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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ जागते रहो और प्रार्थना करते रहो

आगमन के पहले रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों से जागते रहने और प्रार्थना करते रहने का आह्वान किया जो हमारी आत्मा को नींद से जगाता एवं उस बात पर ध्यान केंद्रित करने में मदद देता है जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 28 नवम्बर 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आगमन काल के पहले रविवार 28 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हर समय जागत रहें और प्रार्थना करते रहें

आज आगमन काल के पहले रविवार की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ, अर्थात् ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी का पहला रविवार, अंतिम में प्रभु के आगमन के बारे बतलाता है। येसु उजाड़ और परेशान करनेवाली घटनाओं का जिक्र करते हैं किन्तु उसी समय, नहीं डरने का निमंत्रण देते हैं। क्यों? क्या सब कुछ ठीक हो जाएगा? नहीं, लेकिन वे क्यों आयेंगे। येसु आयेंगे क्योंकि उन्होंने प्रतिज्ञा की है। वे कहते हैं, "जब ये बातें होने लगेंगी तो उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है।" (लूक. 21,28)

संत पापा ने कहा, "प्रोत्साहन के इन शब्दों को सुनना कितना सुखद है ˸ उठ कर खड़े हो जाओ और अपना सिर ऊपर उठाओ क्योंकि ऐसे समय में जब लगे कि सब समाप्त हो चुका है, प्रभु बचाने आते हैं। हृदय में परेशानी, जीवन के संकट और इतिहास के नाटक में भी आनन्द से उनका इंतजार करना है। लेकिन किस तरह सिर ऊपर उठाना और कठिनाइयों, पीड़ा एवं पराजय में नहीं खो जाना है? येसु हमें जोरदार याद दिलाते हुए रास्ता दिखाते हैं ˸ "सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिंताओं से तुम्हारा मन कुँठित न हो जाए...इसलिए जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो।"(पद. 34.36) हमें अपने आपमें सावधान रहना है ताकि हमारा हृदय भारी न हो जाए, हर समय प्रार्थना करने के द्वारा जागते रहना है।

पूरी तरह चौकस रहते हुए अपने हृदय की रक्षा करें

"जागते रहो" अर्थात् जागते रहना है। संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्तीय जीवन के इस महत्वपूर्ण आयाम पर थोड़ी देर रूकें। ख्रीस्त के शब्दों में हम देखते हैं कि जागना, सावधान रहने से संबंधित है। सावधान रहो, भटको नहीं अर्थात् जागते रहना है। जागते रहने का अर्थ है अपने हृदय को सुस्त होने एवं अपने आध्यात्मिक जीवन को औसत में पड़ने नहीं देना। प्रार्थना कीजिए ताकि आप "सोनेवाले ख्रीस्तीय" न बनें, - हम जानते हैं कि बहुत सारे सोनेवाले ख्रीस्तीय हैं, आध्यात्मिक दुनिया में अचेत ख्रीस्तीय, बिना आध्यात्मिक उत्साह, बिना प्रार्थना में रूचि के तोता के समान प्रार्थना करते हैं- मिशन के प्रति कोई उत्साह नहीं, न ही सुसमाचार के प्रति कोई जोश। ख्रीस्तीय जो केवल अंदर देखते हैं वे क्षतिज को नहीं देख सकते।  

इससे "झपकी" आती है ˸ जिससे मुश्किल से आगे चल सकते हैं, असंवेदनशील हो जाते हैं, आराम को छोड़कर बाकी सभी चीजों में उदासीनता आ जाती है। और इस तरह जीना एक उदासी भरा जीवन है... इसमें कोई खुशी नहीं है। लेकिन सच दूसरा है।

जीवन की परेशानियाँ हृदय को भारी न करें

हमें जागने की जरूरत है ताकि हम दिनचर्या को आदत में न बदल लें कि हम जीवन की परेशानियों से कुंठित न हो जाएँ। जीवन की परेशानियाँ हमें कुँठित कर देते हैं। संत पापा ने कहा, "अतः आज अच्छा अवसर है कि हम अपने आपसे पूछें ˸ मेरी भावना को क्या भारी बनाता है? मुझे आलस्य की कुर्सी पर बैठने के लिए क्या प्रेरित करता है?" उन्होंने कहा कि ख्रीस्तियों को आराम कुर्सियों में बैठे देखना दुखद है। कौन सी औसत की जीचें हैं जो मेरे जीवन को अपंग बना देती हैं, दोष जो मेरे जीवन को जमीन पर कुचल देते हैं और मेरे हृदय को ऊपर उठाने से रोकते हैं? और भाइयों के कंधों पर बोझ से, क्या मैं चौकस हूँ या उदासीन? ये सवाल हमारे लिए अच्छे हैं क्योंकि ये हमारे हृदय को आलसी होने से बचाते हैं जो आध्यात्मिक जीवन का बड़ा शत्रु है। आलस्य वह सुस्तीपन है जो उदासी लाता, जीवन के आनन्द एवं काम करने की चाह को ले जाता है। यह एक बुरी आत्मा है जो हमारी आत्मा को अकर्मण्यता में जकड़ देता है एवं आनन्द छीन लेता है। प्रवक्ता ग्रंथ कहता है, "मुझे उसके वश में न होने दे।" (प्रवक्ता 23,4) हृदय की रक्षा करने का अर्थ है, जागना।

जागते रहने का रहस्य है प्रार्थना

संत पापा ने सचेत रहने का राज बतलाते हुए कहा, "जागते रहने का रहस्य है प्रार्थना। वास्तव में, येसु कहते हैं, "जागते रहो और हमेशा प्रार्थना करते रहो।" (लूक. 21,36) प्रार्थना ही है जो हृदय के दीपक को प्रज्वलित रखता है, खासकर, जब हम महसूस करते हैं कि उत्साह ठंढ़ा पड़ गया है तो प्रार्थना इसे फिर से प्रज्वलित करती है क्योंकि यह हमें चीजों के बीच से ईश्वर के पास वापस लाती है। प्रार्थना आत्मा को नींद से जगाती और उन बातों पर ध्यान केंद्रित कराती है जो जीवन के अंत में महत्वपूर्ण हैं। अत्यन्त व्यस्तता के दिनों में भी हम प्रार्थना को न छोड़ें। हृदय की प्रार्थना हमें मदद करती है, तीर विन्ती जिसको बार-बार दुहराया जा सकता है।

"प्रभु येसु जल्दी आइये"

संत पापा ने प्रार्थना करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, "आगमन काल में, यह कहने की आदत डालें ˸ "प्रभु येसु जल्दी आइये।" ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी का समय सुन्दर है ˸ हम चरनी पर चिंतन करें, ख्रीस्त जयन्ती पर मनन करें और हृदय में कहें, प्रभु येसु आइये। इस प्रार्थना को हम दिनभर कर सकते हैं और हमारी आत्मा जागती रहेगी।"

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "और अब हम माता मरियम से प्रार्थना करें, जिन्होंने जागते हुए हृदय के प्रभु की प्रतीक्षा की हमें आगमन की यात्रा में साथ दें।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।   

देवदूत प्रार्थना में संत पापा का संदेश

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28 November 2021, 16:43