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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा ने विशेष प्रसारण में समाज के वंचितों के साथ किया संवाद

संत पापा फ्राँसिस ने इटली के मीडियासेट नेटवर्क द्वारा एक विशेष प्रसारण में कठिन वास्तविकताओं को जीने वाले चार लोगों के साथ संवाद किया, जो अक्सर समाज की नजरों में "अदृश्य" होते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 20 दिसम्बर 2021(वाटिकन न्यूज) : इटली के मीडियासेट नेटवर्क द्वारा प्रसारित रविवार की शाम को संत पापा फ्राँसिस ने आधुनिक समय के विभिन्न विषयों को संबोधित किया, जिसमें हिंसा, गरीबी, महामारी के परिणाम और जेल में बंद लोगों के जीवन शामिल हैं। इन गंभीर समस्याओं पर चर्चा मेडियासेट द्वारा वाटिकन के संत मार्था निवास पर दर्ज की गई थी। मेडियासेट के लिए वाटिकन की ओर से इतालवी पत्रकार, फैबियो मार्चेस रागोना ने संवाद का समन्वय किया। संवाद समाज के "अदृश्य लोगों" के रूप में वर्णित चार लोगों के साथ हुई, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है और हाशिए पर डाल दिया जाता है, जो बड़ी कठिनाइयों और जीवन की चुनौतियों का सामना करते हैं।संवाद करने वालों में पहली, जोवान्ना नाम की एक महिला थी, जिसने अपनी नौकरी खो दी और अपने परिवार में हिंसा से जूझ रही थी।  दूसरी मारिया, एक बेघर महिला थी;  तीसरी 18 वर्षीय स्काउट मारिस्टेला, जिसने महामारी के कारण जीवन का आनंद खो दिया और अंतिम थे पियरदोनातो, जिसने 25 साल जेल की सजा काटी है।

जोवान्ना ने संत पापा से पूछा कि वह अपने पति के हाथों हुई हिंसा को देखते हुए कैसे अपनी गरिमा वापस पाये।

 संत पापा ने घर पर महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार, परियों द्वारा किये गये मारपीट पर शोक व्यक्त किया और हिंसा को लगभग "शैतानी" करतूत के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, घर में इस तरह की हिंसा और गाली-गलौज, "अपमानजनक है, बहुत अपमानजनक है। जब कोई पिता या मां किसी बच्चे के चेहरे पर थप्पड़ मारती है, तो यह बहुत अपमानजनक है। कभी किसी बच्चे के मुंह पर थप्पड़ न मारें, क्योंकि चेहरे में उसकी गरिमा झलकती है। संत पापा जोवान्ना के प्रश्न पर गौर करते हुए कहा कि प्रताड़ित महिलाओं की क्या गरिमा है? संत पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रवेश द्वार के दाहिने स्थित माता मरियम की बाहों सें मृत पड़े येसु की प्रतिमा को याद किया और कहा कि  माता मरियम को अपने नग्न बेटे के सामने अपमानित किया गया, क्रूस पर चढ़ाया गया, सभी ने येसु को एक अपराधी के रूप में देखा। यह पूर्ण अपमान उस माँ ने देखा जिसने उसे पाला था। लेकिन उसने अपनी गरिमा नहीं खोई और इस छवि को आप अपने अपमान जैसे कठिन क्षणों में देखें और जहां आपको लगता है कि आप अपनी गरिमा खो रही हैं, इस छवि को देखने से आपको ताकत मिलेगी .... साहस की छवि, धन्य माँ को देखें और उसके साथ रहें।"

उदासीनता की संस्कृति

मारिया ने संत पापा फ्राँसिस से पूछा कि समाज गरीबों के प्रति इतना क्रूर क्यों है?

संत पापा ने जवाब दिया, "आप क्रूरता की बात करते हैं, और यह आपके लिए समाज का सबसे कठिन थप्पड़ है, जब किसी की समस्या को नजरअंदाज किया जाता है ... हम एक उदासीनता की संस्कृति में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ हम वास्तविक समस्याओं, बेघरों की पीड़ा, नौकरियों की कमी से खुद को दूर करने की कोशिश करते हैं। इसके विपरीत, इस महामारी से समस्याएँ बढ़ गई हैं क्योंकि ऋण पर पैसे देने वाले सूदखोर दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। एक गरीब व्यक्ति, एक जरूरतमंद व्यक्ति सूदखोरों के हाथों में पड़ जाता है और सब कुछ खो देता है, क्योंकि वे माफ नहीं करते हैं। यह भयानक क्रूरता है। संत पापा कहते हैं कि समस्या से बाहर नकलने का रास्ता ऋण लेना नहीं है, सूदखोरी आपके लिए नई समस्याएं लाती है।" संत पापा ने तब मारिया से पूछा कि क्या वह दूसरों की मदद करती हैं जो बदतर हालत में हैं? मारिया की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद, संत पापा कहा, "जब आप पीड़ित होते हैं, तो आप किसी के दर्द को समझते हैं। हमेशा इन समस्याओं का सामना करने की कोशिश करें क्योंकि कोई और होगा जो आपसे भी बदतर होगा जिसे आपके नजर की जरूरत है, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगा।"

ईश्वर कैदियों के करीब हैं

पियरदोनातो ने संत पापा से पूछा कि क्या परिवर्तन की इच्छा रखने वालों के लिए आशा है?

संत पापा फ्राँसिस ने बाइबिल का हवाला देते हुए जवाब दिया, "आशा कभी निराश नहीं करती।" उन्होंने आगे कहा, "एक नृत्य-संगीत है जो मुझे बहुत पसंद है, यह आशा के विषय इसके विपरीत कहता है: “आशा हमेशा निराश करती है।” परंतु संत पापा का कहना है कि आशा कभी निराश नहीं करती। ईश्वर हमसे बहुत दूर नहीं हैं, बल्कि हमारे ठीक बगल में, क्योंकि ईश्वर की शैली निकटता, करुणा और कोमलता है...ईश्वर जेल में हर एक के साथ है, किसी भी व्यक्ति के साथ जो कठिनाई से गुजरता है...आप शायद यह नहीं कह पायेंगे, लेकिन आप अपने दिल में जानते हैं कि आपको ईश्वर ने माफ कर दिया है और आपके पास वह आशा है जो आपको कभी निराश नहीं करती है ... ईश्वर हमेशा क्षमा करते हैं...हमारी ताकत हमारे करीब रहने वाले करुणामय और कोमल ईश्वर, माँ के समान कोमल ईश्वर की आशा में है। आपने खुद कहा कि आपके पास वह आशा है। संत पापा ने उसकी गवाही के लिए धन्यवाद दिया।"

आमने-सामने संपर्क की आवश्यकता

मेरीस्टेला ने युवाओं पर कोविड महामारी के प्रभाव पर बातें की और पूछा कि लोगों और हमारे अनुभवों के संपर्क से बना एक स्वस्थ संबंध कैसे बनाएं?

 संत पापा ने कहा, "लॉकडाउन में दोस्तों के साथ, अपने परिवार के अन्य लोगों के साथ संपर्क टूट गया था। स्कूल बंद था। अव हम आमने-सामने संपर्क की जरूरत को जानते है, लेकिन एक प्रलोभन हो सकता है, उदाहरण के लिए, केवल सेलफोन से संपर्क करना, सेलफोन दोस्ती। आपने लॉकडाऊन स्थिति से सीखा है कि ऑनलाइन संवाद ठोस संवाद से अलग है। बच्चों द्वारा स्मार्टफोन के अनिवार्य उपयोग पर बोलते हुए, संत पापा ने कहा: "यदि आप फोन का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसका इस्तेमाल करें, लेकिन यह लोगों के साथ संपर्क, सीधे संपर्क, स्कूल जाने के संपर्क, एक साथ कॉफी पीने जाना या टहलने जाने के संपर्क को समाप्त नहीं कर सकता है। ऑनलाइन व्यक्ति में कोमलता की कमी होती है।"

संकट, संघर्ष और आशा

जोवान्ना ने महामारी के कारण सब कुछ खोने के बारे में अपनी कहानी बताने के बाद पूछा कि अभी भी आशा कैसे संभव है?

संत पापा ने उत्तर दिया, "कोविद ने हम सभी को संकट में डाल दिया है," "संकट से बाहर निकलने का एक तरीका कड़वा हो जाना है और कड़वाहट जो आत्महत्या का कारण बन सकती है। संकट के साथ आत्महत्याओं की संख्या इतनी बढ़ गई है ... संघर्ष में आप अपने आप में बंद हो सकते है। परंतु आपको मैं देख सकता हूँ कि आप अपने संकट से बेहतर तरीके से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, आपने हार नहीं मानी है और यह एक बहुत बड़ी बात है। आप प्रतिरोध का एक उदाहरण दे रहे हैं, आपदाओं के प्रतिरोध का एक सबक...आप जीवन दांव पर लगाते हैं और अपने माता-पिता के जीवन के लिए आप आगे बढ़ते हैं। आपके पास न तो घर है और न ही नौकरी, आप नहीं जानते कि क्या करना है। लेकिन आप आगे देख रहे हैं, आप पहले से बेहतर बाहर आ रहे हैं, लेकिन अकेले नहीं। यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी की तलाश करें, ताकि लोग आपका साथ दें सकें।"

गरीबों के लिए खुला दिल

तब मारिया ने पूछा, गरीबों के प्रति लोगों के दिलों को खोलने के लिए क्या किया जा सकता है?

संत पापा फ्राँसिस ने जवाब दिया, "जब आप एक गरीब व्यक्ति के चेहरे को देखते हैं, तो आपका दिल बदल जाता है क्योंकि यह 'गरीबों के संस्कार' है...क्योंकि एक गरीब व्यक्ति की नजर आपको बदल देती है। यह बेकार की संस्कृति केवल गरीबों के साथ नहीं है, हम कितनी बार ऐसे परिवार में देखते हैं जहां बुजुर्ग हाशिए पर हैं, दादा-दादी को 'छोड़ दिया' जाता है ... एक निश्चित उम्र के बाद लोग सेवानिवृत्ति घर की तलाश करते हैं जहाँ वे अपने बुजुर्गों को रख सकें...यह एक क्रूर पक्ष दिखाता है... और यह जीवन की शुरुआत में भी हो सकता है: एक बच्चा अगर अनचाहे दुनिया में आता है और इसे एक समस्या के रूप में देखा जाता है। समाज, बुजुर्गों,  गंभीर रुप से बीमार बच्चों, गरीबों को त्यागना शुरू कर देता है। हमें इस वास्तविकता के खिलाफ संघर्ष करना होगा।"

जेलों में भीड़भाड़

पियरदोनातो ने पूछा, महामारी के इस समय में और भी अधिक अकेले रह गए कैदियों के घावों को कैसे ठीक किया जाए?

 संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "महामारी में आपको अकेला रहना और दूरी रखना पड़ता है... और फिर जेल की भीड़भाड़ की समस्या: भीड़भाड़ निश्चित रूप से एक बाधा है! किए गए अपराध के किसी भी सजा के लिए एक खिड़की होनी चाहिए। आशा की खिड़की के बिना कोई जेल अच्छा नहीं है। जरूरी नहीं कि एक भौतिक खिड़की, बल्कि एक आध्यात्मिक खिड़की हो। 'मुझे पता है कि मैं बाहर निकलूंगा, मुझे पता है कि मैं यह या वह कर सकता हूँ'। यही कारण है कि कलीसिया मौत की सजा के खिलाफ है, क्योंकि मौत में कोई खिड़की नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए जेल में एक खिड़की होना चाहिए।" संत पापा ने एक अविश्वासी कैदी के अनुभव को बताया जो लकड़ी कारीगर था। एक आगंतुक ने उसे सुसमाचार पढ़ने की सलाह दी। "उसने सुसमाचार पढ़ना शुरू किया। कैदी ने कहा 'मेरे दिल में कुछ हुआ, मेरे सामने जो दीवार थी, वह गिर गई और क्योंकि वह लकड़ी पर काम करने वाला अच्छा कारीगर था, उसने इसे बनाया ( संत पापा फ्रांसिस ने उन्हें कैदी द्वारा बनाई गई लकड़ी की मूर्ति दिखाई। उन्होंने मुझसे कहा: 'यह मेरा अनुभव है जब से मैं येसु से मिला हूँ।' यह एक कैदी ने बनाया था, जिसने देखा कि येसु के साथ शहर की दिवार गिर गई है और जीवन की एक खिड़की खुल गई है।"

क्रिसमस की बधाई

प्रसारण को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने दर्शकों को सीधे संबोधित करते हुए पूछा, "आप क्रिसमस के बारे में क्या सोचते हैं? कि मुझे बाहर जाकर इसे खरीदना चाहिए... ठीक है, लेकिन क्रिसमस क्या है? क्या यह एक पेड़ है? एक महिला और उसके बगल में एक पुरुष के साथ एक बच्चे की मूर्ति? हाँ, क्रिसमस येसु का जन्म दिन है और येसु के साथ क्रिसमस, एक वास्तविक क्रिसमस मनायें। दूसरों के साथ मिलकर खायें-पीयें। दूसरों को उपहार दें, परंतु येसु की शांति को न भूलें। क्रिसमस में येसु आपके दिल को छूने आते हैं, वे आपके पास आते हैं, आपके घर में, आपके दिल में और आपके जीवन में। अंत में संत पापा ने पवित्र क्रिसमस की शुभकामनाएं दी।

 

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20 December 2021, 16:35