संत पापा : प्रभु हमारे विवेक को जागृत करे!
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
निकोसिया, शनिवार 04 दिसम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) साइप्रस में अपने अंतिम कार्यक्रम के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने प्रवासियों के साथ एकतावर्धक प्रार्थना में भाग लिया। संत पापा ने कहा, “आपके साथ यहां आकर और इस प्रार्थना सभा के साथ अपनी साइप्रस यात्रा का समापन करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मैं महाधर्माध्यक्ष पिज़ाबल्ला और बेकारा राइ और कारितास की सुश्री एलिज़ाबेथ को धन्यवाद देता हूँ। मैं साइप्रस में मौजूद विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के प्रतिनिधियों को सस्नेह और कृतज्ञता के साथ अभिवादन करता हूँ।”
अब कोई अजनबी नहीं
प्रार्थना सभा में कोंगो की मरियमी, श्रीलंका की थमारा, कैमरुन के मैक्कोलिन्स और इराक के रोज ने अपनी कहानियों को साझा किया, अपनी पहचान की गवाही दी, अपनी यात्रा के दौरान उन्हें नफरत के घावों की पीड़ा सहनी पड़ी, साथ ही उन्होंने अपने सपनों को भी साझा किया। उन्हें सुनकर, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "हम ईश्वर के वचन की भविष्यवाणी शक्ति को बेहतर ढंग से समझते हैं, जो हमें बताते हैं ... 'आप अब अजनबी और विदेशी नहीं हैं, लेकिन आप संतों के साथ साथी नागरिक हैं और ईश्वर के घर के सदस्य भी हैं।" संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि उनके साक्ष्य के माध्यम से, "ईश्वर अपने प्यार, न्याय और शांति के राज्य को अपने इन छोटे लोगों को प्रकट कर रहे हैं।"
ख्रीस्तियों के लिए एक दर्पण
संत पापा ने कहा कि प्रवासियों की कहानियां "हमारे ख्रीस्तीय समुदायों के लिए 'दर्पण' की तरह हैं, हमें याद दिलाती हैं कि हमें भी हमारी पहचान के बारे में पूछा जाएगा। उन्होंने हमें याद दिलाया "कि नफरत ने हम ख्रीस्तियों के बीच संबंधों को भी जहरीला बना दिया है ... कि हम संघर्ष से समन्वय की ओर यात्रा कर रहे हैं ... और ईश्वर हमारे सपनों के माध्यम से हमसे बातें करते हैं।"
ईश्वर "हमें एक विभाजित दुनिया और विभाजित ख्रीस्तीय समुदायों से संतुष्ट नहीं होने के लिए कहते हैं," लेकिन अपने स्वयं के सपनों द्वारा बनाये गये इतिहास के माध्यम से यात्रा करने के लिए कहते हैं। मानवता का सपना विभाजन की दीवारों से मुक्त होना है, शत्रुता को समाप्त करना है, जहां अब कोई अजनबी नहीं हैं, बल्कि सब सह नागरिक हैं।"
भाईचारे का एक कार्यशाला बनना
संत पापा फ्राँसिस ने अपनी आशा व्यक्त की कि साइप्रस, एक द्वीप "एक दर्दनाक विभाजन द्वारा चिह्नित", "ईश्वर की कृपा द्वारा" भाईचारे का एक कार्यशाला बन सकता है।" ऐसा होने के लिए, दो चीजें आवश्यक हैं: "हर व्यक्ति की गरिमा की प्रभावी मान्यता" और पिता ईश्वर के प्रति एक भरोसेमंद खुलापन।"
संत पापा ने कहा, "यदि ये दो चीजें हो सकती हैं, तो सपना दैनिक जीवन में साकार हो सकता है, नफरत से प्यार की ओर और संघर्ष से समन्वय को ओर जाने का ठोस कदम लिया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "धीरज के साथ की गई यात्रा, जो दिन-प्रतिदिन हमें उस देश की ओर ले जाती है, जिसे ईश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है: ऐसी भूमि जहां, अगर लोग पूछते हैं, 'आप कौन हैं?' आप आसानी से जवाब दे सकते हैं, 'मैं आपका भाई हूँ','मैं तुम्हारी बहन हूँ'।"
"हम चुप नहीं रह सकते!"
संत पापा फ्राँसिस ने अपने संबोधन का समापन प्रवासियों द्वारा अनुभव की गई पीड़ा के प्रति आधुनिक उदासीनता को दूर करने के लिए जोशीले निवेदन के साथ किया। उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि हमें प्रतिदिन होने वाली त्रासदियों के बारे में पढ़ने की आदत सी हो गई है।
संत पापा ने कहा, "मुझे खेद है, लेकिन मैं कहना चाहता हूँ जो मेरे दिल में है!" उन्होंने खेद व्यक्त किया कि भोजन, सहायता, स्वतंत्रता और भाईचारे की तलाश करने वाले लोगों का सामना केवल कांटेदार तार से होता है। संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "प्रभु ऐसी चीजों के प्रति हम सभी की अंतरात्मा को जगाएं। "कृपया मुझे चीजों को वैसे ही बताने के लिए क्षमा करें जैसे वे हैं, लेकिन हम चुप नहीं रह सकते और उदासीनता की इस संस्कृति में दूसरी तरफ नहीं देख सकते हैं!"
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