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संत पापा फ्रांसिस देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्रांसिस देवदूत प्रार्थना में 

संत पापाः परिवार हमारी जड़ों के उद्गम स्थल

संत पापा ने पवित्र परिवार के पर्व दिवस पर विश्वासियों का ध्यान नजारेत के परिवार की ओर आकर्षित करते हुए “मैं” पर विजय पाने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 26 दिसम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने 26 दिसम्बर रविवार को नाजरेत के पवित्र पर्व के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

संत पापा ने सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।

आज हम नाजरेत के पवित्र परिवार का त्योहार मनाते हैं। ईश्वर ने एक नम्र और साधारण परिवार को हमारे बीच आने हेतु चुना। हम एक क्षण रूककर इस आश्चर्यजनक सुन्दर रहस्य पर चिंतन करते हुए हमारे परिवरों के संबंध में ठोस बातों पर विचार करते हैं।

परिवार मानव का उद्गम स्थल

संत पापा ने कहा कि पहली बात, परिवार वह इतिहास है जहाँ से हमारी उत्पत्ति होती है। आज का सुसमाचार हमें इस बात की याद दिलाता है कि येसु ख्रीस्त भी एक पारिवारिक इतिहास के पुत्र हैं। हम उन्होंने मरियम और योसेफ के संग पास्का पर्व हेतु येरुसालेम की यात्रा करते हुए देखते हैं। वे अपनी माँ और पिता को चिंता में डाल देते हैं जब उन्होंने उसे नहीं पाया, वे उसकी खोज में पुनः येरुसालेम लौटते, उसे पाते औऱ वह उनके साथ घर लौट जाते हैं (लूका.2.41-51) येसु को पारिवारिक प्रेम में बंधा हुआ देखना और अपने माता-पिता के स्नेह और देख-रेख में बढ़ते देखना अति सुन्दर लगता है। यह हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है- हमारे जीवन की कहानी प्रेम के उस बंधन से जुड़ी हुई है जहाँ हम लोगों को पाते हैं, हम आज अपने में जो हैं वे भौतिक वस्तुओं के उपयोग के कारण नहीं बल्कि प्रेम के कारण, जिसका पान हमने किया है। हमारा जन्म एक अतिविशिष्ट परिवार में नहीं हुआ होगा, जहाँ कोई समस्याएं न हों, लेकिन यह हमारी कहानी है, हमारी जड़ें वहाँ हैं, यदि हम उन्हें काट देते हैं जो जीवन सूख जाता है। ईश्वर ने हमें अकेला बनपाल नहीं बनाया है बल्कि हमें एक साथ चलने को बनाया है। हम इसके लिए उनका धन्यवाद करें और अपने परिवारों के लिए प्रार्थना करें। ईश्वर हमारे बारे में सोचते और हमें एक साथ रहने की चाह रखते हैं- कृतज्ञपूर्ण, एकता में, अपनी जड़ों को सुव्यवस्थित बनाये रखने की इच्छा रखते हैं।

प्रतिदिन सीखें

संत पापा ने दूसरी बिन्दु की चर्चा करते हुए कहा,“हर दिन सीखना हमें परिवार का अंग बनाता है”। सुसमाचार में हम देखते हैं कि पवित्र परिवार में भी सभी चीजें उचित रूप में नहीं चलती हैं, वे अनिश्चित समस्याओं का समाना करते हैं, अपने को चिंता और दुःख से घिरा पाते हैं। पवित्र परिवार को हम पवित्र चित्रों में नहीं पाते हैं। मरियम और योसेफ येसु को खो देते और चिंता में उसकी खोज करते हुए सिर्फ तीन दिनों के बाद उसे पाते हैं। जब वे उसे मंदिर में विद्वानों के बीच बैठा पाते, वह उन्हें कहते हैं कि उसे अपने पिता के कार्यों को करना था, जिसे वे नहीं समझते हैं। अपने पुत्र को समझने में उन्हें समय लगता है। हमारे साथ भी हर दिन, ऐसा ही होता है। एक परिवार को, एक-दूसरे को समझने हेतु सुनने की जरुरत होती है, उन्हें एक साथ चलना होता है, कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना मिलकर करना होता है। यह रोज दिन की एक चुनौती है और हम सभी अपने मनोभावों, अपने छोटे कार्यों के द्वारा इस पर विजय प्राप्त करते हैं, जो हमारे संबंध को विस्तृत बनाता है।

“मैं” को कम करें

संत पापा ने कहा कि लेकिन यह कैसे होता हैॽ इसके लिए हम मरियम की ओर निगाहें फेरें, जो आज के सुसमाचार में येसु के कहती हैं,“तुम्हारे पिता और मैं तुम्हें खोजते थे”(48)। तुम्हारे पिता और मैं, न कि मैं और तुम्हारे पिता। “मैं” के पहले “तुम्हारे” आता है। परिवार की एकता को सुरक्षित रखने हेतु, तानाशाही शब्द “मैं” से लड़ने की आवशयक्ता है। यह अपने में खतरनाक होता है जब एक-दूसरे को सुनने के बदले हम दूसरे की गलतियों के लिए दोष लगाना शुरू करते हैं, एक-दूसरे के प्रति चिंता जाहिर करने के बदले हम अपनी आवश्कयकताओं पर केन्द्रित हो जाते हैं। वार्ता करने के बदले हम अपने को मोबाईल फोन के माध्यम तटस्थ कर लेते हैं। खाने की मेज में लोगों का अपने मोबाईल से चिपके रहना बहुत ही बुरी बात है। जब हम एक दूसरे पर दोषारोपना करने लगते तो हम एक ही बात को सदैव बार-बार दुहराते हैं, एक ही घटना को बार-बार लाते अपने को सही सिद्ध करने की कोशिश करते हैं जिसकी समाप्ति शीत युद्ध में  होती है। संत पापा ने अपने सुझाव को दुहराते हुए कहा, “आप दिन का अंत शांति स्थापित करते हुए करें, बिना शांति स्थापित किये आप सोने न जाये, नहीं तो “शीतयुद्ध” अगले दिन भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है घरों की चाहरदिवारी के अंदर युद्धों की शुरूआत लम्बी खमोशी और अनियंत्रित स्वार्थ के कारण होती है। कई बार यह शारीरिक और नैतिक हिंसा का रूप ले लेती है। यह एकता को नष्ट करती देती और परिवार को मार डालती है। हम “मैं” को “तुम” में परिणत करें। आप कृपया रोज दिन एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हुए शांति की कृपा मांगें। हम सब- माता-पिता, बच्चें, कलीसिया समाज अपने परिवार की सुरक्षा करते हुए इसके बचाव हेतु अपने में समर्पित करें।

मरियम और उनके वर योसेफ, येसु की मां हमारे परिवारों की सुरक्षा करें।

 

 

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27 December 2021, 10:09