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वाटिकन के पौल षष्टम भवन में ख्रीस्तजन्म  की गऊशाला का दृश्य  वाटिकन के पौल षष्टम भवन में ख्रीस्तजन्म की गऊशाला का दृश्य  

क्रिसमस संगीत कार्यक्रम के कलाकारों का सन्त पापा ने किया अभिवादन

वाटिकन में क्रिस्मस संगीत कार्यक्रम के लिये पहुँचे कलाकारों ने बुधवार को सन्त पापा फ्रांसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। यह संगीत कार्यक्रम वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में 16 दिसम्बर के लिये निर्धारित है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर -वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 15 दिसम्बर 2021 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में क्रिस्मस संगीत कार्यक्रम के लिये पहुँचे कलाकारों ने बुधवार को सन्त पापा फ्रांसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। यह संगीत कार्यक्रम वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में 16 दिसम्बर के लिये निर्धारित है।

क्रिसमस का आमंत्रण

सन्त पापा फ्राँसिस ने कलाकारों से कहा कि ख्रीस्त की जयन्ती का महापर्व हमें उस घटना पर मनन चिन्तन के लिये आमंत्रित करता है जिसने विश्व में ईश्वर की कोमलता की प्रकाशना की तथा हमारे दिलों में हर्षोल्लास एवं आशा की भावनाओं को जागृत किया। सन्त पापा ने कहा कि ये वे भावनाएं हैं जिनसे संगीत के कलाकार भलीभाँति परिचत हैं तथा जो उनकी प्रतिभा में दैदीप्यमान होती हैं।  

सन्त पापा ने कहा, "कोमलता प्रेम से प्रस्फुटित होती है। गऊशाले में हम उस माँ के प्यार का दर्शन करते हैं जो अपने नवजात शिशु का आलिंगन करती है, हम उस पिता के प्रेम का दर्शन करते हैं जो अपने परिवार की रक्षा करते तथा उसकी रखवाली करते हैं, फिर हम चरवाहों को देखते हैं जो नवजात शिशु के समक्ष भावपूर्ण हो उठते हैं, और उन स्वर्गदूतों को प्रभु के आगमन पर हर्षोल्लास के गीत गाते हैं।" सन्त पापा ने कहा, "सब कुछ विस्मय, आश्चर्य  और प्रेम की भावना से परिपूर्ण है जो कोमलता की ओर ले जाता है।"

सन्त फ्राँसिस और गऊशाला

उन्होंने स्मरण दिलाया कि 13 वीं शताब्दी में प्रथम गऊशाले का निर्माण करनेवाले असीसी के सन्त फ्राँसिस ने ग्रेच्चयो में अपने गऊशाले के माध्यम से उस घटना का प्रतिनिधित्व करना चाहा था जो बेथलेहेम नगर में हुई थी, ताकि उसपर मनन-चिन्तन किया जा सके और जिसके समक्ष आराधना की जा सके। उन्होंने कहा कि अपना सर्वस्व त्याग कर साधु जीवन का वरण करनेवाले असीसी के सन्त फ्राँसिस, एक निर्धन गऊशाले में जन्में, ईश पुत्र के जन्म पर विचार करते हुए ईश्वर की कोमलता से परिपूर्ण हो गये थे। 

सन्त पापा ने कहा, "वास्तव में, गऊशाले के दृश्य में जो प्रेम निहित है वह आनंद उत्पन्न करता है, क्योंकि जीवन का प्रस्फुटित होना सदैव आनंद का कारण बनता तथा दुख को दूर करने में मदद प्रदान करता है। एक बच्चे की मुस्कान सबसे कठोर दिलों को भी पिघला देती है।"

शिक्षा में शान्ति, न्याय और समरसता

सन्त पापा ने क्रिसमस संगीत कार्यक्रम के कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त किया जो अपने गीत-संगीत के प्रदर्शन द्वारा दो निर्धन देश अर्थात् हैयती तथा लेबनान में बच्चों के लिये शिक्षा सम्बन्धी योजनाओं हेतु चंदा एकत्र करने में संलग्न हैं। उन्होंने कहा, "आपका संगीत और आपके गीत दिल के द्वारों को खोलने में मदद करते हैं तथा उन पीड़ित परिवारों को खुशी प्रदान करते हैं, जो शिक्षा के माध्यम से अपने बच्चों को भविष्य देने के इच्छुक हैं।"

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, कोविद-महामारी ने विश्व के लाखों-करोड़ों बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया है और साथ ही ऐसी भी महामारियाँ हैं जो सम्वाद एवं एकीकरण की संस्कृति को पोषित होने से रोकती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की क्रिसमस की ज्योति हममें भ्रातृत्व एवं एकात्मता की भावना को पुनर्जागृत करे। उन्होंने कहा कि शिक्षा में निवेश भविष्य में निवेश करना है, जो बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि शिक्षा में ही शान्ति, न्याय और सामाजिक समरसता की आशा निहित है।   

 

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15 December 2021, 11:27