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संत पापाः नम्र हृदय ईश्वर की पहली पसंद

संत पापा ने माता मरियम के निष्कलंक गर्भाधारण महापर्व के अवसर पर मरियम की नम्रता पर प्रकाश डाला जिसे ईश्वर अपने कार्यों के लिए उपयोग करते हैं।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 08 दिसम्बर 21 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने माता मरियम के निष्कलंक गर्भाधारण महापर्व के अवसर पर विश्वसियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रागंण में जमा हुए सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

धन्य माता मरियम के निष्कलंक गर्भधारण महोत्सव, आराधना विधि हेतु निर्धारित सुसमाचार पाठ हमें नाजरेत के घर में ले चलता है जहाँ स्वर्गदूत ने उन्हें आनंद का संदेश सुनाया। (लूका.1. 26-38) घर में चाहरदीवारी के अंदर एक व्यक्ति अपने को बेहतर रुप में अभिव्यक्त करता है। और इस घरेलू विशिष्टिता में आज का सुसमाचार हमारे लिए मरियम के हृदय की सुन्दरता को व्यक्त करता है। 

मरियमः कृपाओं से पूर्ण

स्वर्गदूत उन्हें “कृपा से पूर्ण” संबोधित करते हैं। यदि वे कृपा से परिपूर्ण हैं तो इसका अर्थात मरियम बुराई के बिना, पापरहित, निष्कलंक हैं। स्वर्गदूत के अभिवादन को सुन कर मरियम बहुत अधिक घबरा जाती है जैसे कि पाठ हमें बतलाता है। वह केवल आश्चर्यचकित नहीं होतीं बल्कि विचलित हो जाती हैं। बधाई की भव्यता, आदार और अभिवादन कभी-कभी हममें घमंड और अंहकार के मनोभाव उत्पन्न करते हैं। हम इस बात की याद करें कि येसु ख्रीस्त उन लोगों के प्रति कोमलता से पेश नहीं आते जो चौराहों में प्रशंसा प्राप्त करने की चाह रखते, अपने को दिखाने या अभिनंदन की खोज करते हैं (लूका. 20.46)। मरियम इसके विपरीत अपने को ऊंचा दिखलाने का प्रयास नहीं करती है बल्कि वह अपने में विचलित है, अपने में खुशी की अनूभूति करने के बदले वह आश्चर्य का अनुभव करती है। स्वर्गदूत का अभिवादन उनके लिए बहुत बड़ा प्रतीत होता है, क्योंॽ क्योंकि वह अपने को इसके योग्य नहीं समझती है, और उस छोटेपन की अनुभूति, नम्रता के भाव ईश्वर की आंखों को आकर्षित करते हैं।

मरियम की सच्ची नम्रता

नाजरेत के घर की दीवारों के अंदर, हम मरियम के हृदय की एक अद्भुत विशेषता को देखते हैं- एक सर्वोच्च अभिवादन का आना उसे विचलित करता है क्योंकि वह अपने को इस अभिवादन के योग्य नहीं समझती है। वास्तव में, मरियम अपने को विशेषाधिकारों का श्रेय नहीं देती है, वह अपने में किसी बात का दावा नहीं करती है, वह किन्हीं बातों के लिए अपने को योग्य नहीं समझती है। वह अपने में आत्म-संतुष्ट नहीं थी वह अपनी महिमागान नहीं करती हैं। अपनी नम्रता में वह इस बात को जानती है कि सारी चीजें ईश्वर की ओर उनके लिए आती हैं। अतः अपने में स्वतंत्र वह सम्पूर्ण रूप में ईश्वर और दूसरों के लिए समर्पित है। उनका निष्कलंक होना अपने में आत्म-क्रेन्दित नहीं है। यह सच्ची नम्रता है जिसके फलस्वरुप वह अपने को नहीं देखती बल्कि ईश्वर और दूसरों की ओर अपनी निगाहें फेरती है।

ईश्वर की चाह, नम्रता

संत पापा ने कहा कि हम मरियम की इस पूर्णतः की याद करें, जो कृपा से भरी हैं, जिसकी घोषणा स्वर्गदूत नाजरेत के घर, गुप्त रुप में, सबसे बड़ी नम्रता में, चाहरदीवारी के अंदर करते हैं- न कि नाजरते के मुख्य चौराहे में। नाजरेत के उस छोटे घर में हम किसी मानव में सबसे बड़ा हृदय को धकड़ता हुआ पाते हैं। संत पापा ने कहा कि यह हम सभों के लिए अति विशिष्ट समाचार है। क्योंकि ईश्वर हमें बतलाते हैं कि अपने महान कार्यों को पूरा करने हेतु उन्हें बड़े साधनों और बड़ी योग्यताओं की जरुरत नहीं है बल्कि वे हमारी नम्रता की चाह रखते हैं, जहाँ हमें अपनी आंखों को उनके लिए और दूसरों के लिए खुला रखना है। एक छोटे घर के निर्धनता दीवारो में आनंद के इस सुमाचार द्वारा ईश्वर इतिहास को परिवर्तित कर देते हैं। आज भी, वे हमारे दैनिक जीवन के द्वारा, हमारे परिवारों में, कार्यस्थल में, हर परिवेश में अपने महान कार्यों को करने की चाह रखते हैं। ईश्वर की कृपा महान ऐतिसाहिक घटनाओं की अपेक्षा छोटे रुपों में कार्यान्वित होने की चाह रखती हैं। लेकिन क्या हम अपने में इस बात पर विश्वास करते हैंॽ या हम अपने में यह सोचते हैं कि पवित्रता एक आदर्शलोक है, अन्दर रहने वालों के लिए, एक पवित्र भ्रम जिसे साधारण जीवन में हासिल नहीं किया जा सकता ॽ

पवित्रता का अर्थ  

संत पापा ने कहा कि कुंवारी से कृपा की याचना करें, जिससे वें हमें इस भ्रम से मुक्त करें कि सुसमाचार एक अलग बात है और हमारा जीवन अलग। वे हमें इस बात के ज्ञान से आलोकित करें कि पवित्रता का अर्थ पवित्र कार्ड और तस्वीरें नहीं बल्कि नम्रता और खुशी में, अपनी पूर्ण स्वतंत्रता में ईश्वर की ओर और अपने पड़ोसियों की ओर अपनी निगाहों को बनाये रखते हुए अपने दैनिक जीवन को जीना हैं। हम हताश न हों, ईश्वर ने हम सभों को उन चीजों को प्रदान किया है जो हमें अपने रोज दिन के जीवन में पवित्रता की ओर ले चलते हैं। जब हम अपने जीवन को दुविधाओं से घिरा हुआ पाते और असफल हो जाते तो वैसे परिस्थिति में हम मरियम को “करूणामय निगाहों” से निहारने दें, ऐसा कोई नहीं जो उनके पास सहायता की मांग लिए आता और कभी यूं ही छोड़ दिया जाता हो।

 

 

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08 December 2021, 15:28