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सन्त पापा फ्राँसिस साईप्रस में, 03.12.2021 सन्त पापा फ्राँसिस साईप्रस में, 03.12.2021 

साइप्रस "एक खुला दरवाजा, एकजुट करनेवाला बंदरगाह" सन्त पापा

साइप्रस "एक खुला दरवाजा, एकजुट करनेवाला बंदरगाह"। पूर्वी भूमध्य सागर स्थित द्वीप देश साईप्रस गणतंत्र में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने इन शब्दों से साईप्रस तथा उसकी जनता का भावपूर्ण अभिवादन किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर, वाटिकन सिटी

निकोसिया, शुक्रवार, 3 दिसम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): साइप्रस "एक खुला दरवाजा, एकजुट करनेवाला बंदरगाह"। पूर्वी भूमध्य सागर स्थित द्वीप देश साईप्रस गणतंत्र में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने इन शब्दों से साईप्रस तथा उसकी जनता का भावपूर्ण अभिवादन किया। 

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस गुरुवार को रोम से साईप्रस एवं ग्रीस की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रवाना हुए थे। यात्रा के प्रथम दो दिन साईप्रस में व्यतीत कर सन्त पापा शनिवार चार दिसम्बर को ग्रीस की ओर प्रस्थान करेंगे।

साईप्रस की सराहना

तुर्की के दक्षिण में स्थित साईप्रस भूमध्यसागर का तीसरा सबसे बड़ा और तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप है। इसकी सीमाएँ दक्षिण में तुर्की, पश्चिम में सिरिया, उत्तर-पश्चिम में गज़ा पट्टी, इस्राएल और लेबनान तथा दक्षिण-पूर्व में ग्रीस से संलग्न है। देश की राजधानी तथा इसका सर्वाधिक विशाल शहर निकोसिया है।

गुरुवार अपरान्ह निकोसिया स्थित कृपा की रानी मरियम को समर्पित मारोनी रीति के काथलिक महागिरजाघर में याजकवर्ग, धर्मसंघियों, धर्मसमाजियों तथा धर्मशिक्षकों के साथ मुलाकात से सन्त पापा फ्राँसिस ने साईप्रस में अपने दो दिवसीय प्रेरितिक मिशन का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर सन्त पापा ने आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को प्रदान की जा रही मदद के लिये साईप्रस की सराहना की, जहाँ, अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में पड़ोसी देशों के हज़ारों लोग शरण पा रहे हैं। साइप्रस का कहना है कि वह द्वीप को विभाजित करने वाली विभाजन रेखा से अथवा पड़ोसी मध्य पूर्व से नावों द्वारा अनिर्दिष्ट आप्रवासियों की आमद से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है।

सन्त पापा ने कहा, "आपकी भाईचारे की भावना से, आप सभी को और पूरे यूरोप को याद दिला सकते हैं कि हमें मानवता योग्य भविष्य का निर्माण करने, विभाजनों को दूर करने, दीवारों को तोड़ने, सपने देखने और एकता के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।"

राष्ट्रपति भवन में स्वागत

मारोनी रीति के काथलिक महागिरजाघर में धर्मसमाजियों, धर्मसंघियों एवं धर्मशिक्षकों को अपना सन्देश देने के उपरान्त गुरुवार सन्ध्या राजधानी निकोसिया स्थित राष्ट्रपति भवन में सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत किया गया। 2013 से सत्ता सम्भाल रहे साईप्रस गणतंत्र के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादिस ने सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा को एक ऐतिहासिक यात्रा निरूपित किया है। वाटिकन न्यूज़ के संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस का हमारे यहाँ आना उन सब के लिये एकात्मता का सन्देश है  "जो पीड़ित हैं, और इनमें वे भी शामिल हैं, जो "संकट" में हैं अथवा अधिकृत भूमि पर जीवन यापन कर रहे हैं।"  

राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादिस के साथ औपचारिक मुलाकात तथा उपहारों के आदान-प्रदान के बाद सन्त पापा फ्राँसिस ने साइप्रस गणराज्य के राष्ट्रपति, स्थानीय अधिकारियों, नागर समाज के प्रतिनिधियों और राजनयिक कोर के साथ मुलाकात की तथा "सभ्यताओं के चौराहे" के रूप में द्वीप राष्ट्र साईप्रस की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने लगभग आधी शताब्दी से साईप्रस को विभाजित करनेवाले "भयानक घाव" के उपचार हेतु मैत्रीपूर्ण संवाद का आग्रह किया, और कहा कि किसी भी पक्ष को बल या धमकियों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

सन् 1974 में ग्रीक-प्रेरित तख्तापलट द्वारा शुरू हुए तुर्की आक्रमण के बाद से साइप्रस दो भागों में विभाजित हो गया है, हालांकि 1960 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही संघर्ष के बीज बोए दिये गए थे। मध्यस्थता के अनगिनत प्रयास विफल ही रहे हैं तथा 2017 में वार्ताओं के विफल होने के बाद शांति प्रक्रिया ठप्प पड़ गई है।  आज, साईप्रस के हज़ारों ग्रीक एवं तुर्की नागरिक आंतरिक रूप से विस्थापित हैं।

शांति का रास्ता संवाद है

सन्त पापा फ्रांसिस द्वीप के दक्षिणी हिस्सों का दौरा कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त साइप्रस सरकार द्वारा नियंत्रित है। उत्तरी साइप्रस में एक अलग तुर्की साइप्रस राज्य है जो केवल अंकारा मान्यता प्राप्त राज्य है। इस प्रकार निकोसिया विश्व की अन्तिम विभाजित राजधानी है। वाटिकन का परमधर्मपीठीय प्रेरितिक राजदूतावास विभाजन रेखा पर ही स्थित है।

गुरुवार को ही सन्त पापा ने एक ट्वीट सन्देश प्रकाशित कर लिखा था, "शांति का रास्ता, जो संघर्षों को सुलझाता है और बंधुत्व को पुनर्जीवित करता है, संवाद द्वारा चिह्नित है। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए ताकि धैर्यवान और संवाद की बेदाग ताकत पर विश्वास किया जा सके। यह कोई आसान रास्ता नहीं है, तथापि, पुनर्मिलन हासिल करने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।" उन्होंने साईप्रस के उन लोगों का भी स्मरण किया जो अपने घरों एवं एवं आराधना स्थलों पर लौटने में असमर्थ हैं।  

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03 December 2021, 11:59