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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

संतों के पर्व दिवस पर पोप ˸ धन्यताएँ पवित्रता व आनन्द के रास्ते दिखलाते हैं

सब संतों के पर्व दिवस पर संत पापा फ्रांसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जहाँ उन्होंने चिंतन किया कि धन्यताएँ किस तरह ईश्वर के राज्य एवं आनन्द की ओर ले चलते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 नवम्बर 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिजाघर के प्राँगण में सोमवार 1 नवम्बर को सब संतों के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज हम सब संतों का पर्व मना रहे हैं और धर्मविधि में येसु के "कार्यक्रम संबंधी" संदेश अर्थात् धन्यताएँ, गूँज रहे हैं। (मती. 5,1-12) ये ऐसे रास्ते दिखाते हैं जो ईश्वर के राज्य और आनन्द की ओर ले जाते हैं ˸ दीनता, दयालुता, नम्रता, न्याय और शांति के रास्ते। एक संत बनने के लिए इसी रास्ते पर चलना है। संत पापा ने जीवन के इस रास्ते के दो आयामों पर प्रकाश डाला ˸ आनन्द और भविष्यवाणी।

आनन्द के बिना पवित्रता नहीं

येसु "धन्य" शब्द से शुरू करते हैं (मती. 5,3) यह एक प्रमुख उद्घोषणा, एक अभूतपूर्व आनन्द की घोषणा है। धन्यताएँ, पवित्रता जीवन की एक योजना नहीं है जो केवल प्रयासों और त्याग से बनी हो बल्कि सबसे बढ़कर, खुशी से यह समझना है कि हम ईश्वर के प्यारे बेटे–बेटियाँ हैं। यह कोई मानव उपलब्धि नहीं है, यह एक उपहार है जिसको हमें दिया गया है। हम संत हैं क्योंकि ईश्वर संत हैं जो हमारे साथ जीने आये। यही कारण है कि हम धन्य हैं, इस तरह एक ख्रीस्तीय का आनन्द क्षणभर की भावुकता अथवा एक साधरण मानवीय आशा नहीं है बल्कि ईश्वर की प्रेमी निगाहों के नीचे उनसे मिलने वाले साहस एवं शक्ति के द्वारा हर परिस्थिति का सामना कर सकने की निश्चितता है। संतों ने विभिन्न प्रकार की चुनौतियों के बीच इस आनन्द का अनुभव किया और इसका साक्ष्य दिया। आनन्द के बिना विश्वास एक सख्त और दमनकारी कार्य बन जाता है और उदासी की बीमारी से ग्रसित होने के खतरे में डालता है। एक मरूभूमि के धर्माचार्य कहा करते थे कि उदासी हृदय का एक कीड़ा है जो जीवन को जीर्ण-शीर्ण करता है।

संत पापा ने चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "क्या हम प्रसन्नचित ख्रीस्तीय हैं? क्या हम आनन्द का प्रचार कर रहे हैं या शिथिल, उदास, दफन-क्रिया में भाग लेने वाले लोगों के समान चेहरा बनाकर रहते हैं? हम इसे याद रखें कि खुशी के बिना पवित्रता नहीं है।"

हमारे जीवन में भविष्यवाणी का साक्ष्य

धन्यताएँ गरीब, न्याय के भूखे लोगों के लिए सम्बोधित की गई हैं। यह एक ऐसा संदेश है जो धारा के विपरीत जाता है। दूसरी ओर दुनिया कहती है कि खुश रहने के लिए धनी, शक्तिशाली, हमेशा जवान और मजबूत रहना तथा यश और सफलता जरूरी है। येसु इन मानदण्डों को पलट देते हैं और एक भविष्यवाणी करते हैं ˸ जीवन की सच्ची पूर्णता उनका अनुसरण करके, उनके वचनों पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है। इसका अर्थ है अंदर से गरीब होना, ईश्वर के लिए जगह बनाने हेतु अपने आपको खाली करना। जो अपने आपको धनी, सफल और सुरक्षित मानता वह खुद पर भरोसा रखते हुए ईश्वर एवं अपने पड़ोसियों से दूर रहते हैं जबकि जो लोग जानते हैं कि वे गरीब हैं और आत्मनिर्भर नहीं है वे ईश्वर और पड़ोसियों के लिए खुले होते हैं। और वे आनन्द का अनुभव करते हैं।

नई मानवता की भविष्यवाणी

इस तरह धन्यताएँ, एक नयी मानवता की भविष्यवाणियाँ हैं, जीने का एक नया रास्ता है, दूसरों के ऊपर होने की अपेक्षा, दीन बनना एवं ईश्वर पर भरोसा रखना। सिर्फ अपने लिए सोचने के बदले दयालु बनना। अन्याय एवं असमानता को बढ़ावा देने के बदले ईश्वर की सहायता से न्याय एवं शांति हेतु कार्य करना है। हम अपने आपसे पूछ सकते हैं, क्या मैं येसु की भविष्यवाणी का साक्ष्य देता हूँ? क्या मैं नबी के मनोभाव को व्यक्त करता हूँ जिसको मैंने बपतिस्मा के समय पाया है? अथवा क्या मैं जीवन की सुख-सुविधाओं को पाने की कोशिश कर रहा हूँ और आलसी हूँ एवं उन्हीं चीजों को अपनाता हूँ जो मेरे पसंद के अनुसार हैं? क्या मैं येसु की भविष्यवाणी की आनन्दमय नवीनता का प्रचार करता हूँ अथवा जो गलत है उसकी शिकायता करता रहता हूँ?  

धन्य कुँवारी मरियम हमें अपनी आत्मा प्रदान करे, वह धन्य आत्मा जिसने खुशी से प्रभु की स्तुति की, जिन्होंने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया। (लूकस.1,52)      

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

फ्रांसीसी सैन्य कब्रिस्तान संत पापा का ख्रीस्तयाग

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने कहा, "मैं खासकर, संतों की दौड़ में भाग लेनेवालों का अभिवादन करता हूँ जिसका आयोजन विश्व में डॉन बोस्को फाऊँडेशन के द्वारा किया गया है। खेल के शैक्षणिक मूल्य को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। कोलोम्बिया के बच्चों के हित में आपके पहल के लिए धन्यवाद।"

संत पापा 2 नवम्बर को 11 बजे रोम स्थित फ्रांसीसी सैन्य कब्रिस्तान में सभी मृत विश्वासियों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे। इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, "कल दोपहर मैं रोम स्थित फ्रांसीसी सैन्य कब्रिस्तान जाऊँगा। यह सभी मृत विश्वासियों की आत्मा शांति हेतु प्रार्थना करने का अवसर होगा, विशेषकर, युद्ध और हिंसा के शिकार लोगों के लिए। इस कब्रस्थान का दौरा करते हुए मैं आध्यात्मिक रूप से उन लोगों के साथ शामिल होऊँगा जो इन दिनों विश्व के विभिन्न हिस्सों में कब्रस्थान में अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करने जायेंगे।"  

अंत में, उन्होंने सब संतों के पर्व के अवसर पर, संतों की आध्यात्मिक संगति की शुभकामनाएँ दी एवं अपने लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए विदा ली।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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01 November 2021, 15:48