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फ्रांसिस्कन लोकधर्मियों के साथ संत पापा फ्राँसिस फ्रांसिस्कन लोकधर्मियों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

पोप दवारा फ्रांसिस्कन सेकुलरों को निकटता, करुणा, कोमलता का आह्वा

संत पापा फ्राँसिस ने अपने धर्मसंघ की महासभा के लिए रोम आये फ्रांसिस्कन सेकुलरों को संबोधित करते हुए आशा व्यक्त की कि वे न्याय के लिए लड़ सकते हैं, एक अभिन्न पारिस्थितिकी के लिए काम कर सकते हैं, मिशनरी परियोजनाओं में सहयोग कर सकते हैं और शांति के शिल्पकार एवं सुसमाचार के गवाह बन सकते हैं।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 15 नवम्बर 2021 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 15 नवम्बर को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में फ्रांसिस्कन सेकुलर धर्मसंघ की महासभा के लिए रोम आये करीब 120 प्रतिभागियों के साथ मुलाकात की। संत पापा फ्राँसिस ने उनका अभिवादन करते हुए कहा "ईश्वर आपको शांति दे!" इसी संबोधन से संत फ्रांसिस असीसी रास्ते में लोगों का अभिवादन किया करते थे।

पवित्र जीवन जीने की बुलाबा

संत पापा ने कहा कि वे धर्मसंघ की महासभा में भाग ले रहे हैं। इस संदर्भ में संत पापा उनके बुलाहट और मिशन के लिए उपयुक्त कुछ तत्वों पर उनका ध्यान आकर्षित कराया। संत पापा ने कहा कि उनकी बुलाहट सार्वभौमिक आह्वान से पवित्रता की ओर उत्पन्न होता है। काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा याद दिलाती है कि "मसीह की पुरोहिताई में सामान्य लोग भाग लेते हैं: उनके साथ और अधिक एकजुट होकर, वे व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और कलीसियाई जीवन के सभी आयामों में बपतिस्मा और दृढ़ीकरण की कृपा को प्रकट करते हैं, और पूरा करते हैं।"(न. 941)

संत पापा ने कहा कि उनके धर्मसंघ का संविधान को संत पापा पॉल सष्टम ने अनुमोदित किया, इसके केंद्र में हृदय का रुपांतरण शामिल है। संत फ्रांसिस ने सर्वोच ईश्वर की स्तूति प्रशंसा की। संत फ्रांसिस, सभी विश्वासियों को अपने पत्र में, "तपस्या करना" को हृदयपरिवर्तन के मार्ग के रूप में, ख्रीस्तीय जीवन के मार्ग के रूप में, स्वर्गीय पिता की इच्छा और कार्यों को करने की प्रतिबद्धता के रूप में प्रस्तुत किया। अपनी वसीयतनामा में, संत फ्रांसिस ने इन शब्दों के साथ अपनी स्वयं के हृदयपरिवर्तन प्रक्रिया का वर्णन किया: "प्रभु ने मुझे, भाई फ्रांसिस को, इस तरह से तपस्या करना शुरू करने दिया था: जब मैं पापों में था, तो कोढ़ी को देखना मेरे लिए बहुत कड़वा लग रहा था । प्रभु ने मुझे उनके बीच में ले आया और मैं ने उन पर उदारता दिखाई, जो मुझे कड़वा लग रहा था, वह अब आत्मा और शरीर की मिठास में बदल गया। फिर उनसे दूर जाकर मैं थोड़ा रुका और दुनिया को छोड़ दिया।”(1-3)

हृदयपरिवर्तन पहल ईश्वर द्वारा

संत पापा ने कहा कि हृदयपरिवर्तन की प्रक्रिया की पहल ईश्वर करते हैं। ईश्वर पश्चातापी संत फ्रांसिस को उन स्थानों पर ले जाते हैं जहाँ वह कभी नहीं जाना चाहता था: "ईश्वर ने मुझे कोढ़ियों के बीच ले गया।" संत पापा ने कहा कि पश्चाताप करने वाला खुद को दूसरों की सेवा में और उनके साथ दया करने के लिए स्वीकार करता है, जिसका परिणाम खुशी है: "जो मुझे कड़वा लग रहा था वह आत्मा और शरीर की मिठास में बदल गया था।"

संत पापा ने उन्हें अपने जीवन में अपने मिशन में पूरा करने का आग्रह किया और कहा कि वे "तपस्या करने" को "उदारता के कार्यों" के साथ भ्रमित न करें। ये – उपवास करना, भिक्षा दान देना, चीजों का परित्याग करना, आत्मसंयम जीवन जीना - ईश्वर के लिए अपना हृदय खोलने के निर्णय के परिणाम हैं। संत फ्रांसिस की शैली में, सामान्य लोगों के बीच में रहते हुए, मसीह के लिए अपना दिल खोलना। जैसे संत फ्रांसिस "मसीह का दर्पण" था, वैसे ही आप भी "मसीह के दर्पण" बनें।

फ्रांसिस्कन करिश्मा

संत पापा ने कहा, “आप फ्रांसिस्कन करिश्मे के अनुसार दुनिया में रहने वाले प्रतिबद्ध पुरुष और महिलाएं हैं। एक करिश्मा जिसमें अनिवार्य रूप से हमारे प्रभु येसु मसीह के पवित्र सुसमाचार का पालन करना शामिल है। फ्रांसिस्कन सेकुलर की बुलाहट दुनिया में सुसमाचार को जीना है; सुसमाचार को जीवन के "रूप और नियम" के रूप में ग्रहण करना। संत पापा ने कहा कि वे येसु को गले लगाते हुए सबके सामने गरीबी, दीनता और सादगी को अपना विशिष्ट लक्षण मानें।

संत पापा ने कहा कि वे फ्रांसिस्कन सेकुलर पहचान के साथ, बाहर निकलने वाली कलीसिया के सदस्य हैं। उनका स्थान लोगों के बीच है और वहाँ वे आम लोगों के रूप में - समर्पित या विवाहित - पुरोहित और धर्माध्यक्ष, प्रत्येक अपने विशिष्ट बुलाहट के अनुसार, अपने साधारण जीवन में येसु की गवाही देते हैं। संत पापा ने कहा कि वे बिना किसी दिखावा के, हमेशा गरीब और क्रूसित मसीह का अनुसरण करने में खुश रहें।  वे संसार के अंतिम छोर तक सुसमाचार के बचन का प्रचार करें। संत पापा ने गरीबों को कभी न भूलने की हिदायत देते हुए कहा, “गरीबों को कभी न भूलें, जो मसीह का शरीर हैं: आप उन्हें खुशखबरी सुनाने के लिए बुलाये गये हैं (सीएफ लूकस 4:18), जैसा कि उनकी संरक्षिका, हंगरी की संत एलिजाबेथ ने किया था।

अपने संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने उपस्थित लोगों को संत फ्रांसिस की इच्छा की याद दिलाई कि पूरा परिवार एकजुट रहे, निश्चित रूप से इसके विभिन्न घटकों और प्रत्येक सदस्य की विविधता और स्वायत्तता का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, हालांकि यह, हमेशा "एक महत्वपूर्ण पारस्परिक भोज में, एक ऐसी दुनिया का सपना देखना जिसमें सभी खुद को भाई-बहन महसूस करते हैं और इसे बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए: न्याय के लिए लड़ना, एक के लिए काम करना अभिन्न पारिस्थितिकी, मिशनरी परियोजनाओं में सहयोग करना और शांति के शिल्पकार और सुसमाचार के गवाह बनना।"

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15 November 2021, 15:36