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कार्डिनल परोलिन कार्डिनल परोलिन 

कार्डिनल परोलिन ˸ पोप फ्राँसिस एकता एवं भाईचारा के तीर्थयात्री

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने पोप फ्राँसिस की साइप्रस एवं ग्रीस में प्रेरितिक यात्रा के संबंध में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे आनन्द का सुसमाचार और आशा का प्रकाश लेकर साइप्रस एवं ग्रीस जायेंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 1 दिसम्बर 2021 (रेई)- वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने पोप फ्राँसिस की साइप्रस एवं ग्रीस में प्रेरितिक यात्रा के संबंध में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे आनन्द का सुसमाचार और आशा का प्रकाश लेकर साइप्रस एवं ग्रीस जायेंगे।

पोप फ्राँसिस की 35वीं प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन कार्डिनल परोलिन ने कहा कि यूरोप एवं सारी मानवता को एकजुट होने तथा जरूरतमंदों को नहीं छोड़ने का आह्वान करते हुए वे साइप्रस में सुसमाचार के आनन्द एवं आशा की ज्योति लेकर आयेंगे।

साइप्रस में तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं जो कल अपने यहाँ पोप फ्राँसिस का स्वागत पहली बार करेगा। उन्होंने कहा कि हम संत पापा को कलीसिया के मूल में तीर्थयात्री के रूप में देखेंगे। पोप, ख्रीस्त के प्रकाश एवं आशा लेकर आयेंगे। भूमध्यसागर जो विभाजित करता है एक मुलाकात का अवसर बनेगा।   

पोप किस मनोभाव के साथ प्रेरितिक यात्रा पर जा रहे हैं?

उत्तर- उन्होंने स्वयं प्रकट किया है कि वे कुछ ही दिनों में दो देशों में जायेंगे और वे वहाँ मुलाकात करने की मनोभावना के साथ जा रहे हैं जो संत पापा की करीब कभी यात्राओं की विशेषता है। मैं कह सकता हूँ कि उनके सभी क्रिया-कलाप दूसरों से मुलाकात करने की चाह से हो रही हैं। अपने वीडियो संदेश के अंत में उन्होंने कहा था, "मैं आपके पास आने का इंतजार, आपसे मुलाकात करने की प्रतीक्षा नहीं कर पा रहा हूँ। उन्होंने मुलाकात एवं तीर्थयात्रा की भावना को रेखांकित किया है। वे अपने आपको कलीसिया के मूल में एक तीर्थयात्री के रूप में देख रहे हैं। जो प्रेरित संत पौलुस और संत बर्नाबस की महत्वपूर्ण यात्रा से चिन्हित है। यह प्रेरितिक यात्रा इसकी मूल में लौटना है, सुसमाचार के आनन्द को खोजना है। पोप ने अपनी तीर्थयात्रा के लिए सभी से प्रार्थना का आग्रह किया है।   

पोप की यात्रा का पहला पड़ाव साइप्रस में होगा। 1974 के बाद से इस द्वीप ने दो समुदायों, ग्रीक साइप्रस और तुर्की साइप्रस के विभाजन को देखा है।

पोप साइप्रस से ग्रीस की ओर प्रस्थान करेंगे जो शास्त्रीय संस्कृति का घर है, जैसा कि उन्होंने वीडियो संदेश में रेखांकित किया है वे भूमध्यसागर को अनदेखा नहीं कर सकते, एक ऐसे समुद्र को जिसने सुसमाचार के प्रसार एवं महान सभ्यता के विकास को देखा है?

उत्तर -  भूमध्यसागर दूर करता है, भूमध्यसागर निकट लाता है किन्तु उन सभी देशों एवं लोगों का प्रयास क्या होना चाहिए जो इसके आसपास रहते हैं जिससे कि विभाजित करनेवाला स्थान मुलाकात के अवसर में बदल जाए। दुर्भाग्य से, आज हम विपरीत परिस्थिति को देख रहे हैं˸ भूमध्यसागर के आसपास भौगोलिक स्तर पर कई तनाव हैं। संत पापा का कथन अत्यन्त सुन्दर है जिसमें वे कहते हैं, हम सब एक ही नाव पर सवार हैं...हम सभी को एक साथ खेना है। कार्डिनल ने कहा कि मेरे विचार से एक साथ खेने के निमंत्रण का अर्थ है ˸ हम सभी एक ही समान समस्या झेल रहे हैं, हमारे लिए आपात काल है, हम अभी तक महामारी से निजात नहीं पाये हैं। जलवायु परिवर्तन की समस्या है। इन बड़ी परिस्थितियों, समस्याओं और कठिनाइयो में जब हम युद्ध, गरीबी और भूखमरी की चिंता करते हैं तब हमें एकजुट होना होगा, एक साझा दृष्टिकोण, बहुपक्षीय दृष्टिकोण अपनाना होगा। आज की दुनिया की समस्याओं को हल करने में सक्षम होने का यही एकमात्र तरीका है।

क्या यह एक ऐसी यात्रा है जो पूरी मानवता से बात करेगी?    

उत्तर- मैं कहना चाहूँगा कि पोप सबसे बढ़कर यूरोप से कहना चाहते हैं। वे उसे अपने मूल को और विभिन्न दृष्टिकोणों से परे सहअस्तित्व की अपनी एकता को खोजने का निमंत्रण देते हैं। साथ ही साथ, वे पूरी मानवता को सम्बोधित करते हैं क्योंकि आप्रवासी के सवाल का समाधान ही हमारी मानवता को राहत प्रदान करेगा। हम इस वास्तविकता को किस तरह देखते हैं। इन दिनों संत पापा ने इस विन्दु पर जोर दिया है और वे आनेवाले दिनों में भी इसपर जोर दे सकते हैं।

आप इस यात्रा से क्या उम्मीद करते हैं?

उत्तर – मेरी आशा भी संत पापा की आशा के समान है कि यह सुसमाचार के स्रोत की ओर लौटने की यात्रा होगी अर्थात् भाईचारा के स्रोत की ओर लौटने की यात्रा। मेरा मतलब है ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के भाइयों के साथ मुलाकात, साइप्रस की ऑर्थोडॉक्स कलीसिया एवं ग्रीस की ऑर्थोडॉक्स कलीसिया। इसके साथ ही काथलिकों के भाईचारा के स्रोत की ओर लौटना। उनकी संख्या बड़ी नहीं है किन्तु वे जीवंत हैं, उनकी एक बहु-जातीय रचना है, और इसमें भी हम काथलिक कलीसिया की समृद्धि देखते हैं। उसके बाद हमारी मानवता के स्रोत की ओर लौटना है। मैं मानता हूँ कि साइप्रस एवं ग्रीस में हम संत पापा की यात्रा से यही उम्मीद कर सकते हैं।  

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01 दिसंबर 2021, 16:30