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जेमेल्ली में संत पापा का मिस्सा जेमेल्ली में संत पापा का मिस्सा 

संत पापाः येसु का हृदय हमारे लिए धड़कता है

जेमेल्ली के काथलिक महाविद्यालय मेडिसिन एंड सर्जरी विभाग की 60वीं वर्षगांठ के अवसर संत पापा ने यादगारी, करूणा और सांत्वना पर चिंतन किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 नवम्बर 2021 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने शुक्रवार को पवित्र हृदय को समर्पित जेमेल्ली के काथलिक महाविद्यालय मेडिसिन एंड सर्जरी विभाग की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर ख्रीस्तायाग अर्पित किया।

संत पापा ने अपने प्रवचन में तीन शब्दों यादगारी, करूणा और सांत्वना पर चिंतन व्यक्त किया।

यादगारी

संत पापा ने कहा कि यादगारी का अर्थ हृदय की ओर लौटना है जहां हम ख्रीस्त के करूणामय कार्य को याद करने हेतु बुलाये जाते हैं। यह हमें संत योहन की तरह येसु की ओर देखने हेतु आमंत्रित करता है। यादगारी के बिना हमारी जड़ें खो जाती हैं और हम विकास नहीं कर पाते हैं वहीं यादगारी हमें अपने प्रेम, चिंता और देखरेख करने वालों से संयुक्त करती है। अपने इन वचनों के साथ संत पापा ने अपने सर्जरी के दौरान जेमेल्ली अस्पताल द्वारा दी गई सेवाओं के लिए हृदय के कृतज्ञतापूर्ण भावों को पुनः प्रकट किया।

संत पापा ने कहा कि जब कोई घटना या कोई व्यक्ति हमारे हृदय को स्पर्श करता तो हम उस व्यक्ति को याद करते हैं। येसु ख्रीस्त का हृदय हमें चंगाई प्रदान करता है क्योंकि यह हमें प्रेम की नींव में लाता है। वे हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि चाहे जो कुछ भी हो वे हमें सदैव प्रेम करते हैं। येसु ख्रीस्त का हृदय हम सबों के लिए धड़कता है।

चेहरों को याद करें

हमें इस यादगारी को अपने में विकासित करने की आवश्यकता है जो हमें ईश्वर के संग मजबूती से संयुक्त करता है जब हम उन्हें अपनी ओर देखने देते हैं। जेमेल्ली के अस्पताल में व्यतीत किये गये क्षणों की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि हमें उन चेहरों को याद करने की जरुरत है जिनसे हमने मिला है क्योंकि जिन्दगी की थकान में यह हमें नई ताजगी से भर देता है। भ्रातृत्व की वे बातें, मुस्कान और चेहरे में प्रेम के भाव हमारे हृदय को आंतरिक रुप में चंगाई प्रदान करते हैं।

करुणा

येसु की करूणा के बारे में संत पापा ने कहा कि उनका हृदय हमारे प्रेम के कारण क्रूस पर बेधित हुआ। वह बेधित हृदय हमें जीवन प्रदान करता है। येसु का पवित्र हृदय हमारे लिए दुःखभोग की निशानी है जो हमारे लिए ईश्वरीय करूणा को व्यक्त करता है। यह हमारे लिए इस बात को व्यक्त करता है कि मानवीय मुक्ति हेतु उन्हें कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

संत पापा ने गरीबों और दुःखियों की सेवा हेतु ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि यदि हम सही रूप में ईश्वर को प्रेम करने की चाह रखते हैं तो हमें उन सभी लोगों की सेवा करने की जरुरत है जो दुःख दर्द, परित्यक्त और तिरस्कृत हैं जिनमें येसु अपने को व्यक्त करते हैं। ऐसा करने के द्वारा हम येसु के हृदय को सांत्वना और खुशी से भरते हैं।

सांत्वना

सांत्वना के बारे में संत पापा ने कहा कि यह हमारी ताकत की ओर इंगित कराता है जो हमारे लिए स्वयं से नहीं बल्कि हमारे संग रहने वाले येसु ख्रीस्त से हमारे लिए आता है। येसु का हृदय हमारी विकट परिस्थिति में हमें साहस से भर देता है। दुनिया में परिस्थितियाँ हमें विचलित कर देती हैं लेकिन येसु का हृदय हमें कहता है, “धैर्य रखो, डरो मत”।

संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में ईश्वर से साहस हेतु प्रार्थना करने का आहृवान किया जिससे हम एक दूसरे की साहयता कर सकें, एक दूसरे के बोझ को वहन करने में मददगार हो सकें। 

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05 November 2021, 15:27