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संत पापाः प्रेम में गिरे और उसे प्रौढ़ बनायें

संत पापा फ्रांसिस ने आमदर्शन समारोह में संत योसेफ के जीवन पर अपनी धर्मशिक्षा माला देते हुए दंपत्तियों को प्रेम में प्रौढ़ता प्राप्त करने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी,बुधवार,01 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के संत पापा पौल षष्टम् के  सभागार में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

हम संत योसेफ पर अपना चिंतन जारी रखते हैं। आज मैं उनके “धर्मी” व्यक्तित्व और “मरियम के दुल्हे” होने चिंतन करते हुए उन सभी जोड़ें जिनका मंगनी हुई है और जो नवविवाहित हैं उन्हें संदेश देना चाहूँगा। संत योसेफ के संबंध में बहुत-सी प्रचलित कहानियाँ जो अप्रामाणिक सुसमाचार के अंश रहे हैं, उनके संबंध में कला और कलीसियाई पूजन विधि में समाहित किये गये हैं। उनसे संबंधित लिखी गई बातें जो धर्मग्रंथ में अंकित नहीं हैं हमारे ख्रीस्तीय विश्वासी जीवन के लिए खास हैं।

धार्मिक संत योसेफ

संत पापा ने सुसमाचार लेखक संत मत्ती द्वारा संत योसेफ के बारे में लिखित बातों की महत्वपूर्णत पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि वे उन्हें धर्मी व्यक्ति परिभाषित करते हैं। हम इसके बारे में सुनें, “ईसा मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मंगनी योसेफ से हुई थी लेकिन उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी। उसका पति योसेफ चुपके से उसका त्याग देने की सोच रहा था” (मत्ती.1.18-19)। उस समय के अनुसार, जब मंगनी हुए दंपतियों में मंगेतर वफादार नहीं रहने के कारण गर्भवती हो जाती, तो उसके बारे में सूचना देते हुए उसका परित्याग किया जा सकता था। स्त्री को इसके लिए पत्थरों से मार डालने की सजा थी। लेकिन योसेफ धर्मिक होने के कारण ऐसा नहीं करना चाहता था बल्कि वह चुपके से उसे छोड़ने की सोच रहा था।

विवाह की दो प्रथाएं

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि प्राचीन इस्रराएल में विवाह की रीति को समझना हमें मरियम के प्रति योसेफ के व्यवहार को समझने में मदद करेगा। विवाह की दो प्रचलित प्रथाएं थीं। पहले को हम अधिकारिक मंगनी के रुप में पाते हैं जहाँ स्त्री अपने माता-पिता के घर में साल भर रहते हुए भी मंगेतर की “पत्नी” समझी जाती थी। दोनों एक साथ नहीं रहते थे फिर भी वधु, वर की पत्नी समझी जाती थी। दूसरी स्थिति में वधू को सम्मान के साथ माता-पिता के घर से पति के घर में विदा किया जाता था। यह विवाह एक शोभायात्रा समारोह स्वरूप सम्पन्न होता था। इसमें वधु के मित्र शामिल होते थे। इन दो रीतियों के आधार पर, इसके पहले कि वे एक साथ रहना शुरू करते मरियम गर्भवती हो गई, जो नारी को व्यभिचारणी स्वरुप उजागर करता था। प्राचीन नियमों के आधार पर इस अपराध हेतु दोषी को पत्थरों से मार डालने की सजा थी।  

सुसमाचार हमें बतलाता है कि इस्रराएल के नियमों के अनुपालक संत योसेफ एक धर्मी व्यक्ति था। लेकिन उसके अंदर मरियम के प्रति प्रेम और विश्वास में वह नियमों का अनुपालन करते हुए अपनी वधु के सम्मान की रक्षा करता है। वह बिना शोरगुल किये चुपके से उसे त्यागने की सोच रहा था, वह उसे बदनाम नहीं करना चाहता था। वह मुकदमा का सहारा लिए बिना गोपनीयता के एक मार्ग का चयन करता है। यह योसेफ की पवित्रता को व्यक्त करता है। संत पापा ने कहा कि वहीं हमें किसी के बारे में थोड़ा-सा कुछ सुनाई देता तो हम उसके बारे में टीका टिप्पणी करने लगते हैं।

हृदय की कटुता

लेकिन सुसमाचार लेखक हमें तुरंत इस बात पर जोर देते हैं, “वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वपन में प्रभु का एक दूत यह कहते हुए दिखाई दिया, “योसेफ दाऊद की संतान, अपने पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है वह पवित्र आत्मा से है। वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम येसु रखेंगे। वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा” (मत्ती“1.20-21)। ईश्वर की आवाज योसेफ के निर्णय को प्रभावित करती है। सपने में उन्हें अपने निर्णय की अपेक्षा एक बड़े रहस्य को प्रकट किया गया। हमारे लिए यह कितना महत्वपूर्ण है कि हम एक न्यायपूर्ण जीवन व्यतीत करें और अपने जीवन की क्षितिज को विस्तार से देखने और समझने हेतु ईश्वर की सहायता मांगें। बहुत बार, हम अपने अतीत की घटनाओं में कैद होकर रह जाते हैं, जीवन की कुछ विशेष परिस्थितियाँ जो शुरू में हमारे लिए नाटकीय लगती हैं लेकिन समय के साथ, उन दर्द भरी घटनाओं में भी हम अपने लिए एक अर्थ को उभरता हुआ पाते हैं। हम अपने दुःख में बंद होने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं जहाँ हम अपने साथ घटित हुई बुरी बातों को सोचते हैं। यह अपने में ठीक नहीं है जो हमें दुःख और कटुता की ओर ले चलता है। कटु हृदय अपने में बहुत खराब है।

संत पापा ने कहा कि हमें इस वृतांत की ओर ध्यान देते हुए इस पर चिंतन करने की जरुरत है जिसे हम बहुधा अनदेखा करते हैं। मरियम और योसेफ की मंगनी हो गई थी। उन्होंने शायद अपने जीवन को लेकर और भावी जीवन के संबंध में सपने देखे थे। ईश्वर उनके जीवन में प्रवेश करते हैं यद्यपि यह शुरू में उनके लिए कठिन लगता है, दोनों ने सच्चाई के प्रति अपने हृदयों को पूरी तरह खुला रखा।

सच्चे प्रेम की शुरूआत आशातीत 

प्रिय भाइयो एवं बहनों, हमारा जीवन बहुत बार वैसा नहीं होता जैसे कि हम उसकी चाह रखते हैं। विशेष कर प्रेम और चाहतों के संबंधों में। हमारे लिए प्रेम करने और प्रेम की पौढ़ता में बढ़ने हेतु कठिनाई का अनुभव होता है। प्रथम भाग हमारे जीवन के सुनहरे सपनों में आधारित होता है जो सच्चाई से जुड़ा नहीं होता है। वहीं आशाओं के साथ प्रेम करने की चाह का इति हमारे लिए सच्चे प्रेम की शुरूआत होती है। प्रेम करना दूसरे व्यक्ति को या जीवन को अपने सपनों के आधार पर देखना नहीं है। यह पूरी स्वतंत्रता में उत्तरदायित्वों के निर्वाहन हेतु चुनाव करना है जो हमारे जीवन में आता है। यही कारण है संत योसेफ हमें एक महत्वपूर्ण उदाहरण देते हैं। वे खुली आंखों से मरियम का चुनाव करते हैं। संत पापा ने संत योहन के सुसमाचार की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि येसु के समय में संहिता के विद्वान वेश्यवृति का संदर्भ लाते हुए कहते हैं, “हमारा जन्म ऐसे नहीं हुआ”। वे मरियम के गर्भाधारण को जानते थे अतः वे येसु की माता की ओर कीचड़ उछालना चाहते थे। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सुसमाचार का सबसे गंदा, शैतानी पद लगता है।

ख्रीस्तीय विवाह प्रेम के साक्ष्य हेतु

संत योसेफ हमें इस बात की शिक्षा देते हैं कि जीवन जैसे आता हमें उसे उसी रूप में लेने की आवश्यकता है। वे स्वर्ग दूत के कहे अनुसार अपना कार्य करते हैं। “उन्होंने मरियम को अपनी पत्नी स्वरुप लिया, बिना एक साथ रहे, एक पुत्र की आशा करते हुए, वह पुत्र को जन्म देती, जो येसु कहलाते हैं (मत्ती,1.24-25)। ख्रीस्तीय विवाह के अनुरूप दंपत्ति प्रेम का साक्ष्य देने हेतु बुलाये जाते हैं जो साहस की मांग करता है जहाँ हम प्रेम में पड़ने से प्रौढ़ प्रेम में विकास करते हैं। यह हमसे एक बड़ी मांग करता है जहाँ जीवन में कैद रहने के बदले हमें अपने प्रेम को मजबूत बनाना है जिससे कठिनाइयों के आने पर हम उनका सामना कर सकें।

शांति स्थापना जरूरी है

संत पापा फ्रांसिस ने दंपत्तियों को विशेष रुप से संदेश देते हुए कहा कि दंपत्तियों का प्रेम जीवन में विकसित होता और अपनी प्रौढ़ता को प्राप्त करता है। मंगेतर का प्रेम अपने में एक तरह से रमणीय है। आपने इस प्रेम का अनुभव किया है लेकिन प्रौढ़ प्रेम रोज दिन, कार्यों, बच्चों के आने पर शुरू होता है। कई बार यह रमणीयवाद लुप्त हो जाता है। लेकिन क्या वैसी स्थिति में हम प्रेम को पाते हैं, हाँ एक प्रौढ़ रुप में। संत पापा ने प्रेम में लड़ाई होने की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें तर्क-वितर्क जरूरी है। इसमें कभी-कभी हम एक दूसरे के प्रति चिल्लाते हैं, कभी थालियाँ उड़ती हैं, “यह होता रहता है”। उन्होंने कहा कि लेकिन यह वैवाहिक जीवन को नष्ट न करें और इसके लिए आप इस बात का ध्यान रखें, “बिना शांति कायम किये अपने दिन को खत्म न करें।” यदि ऐसी नहीं होता तो शीतयुद्ध दूसरे दिन और भी खतरनाक होता है। आप लड़ाई को दूसरे दिन न ले जायें। शांति स्थापना अपने में कठिन है लेकिन आप इसे इशारों में व्यक्त कर सकते हैं और शांति स्थापित होती है। संत पापा ने कहा कि आप शांति स्थापना के बिना अपने दिन को समाप्त न करें। यह आप के वैवाहिक जीवन में मददगार होगा। किसी से प्रेम होना और उस प्रेम की प्रौढ़ता को प्राप्त करना अपने में चुनौती भरा है लेकिन हमें उस मार्ग में आगे बढ़ना ही है। इतना कहने से बाद संत पापा ने संत योसेफ से प्रार्थना की,  

संत योसेफ, तूने मरियम को स्वतंत्रता में प्रेम किया

और अपने विचरों का परित्याग करते हुए सत्य का चुनाव किया,

हममें से हर एक की सहायता कर जिससे हम ईश्वर द्वारा आश्चर्यचकित हों

हम जीवन के आकस्मिक बातों को स्वीकार करते हुए उनसे बचने की कोशिश न करें,

लेकिन हम इसे रहस्य के रुप में ले सकें जहाँ सच्ची खुशी छिपी है

सभी ख्रीस्तीय दंपत्तियों को खुशी और वास्तविकता प्रदान कर  

जिससे हम इस बात से सचेत रहें 

कि केवल करूणा और क्षमाशीलता प्रेम को संभंव बनाती है, आमेन।

आमदर्शन समारोह पर संत पापा की धर्मशिक्षा

 

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01 December 2021, 16:06