खोज

संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया 

मृत धर्माध्यक्षों के लिए ख्रीस्तयाग में पोप ˸ प्रभु पर भरोसा रखना सीखें

संत पापा फ्रांसिस ने 4 नवम्बर को संत पेत्रुस महागिरजाघर में मृत कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों की आत्मा की अनन्त शांति हेतु पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 4 नवम्बर 2021 (रेई)- संत पापा ने मिस्सा के दौरान उपदेश में शोकगीत से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ कहा गया है, "मौन रहकर प्रभु की मुक्ति की प्रतीक्षा करना – यही सबसे उत्तम है।" (शोक. 3:26)

संत पापा ने कहा कि यह मनोभाव शुरूआती बिन्दू नहीं है बल्कि पहुँचने का बिन्दु है। लेखक ऊबड़-खबड़ रास्ते के अंत पर पहुँचता है जो उसे परिपक्व बनाता है। वह ईश्वर पर भरोसा रखने की सुन्दरता को समझता है जो अपनी प्रतिज्ञा से कभी पीछे नहीं हटते। किन्तु ईश्वर पर भरोसा क्षणिक उत्साह से नहीं बढ़ता, यह भावना नहीं है और न ही अनुभूति। इसके विपरीत यह अनुभव से बढ़ता है और धीरज से परिपक्व होता है जैसा कि जोब के साथ हुआ।

पीड़ा से आशा की ओर यात्रा

संत पापा ने कहा कि इसके लिए लम्बे आंतरिक बदलाव की अवश्यकता है और पीड़ा के द्वारा पता चलता है कि किस तरह मौन रहकर इंतजार करना है। अर्थात् कोमल आत्मा के साथ धीरज से प्रतीक्षा करना है। यह धीरज, त्यागना नहीं है क्योंकि यह प्रभु की आशा के द्वारा पोषित होता है जिनका आना निश्चित है और वे हमें निराश नहीं करते हैं।

संत पापा ने प्रभु के लिए प्रतीक्षा करने की कला को सीखना महत्वपूर्ण बतलाया। उन्होंने कहा कि उनके लिए विनम्रता पूर्वक, आशा के साथ इंतजार करना है, खासकर, परीक्षा की घड़ी में। इस तरह हम जीवन के अंतिम और सबसे बड़ी परीक्षा के लिए तैयारी करेंगे। इसके लिए पहले कठिनाइयों एवं परीक्षाओं को पार करना होगा जिसके लिए हम प्रभु से कृपा की याचना करते हैं ताकि उनकी मुक्ति के लिए उनका इंतजार कर सकें।

संत पापा ने कहा कि हम सभी को इसमें परिपक्व होना है। जीवन की समस्याओं और कठिनाइओं के सामने धैर्य रखना और शांत रहना है। उत्तेजना आती है और बहुधा निराशा उत्पन्न होती है। इसके कारण धर्मग्रंथ के लेखक के समान छोड़ देने, पीछे देखने निराश होने और शिकायत करने की स्थिति उत्पन्न होती है जो कहता है, "मेरा आत्मविश्वास नष्ट हो गया और मुझे प्रभु पर भरोसा नहीं रहा।" (18)

इस बिन्दु पर प्रभु हमें मोड़ प्रदान करते हैं। गर्त और पीड़ा में ईश्वर हमें बचाने आते हैं। कड़ुवाहट जब अपनी चरम पर पहुँचती है तब आशा अचानक पुनः खिल उठती है। दुःखों के बीच जो कोई प्रभु के करीब होता, वह देखता है कि प्रभु उनकी पीड़ा को खोलते हैं और उसे द्वार में बदल देते हैं जिससे होकर आशा प्रवेश करती है। यह पास्का अनुभव है। दुःख से जीवन में पार होना है, एक आध्यात्मिक यात्रा है, अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना है।

दुःख का रहस्य

यह बदलाव इसलिए नहीं आती कि समस्या गायब हो जाती, बल्कि संकट आंतरिक शुद्धिकरण के लिए रहस्यमय अवसर बन जाता है। समृद्धि हमें अक्सर अंधा, सतही और अभिमानी बनाता है जबकि यदि विश्वास हो तो परीक्षा से गुजरना, कठोरता और आँसू के बावजूद हमें पुनः जन्म लेने का अवसर देता है, और हम अपने को बदला हुआ पाते हैं। दुःख एक रहस्य है किन्तु इस रहस्य को हम दूसरे तरीके, ईश्वर के पितृत्व के रूप में खोल सकते हैं और लेखक के साथ कह सकते हैं, "प्रभु भले हैं उन लोगों के लिए जो उनपर भरोसा रखते, उन्हें खोजते हैं।"  

संत पापा ने विश्वासियों को प्रार्थना करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि मृत्यु के रहस्य पर चिंतन करते हुए हम प्रभु से कृपा मांगें कि विपत्ति को दूसरी नजर से देख सकें। हम यह जानने के लिए शक्ति मांगें कि हम कोमल और भरोसेमंद मौन में कैसे रह सकें, ताकि हम प्रभु के उद्धार की प्रतीक्षा, बिना शिकायत और बिना कुड़कुड़ाए कर सकेंगे।

संत पापा ने कहा कि जो सजा के समान लगता है वह कृपा में बदल जाएगा, हमारे लिए ईश्वर के प्रेम का नया रूप होगा। प्रभु के उद्धार के लिए मौन में प्रतीक्षा करने जानना एक कला है। आइए हम इसे सीखें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

04 November 2021, 15:19