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संत पापाः येसु से मिलन हेतु नम्र बनें

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में ख्रीस्त जन्म पर चिंतन करते हुए विश्वासियों को नम्रता के भाव जागृत करने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 22 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में उपस्थित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आज मैं आप सभों के संग येसु जन्म की घटना की याद करना चाहूँगा जिसे इतिहास अपने में नकार नहीं सकती है। 

कैसर अगस्तुस द्वारा निकाली गई राजाज्ञा के मुताबिक सभों को जनगणना हेतु अपने-अपने जन्म स्थल जाना था, योसेफ और मरियम नाजरेत से बेतलेहेम जाते हैं। वे जैसे ही वहाँ पहुंचते अपने लिए सराय में जगह की खोज करते हैं क्योंकि मरियम के दिन निकट थे, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें वहाँ जगह नहीं मिली, और मरियम को गोशाले में जन्म देने को बाध्य होना पड़ा (लूका. 2.1-7)।

विश्व निर्माता को जगह नहीं

संत पापा ने कहा कि हम इस पर विचार करें, विश्व के सृजनहार को जन्म लेने हेतु एक स्थान नसीब नहीं हुआ। शायद सुसमाचार लेखक संत योहन की बातों का पूर्वानुमान व्यक्त करता है, “वे अपने के बीच आये, और अपने ने उन्हें स्वीकार नहीं किया” (यो.1.11) इसके बार में स्वयं येसु ख्रीस्त कहेंगे,“लोमड़ियों की अपनी माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोंसले लेकिन मानव पुत्र को सिर रखने की जगह नहीं”(लूका.9.58)।

येसु के जन्म का संदेश देने वाले स्वर्गदूत ने दीन-हीन चरवाहों को उनके जन्म का संदेश सुनाया। और यह एक तारा था जो ज्योतिषियों को मार्ग दिखलाया। स्वर्गदूत ईश्वर का एक संदेशवाहक है। तारा हमें यह बातलाता है कि ईश्वर ने ज्योति का निर्माण किया (उत्प.1.3) और वह बालक “दुनिया की ज्योति” होगा, जैसे कि वह स्वयं इसके बारे में घोषित करते हैं (यो.8.12.46) सच्ची ज्योति जो हर मानव को प्रकाशित करते हैं (यो.1.9), जो अंधकार में चमकते और अंधकार ने उन पर विजय प्राप्त नहीं की”।

चरवाहे इस्रराएली जनता के बोधक

संत पापा ने कहा कि चरवाहे दीन-हीन इस्रराएली जनता का प्रतिनिधित्व करते जो आंतरिक रुप में अपने जीवन में खालीपन का अनुभव करते हैं। यही कारण है वे ईश्वर में दूसरों की अपेक्षा अधिक विश्वास करते हैं। वे प्रथम थे जिन्होंने मानव बने ईश पुत्र का सर्वप्रथम दर्शन किया और इस मिलन उन्हें गहरे रुप में प्रभावित करता है। सुसमाचार हमें बतलाता है कि जिन चीजों को उन्होंने देखा और सुना वे उनपर आनंदित होते हुए ईश्वर की महिमा करते हुए लौटते हैं (लूका.2.20)।

ज्योतिषियों को भी हम येसु के चारों ओर पाते हैं (मत्ती 2.1-12)। सुसमाचार हमें यह नहीं बतलाता कि वे राजा कौन थे और उनकी संख्या कितनी थी, न ही हम उनके नामों की चर्चा सुनते हैं। उनके संबंध में हम बस इतना ही जानते कि वे दूर देश पूरब से आये, वे यहूदियों के राजा की खोज कर रहे थे, जिसे वे अपने हृदय में ईश्वर के रुप में पहचानते हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि वे उनकी आराधना करना चाहते हैं। ज्योतिषी हमारे लिए गैर-ख्रीस्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं विशेष कर उन लोगों की जिन्होंने सालों से ईश्वर की खोज की, और जो उनकी खोज हेतु एक यात्रा में निकल पड़ते हैं। वे धनियों और शक्तिशालियों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपनी धन संपत्ति के गुलाम नहीं हैं, वे अपनी समृद्धि में असक्त नहीं हैं क्योंकि वे विश्वास करते हैं कि वे धन-दौलत सारी चीजों नष्ट हो जायेगी।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचारों का संदेश हमारे लिए स्पष्ट है, येसु ख्रीस्त का जन्म एक वैश्विक घटना है जिसका संबंध सारी मानवता से है।

प्रिय भाइयो एवं बहनों, उन्होंने कहा कि केवल नम्रता हमें ईश्वर की ओर अग्रसर करती है। वहीं यह हमें विशेष रुप से येसु की ओर ले चलती है, हमें जीवन की महत्वपूर्ण बातों की ओर अग्रसर करती है, जहाँ हम जीवन के सच्चे अर्थ को समझते और उसे योग्य रीति से जीने हेतु सक्षम होते हैं।

केवल नम्रता ही हमें सत्य का अनुभव करने हेतु खोलती है, यह हमें सच्ची खुशी प्रदान करती जो उन बातों के ज्ञान से आती है जो हमारे लिए जरूरी है। नम्रता के बिना हम स्वयं को और ईश्वर को समझने से दूर रह जाते हैं। ज्योतिषी विश्व की निगाहों में महान थे लेकिन उन्होंने अपने को दीन-हीन और नम्र बनाया और इसी कारण वे येसु को खोजने और पहचानने में सफल हुए। उन्होंने उनकी खोज हेतु उन्होंने नम्रता को अपना और जोखिम उठाते हुए, गलती करते हुए एक खोजी यात्रा की शुरूआत की।

येसु को खोजें  

संत पापा ने कहा कि हर व्यक्ति अपने हृदय की गहराई में ईश्वर को खोजने हेतु बुलाया गया है, हम सब अपनी बेचैनी में उनकी खोज करें और हम उनकी कृपा से उन्हें पा सकते हैं। हम संत अन्सेलम की प्रार्थना को अपने लिए अपना सकते हैं, “प्रभु, तू मुझे अपने को ढूंढना सीखा, और मेरे ढूंढने में मुझे अपने को प्रकट कर, क्योंकि यदि तू मुझे इसकी शिक्षा न दे, तो मैं तुझे खोज नहीं सकता, और यदि तू मुझे अपने को प्रकट न करे तो न ही मैं तुझे ढूंढ सकता हूं। अपनी चाह में मैं तुझे खोजूं, अपनी खोज में मैं तुझे चाहूँ, तुझे खोजने में मैं तुझे प्रेम करूं, तुझे प्रेम करने में मैं तुझे खोजूं”।

संत पापा ने सबों को निमंत्रण देते हुए कहा कि मैं सभी नर और नारियों को बेतलेहेम के गोशाले में आमंत्रित करता हूँ जिससे हम ईश पुत्र की आराधना करें जो मानव बनें। उन्होंने कहा कि आप अपने घर की चरनी, यहा गिरजाघर की चरनी जहाँ कहीं भी हो सकें उनकी आराधना करने की कोशिश करें,“मैं विश्वास करता हूँ आप ईश्वर हैं, कि यह बालक ईश्वर है, मुझे नम्रता की कृपा प्रदान जिससे में इसे समझ सकूँ।”

ईश्वर की उपस्थिति दरिद्रों में

उन्होंने कहा कि मैं गरीबों को आप के सामने रखना चहूँगा जिनके बारे में संत पापा पौल छवें घोषित करते हैं, “हमें चाहिए कि हम उन्हें प्रेम करें क्योंकि वे एक निश्चित रुप में येसु ख्रीस्त के संस्कार हैं, उनकी- भूख में, प्यास में, विस्थापन में, नग्नता में, बीमारी और कैदियों में- वे अपने को रहस्यात्मक रुप में प्रकट करते हैं। हमें उनकी सहायता करनी चाहिए, उनके संग दुःख उठाना चाहिए और उनका अनुसारण करना चाहिए क्योंकि दरिद्रता वह निश्चित मार्ग है जिसके द्वारा हम ईश्वरीय राज्य की पूर्णत को प्राप्त करते हैं” (1 मई 1969)। हमें इसके लिए कृपा मांगने की जरुरत है कि हम अपने में घंमडी न हों, स्वार्थी न हों और अपने में आत्म-केन्द्रित न रहें। मुझे नम्रता की कृपा प्रदान कर। क्योंकि इसके अभाव में ईश्वर को कभी नहीं पा सकते हैं। नम्रता की कमी में व्यक्ति केवल अपने को देखता है।

और तब, जैसे कि तारे ने ज्योतिषियों के साथ किया मैं उन लोगों को बेतलेहम साथ लेकर चलना चाहूँगा जो धार्मिकता से उत्तेजित नहीं होते, जो ईश्वर के बारे में सवाल नहीं करते हैं या जो धर्म के विरूध लड़ाई करते हैं, वे जिन्हें अनुचित रुप में नास्तिक परिभाषित किया जाता है। मैं उनके लिए द्वितीय वाटिकन महासभा के संदेश को दुहराना चाहूँगा, “कलीसिया इस तथ्य को धारण करती है कि ईश्वर की पहचान रखना मानवीय सम्मान को दोष देना नही हैं क्योंकि यह सम्मान ईश्वर में पूर्णरूपेण निहित है। इससे भी बढ़कर कलीसिया यह जानती है कि उसका संदेश मानव हृदय की सबसे गुप्त इच्छाओं के अनुरूप है”  (गौदियुम एत एस्पेस, 21)

ईश्वर हमें खोजते हैं

हम दूतों के गीत से अपने घरों को लौटे संत पापा ने कहा, दुनिया में भले लोगों को शांति”। हम इस बात को सदैव याद रखें, “हम ने ईश्वर को प्रेम नहीं किया बल्कि ईश्वर ने सर्वप्रथम हमें प्रेम किया है” (1 यो. 4.10,19)।

उन्होंने कहा, “यह हमारी खुशी का कारण है, कि हमें प्रेम किया गया है, वे हमें खोजते हैं, हम इस बात को जाने कि उन्होंने हमें बिना शर्त प्रेम किया है, ईश्वर ने सबसे पहले हमें प्रेम किया है”। अपने प्रेम के कारण वे शरीरधारण कर हमारे बीच आते जिन्हें हम चरनी में देखते हैं। इस प्रेम का एक नाम है वह नाम येसु ख्रीस्त है, वह प्रेम का चेहरा है, यह हमारी खुशी की नींव है। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सभों को जन्म पर्व की शुभकामनाएँ प्रदान कीं और हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

 

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22 December 2021, 13:37