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स्वीडिश अकादमी द्वारा पुरस्कृत तानज़ानिया के लेखक गुरनाह की पुस्तक स्वीडिश अकादमी द्वारा पुरस्कृत तानज़ानिया के लेखक गुरनाह की पुस्तक  

स्वीडिश अकादमी के सदस्यों को सन्त पापा का सम्बोधन

स्वीडन की विख्यात स्वीडिश अकादमी के सदस्यों ने शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर सन्त पापा ने संवाद एवं एक दूसरे को सुनने की आवश्यकता पर बल दिया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 नवम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): स्वीडन की विख्यात स्वीडिश अकादमी के सदस्यों ने शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर सन्त पापा ने संवाद एवं एक दूसरे को सुनने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

उदासीनता की संस्कृति से सावधान

सन्त पापा ने कहा कि दीर्घकालिक कोविद महामारी के संकट ने अन्यों के साथ संवाद करने की हमारी क्षमता को परखा है। उदासीनता की संस्कृति के प्रति सावधान करते हुए सन्त पापा ने कहा, "हम खुद को दूसरों से थोड़ा अधिक दूर पाते हैं, थोड़ा अधिक आरक्षित, शायद अधिक संरक्षित, या दूसरों के साथ जुड़ने के लिए कम इच्छुक, एक साथ कुछ बनाने से पैदा हुई संतुष्टि और प्रयास हेतु कंधे से कंधा मिलाकर काम करने हेतु हम हिचकिचाते हैं।"

उन्होंने कहा, "इस स्थिति को पहचानना महत्वपूर्ण है, जो हम में से प्रत्येक के लिए एक ख़तरा है, क्योंकि यह रिश्तों के लिए हमारी क्षमता को कम करता है, और समाज तथा हमारे आसपास की दुनिया को दीन बना देता है। यह अनजाने में उदासीनता की संस्कृति को प्रश्रय देता है।"

संवाद सापेक्षवाद नहीं

सन्त पापा ने कहा कि दैनिक रूप से लोगों के साथ साक्षात्कार तथा संवाद ही ऐसी जीवन शैली है जो अख़बारों में भले ही मुख्य ख़बर न बने तथापि, मानव समुदाय को आगे बढ़ने तथा सामाजिक मैत्री में विकास हेतु मदद करती है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि अपने विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती के छठवें अध्याय में उन्होंने इसी विषय पर गूढ़ चिन्तन को प्रस्तुत किया है।   

सन्त पापा ने कहा कि प्रतिष्ठापूर्ण नोबेल पुरस्कार प्रदान करनेवाली स्वीडिश अकादमी के सदस्यों से मुलाकात करना तथा उनके साथ साक्षात्कार, संवाद एवं सामाजिक आदान-प्रदान को साझा करना वे हितकर मानते हैं, क्योंकि इसी रास्ते पर चलकर मैत्री एवं भ्रातृत्व की नवीन संस्कृति का निर्माण किया जा सकता है। सन्त पापा ने कहा कि सामाजिक संवाद "ईमानदारी के साथ और बिना धोखे के दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करने की क्षमता में निहित है।"

उन्होंने कहा कि संवाद सापेक्षवाद का पर्याय नहीं है। वास्तव में, जब भी समाज सत्य की खोज को विकसित करता है और मौलिक सत्य के अनुकूल बढ़ता है तो समाज और भी महान हो जाता है, विशेष रूप से, जब वह यह स्वीकार करता है कि "हर इंसान में एक अटूट गरिमा होती है"। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर हम सब साक्षात्कार और संवाद की संस्कृति को विकसित करने के लिये बुलाये गये हैं।

 

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19 November 2021, 12:36