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मरियम गिरजाघर में निर्धनों के साक्ष्य सुनते सन्त पापा फ्राँसिस, असीसी, इटली, 12.11.2021 मरियम गिरजाघर में निर्धनों के साक्ष्य सुनते सन्त पापा फ्राँसिस, असीसी, इटली, 12.11.2021 

असीसी में ज़रूरतमन्दों के प्रति एकात्मता

असीसी नगर स्थित स्वर्ग की रानी मरियम को समर्पित महागिरजाघर में सन्त पापा फ्राँसिस ने सम्पूर्ण यूरोप के ग़रीबों का प्रतिनिधित्व करनेवाले 500 निर्धन लोगों को सम्बोधित कर उन्हें असीसी के सन्त फाँसिस के महान व्यक्तित्व का स्मरण दिलाया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

असीसी, शुक्रवार, 12 नवम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): असीसी नगर स्थित स्वर्ग की रानी मरियम को समर्पित महागिरजाघर में सन्त पापा फ्राँसिस ने सम्पूर्ण यूरोप के ग़रीबों का प्रतिनिधित्व करनेवाले 500 निर्धन लोगों को सम्बोधित कर उन्हें असीसी के सन्त फाँसिस के महान व्यक्तित्व का स्मरण दिलाया। उन्होंने कहा कि सन्त फ्राँसिस की सादगी ही उनकी बुलाहट का प्रतीक थी इसीलिये उन्होंने विश्व निर्धनता दिवस मनाने के लिये इस नगर की तीर्थयात्रा का निर्णय लिया। सन्त पापा ने कहा कि सन्त फ्राँसिस के जीवन की घटनाओं पर मनन भाषण देने अथवा प्रचार करने से कहीं अधिक प्रभावशाली है।

सन्त फ्राँसिस एक महान व्यक्तित्व

सन्त पापा ने सन्त फ्राँसिस तथा उनके सहयोगी बन्धु ब्रदर मासेओ की दासता सुनाई जो एक बार फ्राँस की यात्रा के दौरान भिक्षा मांगने निकले थे। भिक्षा में रोटी के कुछ टुकड़ों को जब सन्त फ्राँसिस ने अनमोल कोष कहकर पुकारा था तब ब्रदर मासेओं ने उनसे प्रश्न किया था कि वे कैसे उन रोटी के टुकड़ों को अनमोल कोष  कह सकते थे तब, सन्त फ्राँसिस ने उत्तर दिया था, "मैं उचित ही इसे एक अनमोल या महान ख़जाना मानता हूं, क्योंकि यह कुछ भी नहीं है, तथापि, यह हमें ईश्वर से मिला है जिन्होंने हमें यह रोटी दी है"। सन्त पापा ने कहा कि सन्त फ्रांसिस हमें यही सिखाते हैं कि हमारे पास जो कुछ है उसी में हमें सन्तोष करना चाहिये तथा उसे दूसरों के साथ भी बाँटना चाहिये।  

पोरशुनकुला गिरजाघर

असीसी स्थित पोरशुनकुला मरियम गिरजाघर के विषय में सन्त पापा ने कहा कि यह वही गिरजाघर है जिसका जीर्णोद्धार सन्त फ्राँसिस ने येसु के आग्रह पर किया था। सन्त पापा ने कहा कि उस समय, उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि प्रभु येसु उनसे कलीसिया के नवीनीकरण हेतु अपना जीवन अर्पित करने के लिये कह रहे  थे, पत्थर से बने गिरजाघर के जीर्णोद्धार के लिए नहीं, अपितु व्यक्तियों, पुरुषों और महिलाओं से बनी कलीसिया के नवीनीकरण हेतु, जो जीवित पत्थर हैं। अस्तु, सन्त पापा ने कहा कि आज हम यहाँ सन्त फ्राँसिस से शिक्षा पाने के लिये एकत्र हुए हैं। जिस तरह सन्त फ्राँसिस प्रार्थना, मनन-चिन्तन एवं श्रवण में संलग्न रहा करते थे उसी प्रकार हम भी करें ताकि ईश्वर की इच्छा को जान सकें। यह याद रखें कि निर्धनता तथा हाशिये पर जीवन यापन केवल भौतिक तौर पर ही नहीं होता बल्कि प्रार्थना के बिना आध्यात्मिक तौर पर भी व्यक्ति हाशिये पर रह जाते हैं।  

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि पोरशुन्कुला में सन्त फ्राँसिस ने सन्त क्लेयर, अपने प्रथम धर्मसमाजी भाइयों तथा कई निर्धन व्यक्तियों का स्वगात किया था। वे सबके सब उनके लिये भाई और बहन थे, जिनके साथ उन्होंने सबकुछ को साझा किया। सन्त पापा ने कहा कि सन्त फ्राँसिस की इसी सुसमचारी अभिव्यक्ति अर्थात् आतिथेय के वरण हेतु हम सब बुलायें गये हैं। उन्होंने कहा कि आतिथेय का अर्थ है, दरवाज़ा खुला रखना, हमारे घर एवं हमारे मन के द्वार खुले रहें ताकि खटखटाने वाले उनमें प्रवेश पा सकें, वे हमारे घर और हमारे हृदयों में लज्जित कभी न हों  बल्कि स्वागत-सत्कार का भाव महसूस करें। सन्त पापा ने कहा कि यही है वह भ्रातृत्व भाव जिसकी शिक्षा हमें असीसी के सन्त फ्राँसिस ने दी है।    

निर्धनों की पुकार

सन्त पापा ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम निर्धनों की पुकार पर कान दें, उनकी आवाज़ सुनें, उन्हें बोलने का मौका दें क्योंकि बहुत अधिक समय से उनकी आवाज़ों को अनसुना कर दिया गया था। समय आ गया है कि हम विश्व में व्याप्त असमानता के प्रति जागरुक होवें। नौकरियों के अवसर उत्पन्न कर बेरोज़गारों को रोज़गार की प्रतिष्ठा दिलवायें, भूखे और कुपोषित बच्चों की मदद को आगे आयें तथा गुलामी से उन्हें मुक्त करायें। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को रोकने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि उदासीनता का चक्र समाप्त हो ताकि साक्षात्कार, वार्ता एवं सम्वाद के सौन्दर्य की एक बार फिर खोज की जा सके।

निर्धनों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा, "जीवन ने हमेशा आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है; वस्तुतः,  इसने आपको प्रायः अपना क्रूर चेहरा दिखाया है। हाशिए पर रहने के लिये मजबूर किया है तथा बीमारी और अकेलेपन से पीड़ित किया है, तथापि, इतने सारे आवश्यक साधनों की कमी के बावजूद भी आप कृतज्ञता से भरी आँखों से उन छोटी-छोटी चीजों को भी आशा के साथ देखते रहे हैं, जिन्होंने आपको सबकुछ सहने में सक्षम बनाया है।" उन्होंने कहा कि कठिनाइयों के बावजूद आप साहसपूर्वक आगे बढ़ते रहे यह सराहनीय है तथा हम सब के लिये एक महान शिक्षा है।

           

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12 November 2021, 11:46