आप्रवासियों को इटली लाने के लिए "मानवीय गलियारा"
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
आथेन्स, ग्रीस, शनिवार, 4 दिसम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): "साईप्रस में अपनी प्रेरितिक यात्रा को समाप्त करते हुए, आपके भव्य स्वागत, आतिथ्य और महानता के लिये, आपके प्रति तथा साईप्रस के समस्त लोगों के प्रति मैं अपनी गहरी कृतज्ञता को नवीनीकृत करता हूं। राष्ट्र की शांति और समृद्धि के लिए अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देते हुए, मैं आप सभी के लिये सर्वशक्तिमान ईश्वर के आशीर्वाद का आह्वान करता हूं।" साईप्रस के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासियादिस को प्रेषित इस तार सन्देश से साईप्रस एवं ग्रीस की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण में, सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने साईप्रस से विदा ली तथा ग्रीस की राजधानी आथेन्स के लिये प्रस्थान किया।
ज़रूरतमन्दों के प्रति उत्कंठा
यूरोप में आप्रवासियों के प्रति बढ़ती उदासीनता के मद्देनज़र ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय बहुल देश साईप्रस तथा ग्रीस की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा को सन्त पापा फ्राँसिस ने काफ़ी हद तक आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की दुर्दशा पर केन्द्रित रखा है। शुक्रवार को साईप्रस में सन्त पापा फ्रांसिस ने आप्रवासियों के प्रति पश्चिम के देशों में प्रदर्शित "उदासीनता की संस्कृति" की कड़ी निंदा की तथा उन यूरोपीय राष्ट्रों से एकात्मता की अपील की जो अब तक संभावित शरणार्थियों को लेने से इन्कार करते रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य के प्रति नाराज़गी व्यक्त की कि "पश्चिम की विकसित सभ्यताएं" आप्रवासियों को स्वीकार करने से इनकार करती हैं या उन्हें उन देशों में वापस भेज देती हैं जहां "उनकी स्वतंत्रता को कुण्ठित किया जाता, उन्हें उत्पीड़ित किया जाता तथा गुलाम बनाया दिया जाता है।"
यूरोपीय संघ की पोलैण्ड-बेलारूस सीमा पर व्याप्त आप्रवास संकट अथवा लिबिया की सीमा पर बने पर शरणार्थियों के अहातों पर यदि ग़ौर किया जाये तो सन्त पापा फ्राँसिस की उत्कंठा को समझना कठिन नहीं होगा। सन्त पापा फ्राँसिस ने इन अहातों को नाज़ी और स्टालिन-युग के नजरबंदी शिविरों के समान "लागर" कहकर पुकारा है। उन्होंने कहा, "आज, हमें आश्चर्य होता है कि अतीत में यह कैसे हुआ, लेकिन आज हमारे भाइयों और बहनों के साथ आस-पास के तटों पर ऐसा ही हो रहा है।" सन्त पापा ने कहा कि बहुत से कभी मुकाम पर पहुंच नहीं पाते क्योंकि समुद्र के बीच में ही मर जाते हैं। उन्होंने कहा, वैश्विक उदासीनता, "एक गंभीर रोग है और इसके लिए कोई एंटीबायोटिक दवा नहीं है। हम इन त्रासदियों के अभ्यस्त न बनें बल्कि इस बुराई के खिलाफ लड़ें।"
शरणार्थियों के स्वागत की प्रतिबद्धता
इसी बीच, वाटिकन ने इस बात की पुष्टि की है कि कम से कम एक दर्जन शरण चाहने वालों को यूरोपीय देशों के साथ एकजुटता के संकेत रूप में साइप्रस से इटली स्थानांतरित किया जाएगा। परमधर्मपीठीय प्रेस द्वारा शुक्रवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि परिवारों और आप्रवासी लोगों के प्रति सन्त पापा की चिंता के संकेत के रूप में, साईप्रस की प्रेरितिक यात्रा आगामी सप्ताहों में लगभग 12 शरणार्थियों का स्वागत करने की मानवीय भावना के साथ जुड़ी रहेगी। इन आप्रवासियों का स्थान्तान्तरण वाटिकन राज्य सच्चिवालय, इटली एवं साईप्रस के अधिकारियों तथा आप्रवासी एवं शरणार्थी सम्बन्धी परमधर्मपीठीय विभाग और साथ ही रोम के सन्त इजिदियो समुदाय के सहयोग से सम्भव होगा।
साइप्रस ने इस वर्ष आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के आगमन में पिछले साल की तुलना में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी है, जिसके चलते उसने यूरोपीय संघ के कार्यकारी आयोग से शरण के दावों को संसाधित करने से रोकने का निवेदन किया है। साईप्रस में शरण मांगने वालों में से लगभग 80% तुर्की अधिकृत उत्तरी साइप्रस के हैं।
शुक्रवार सन्ध्या सन्त पापा ने निकोसिया स्थित पवित्र क्रूस को समर्पित पल्ली के गिरजाघर में आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के साथ एकतावर्द्धक प्रार्थना समारोह की अध्यक्षता की। इस समारोह में वे आप्रवासी भी शामिल थे जिन्हें एकात्मता के संकेत रूप में साईप्रस से इटली लाया जा रहा है। सन्त पापा ने कहा, "उदासीनता के प्रति हम उदासीन नहीं रह सकते, इसके समक्ष प्रभु हम सब के अन्तःकरणों को जगायें।"
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