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संत पापा ईराक में संत पापा ईराक में  

संत पापा: भविष्य की नींव, आपसी सम्मान की शिक्षा में

संत पापा फ्रांसिस ने जार्जटाऊन विश्वविद्यालय और “ला चिभिता कैथोलिका” के नाम पत्र प्रेषित करते हुए “मिलन की संस्कृति” आगामी सम्मेलन हेतु अपनी प्रशंसा व्यक्त की।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 नवम्बर 2021 (रेई) दो येसु समाजी संस्थानों ने अंतर-सांस्कृतिक और अंतरधार्मिक वार्ता के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की पहल की है, और इस प्रयास के लिए संत पापा फ्रांसिस ने उनकी सराहना की है।

जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय- यूएस कैपिटल, वाशिंगटन, डीसी में एक शीर्ष येसु समाजी विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना 1789 में हुई थी- और ला चिभिता कैथोलिका- 1850 इटली में येसु समाजियों द्वारा समीक्षा केन्द्र- “मिलन की संस्कृति” विषय के तहत 8-9 नवंबर को सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं।  संत पापा फ्रांसिस ने 27 अक्टूबर को हस्ताक्षरित एक पत्र प्रेषित करते हुए इस पहल को अपना समर्थन किया।

मानवता का भविष्य

संत पापा ने “हमारी मानवता के भविष्य पर विचारने” हेतु दो संस्थानों का एक साथ आना और सम्मेलन की तैयारी के लिए लोकधर्मियों में सुसमाचार प्रचार हेतु गठित वाटिकन की परमधर्मपीठीय समिति और अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद को शामिल करने के लिए दोनों संस्थानों की प्रशंसा की।

उन्होंने “मिलन की संस्कृति” को “हमारी दुनिया हेतु महत्वपूर्ण विषय” कहते हुए इस पर चर्चा को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट किये। संत पापा ने कहा, “अपने पाठों, लेखों और संयुक्त पहलों के द्वारा आप बहुत से लोगों को संस्कृति के शिक्षक और शिल्पकार बनने में मदद करते हैं जो आपसी समझ को बढ़ावा देती है।”

वार्ता से सहयोगिता की भावना

संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान दुनिया में हम विभिन्न रूपों में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं लेकिन फिर भी हम एक दूसरे को सुनने और समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। “वार्ता मानवता की एक सच्ची अभिव्यक्ति है”। यह वह मार्ग है जिसमें हमें धैर्य से चलने की आवश्यकता है जिससे प्रतियोगिता सहयोगिता में बदल सके। संत पापा ने कहा कि कलीसिया को चाहिए कि वह दूसरों के प्रति सम्मानजनक खुलेपन की शिक्षा देते हुए  उनके अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं को पहचान” प्रदान करने में कोई कसर न छोड़े। “यह एक साथ मिलकर भविष्य के निर्माण का मार्ग है”।

मिलन की संस्कृति

संत पापा फ्रांसिस ने जार्जटाऊन विश्वविद्यालय और ला चिभिता कैथोलिका से आग्रह किया कि वे भ्रातृत्व और मिलन की संस्कृति को प्रसारित करने में मदद करें। “यह आप का कार्य होः आप ऐसा करें कि विभिन्नताओं का आपसी एकीकरण, संवर्धन और प्रकाशना में सह-अस्तित्व स्थापित हो, भले ही यह वाद-विवाद और संशय उत्पन्न करे”। 

 

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05 November 2021, 16:00