की ओर ख्रीस्तीय धर्म के विस्तार के लिये साईप्रस को प्रवेश द्वार मानते हैं।

साईप्रस में ख्रीस्तीय धर्म का उदय सन् 45 में हुआ था जब प्रेरितवर सन्त पौल की धर्मशिक्षा से प्रेरित होकर साईप्रस के रोमी महापौर सेरजियुस पौलुस ने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था, जबकि साईप्रस की कलीसिया की आधारशिला प्रेरितवर बरनाबस द्वारा रखी गई थी।      

साईप्रस में सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य साईप्रस के माध्यम से यूरोप को उसकी ख्रीस्तीय की जड़ों का स्मरण दिलाना है। दूसरी ओर, आस-पड़ोस के देशों में संघर्ष की स्थिति के कारण मध्यपूर्व के अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले होने के डर से साईप्रस  के कलीसियाई नेता रोम की काथलिक कलीसिया के साथ अपने सम्बन्धों को सुदृढ़ करना चाहते हैं।   

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03 December 2021, 12:08